कोरोना की दूसरी लहरः संक्रमित हो चुके बुजुर्गों के चपेट में आने का खतरा अधिक

वैज्ञानिकों के मुताबिक अधिक उम्र में कमजोर हो चुके शारीरिक अंग और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बुजुर्गों में फिर से संक्रमण की संभावना बढ़ रही है।

Update:2021-03-19 10:18 IST
कोरोना की दूसरी लहरः संक्रमित हो चुके बुजुर्गों के चपेट में आने का खतरा अधिक

नई दिल्ली: भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना का संक्रमण फिर से बढ़ने लगा है। ऐसे में जो लोग एक बार संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं उनके मन में फिर से संक्रमित होने का डर बना होगा। इन सबके बीच एक रिपोर्ट सामने आयी है, जो कि 65 साल से कम उम्र के लोगों के लिए थोड़ी राहत वाली तो उससे ऊपर के उम्र के लोगों के लिए चिंताजनक है।

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दरअसल, कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके 65 साल से कम उम्र के लोग अगले छह महीने तक इससे सुरक्षित हैं। इन लोगों में फिर से संक्रमण के मामले एक प्रतिशत से भी कम हैं, लेकिन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में सुरक्षा की यह अवधि और कम हो सकती है। वैज्ञानिक जर्नल लेंसेट में प्रकाशित स्टडी में यह दावा किया गया है।

​बुजुर्ग लोगों को ज्यादा खतरा

इस स्टडी के लिए डेनमार्क में हुए करीब 40 लाख पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट को देखा गया। इसके अनुसार अमेरिका, कतर, ब्रिटेन आदि में हुई जांच में फिर से हुए संक्रमण के मामले एक प्रतिशत से कम हैं। लेकिन डेनमार्क का अध्ययन संकेत करता है कि इनमें 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या अधिक है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 65 साल से कम उम्र के 80 प्रतिशत लोग फिर संक्रमित होने से सुरक्षित हैं। जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र के 47 प्रतिशत लोग ही सुरक्षित मिले।

वैज्ञानिकों ने बताई वजह

वैज्ञानिकों के मुताबिक अधिक उम्र में कमजोर हो चुके शारीरिक अंग और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बुजुर्गों में फिर से संक्रमण की संभावना बढ़ रही है।

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हालांकि राहत की बात यह भी रही कि वैज्ञानिकों को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला कि एक बार संक्रमित हुए लोगों में कोरोना के खिलाफ प्राकृतिक रूप से विकसित प्रतिरोधक क्षमता छह महीने बाद कमजोर पड़ गई। लेकिन वे मानते हैं कि अभी इस बीमारी को एक साल से थोड़ा ही अधिक समय हुआ है, इसलिए लंबे अध्ययन के बिना पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते।

टीकाकरण की सलाह

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि बुजुर्ग लोगों को प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता के भरोसे नहीं रहना चाहिए। इसीलिए जरूरी है कि सभी का टीकाकरण हो। साथ ही कहा कि यही फिलहाल सबसे विश्वसनीय तरीका है। व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी, मास्क पहनने, हाथ धोते रहने जैसे मूल तौर तरीके भी सख्ती से मानें।

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