सूडान का ऐतिहासिक फैसला, अब महिलाओं के खतने पर होगी जेल, जानें इसके बारे में
सऊदी अरब के बाद अब सूडान ने भी ऐतिहासिक फैसला लिया है। दशकों से महिला अधिकारियों के हनन का गवाह रहे सूडना ने ऐसा फैसला लिया है जिसकी दुनिया में तारीफ हो रही है।
नई दिल्ली: सऊदी अरब के बाद अब सूडान ने भी ऐतिहासिक फैसला लिया है। दशकों से महिला अधिकारियों के हनन का गवाह रहे सूडना ने ऐसा फैसला लिया है जिसकी दुनिया में तारीफ हो रही है। सूडाने की अंतरिम सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए महिलाओं के खतने को अपराध करार दिया है। सामाजिक भेदभाव झेल रहीं महिलाओं को इस रुढ़िवादी परंपरा वी वजह से बेइंतिहा दर्द का सामना करना पड़ता था। अब उन्हें इस क्रूर परंपरा से छुटकारा मिलने वाला है। सरकार ने खतना किए जाने पर तीन साल की जेल और जुर्माने की घोषणा की है।
ये है नया कानून
सूडान उन देशों में शामिल हैं जहां सबसे खतने किए जाते हैं। इसके क्रूर रुढ़िवादी सोच के खिलाफ महिला अधिकार संगठन लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं। पिछले साल तख्तापलट के बाद देश में बनी अंतरिम सरकार ने इस दिशा में कड़ा कदम उठाते हुए इसे अपराध घोषित कर दिया है। अब किसी मेडिकल संस्थान या घरों में भी खतना करने पर तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस कदम की UNICEF समेत दुनियाभर कर रही है।
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सूडान में UNICEF के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल का कहना है कि ये परंपरा न सिर्फ बच्चियों के अधिकारियों का हनन है बल्कि इसका उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी खतरनाक असर होता है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चियों में किडनी से लेकर यूटराइन इन्फेक्शन और गर्भ से जुड़ी दिक्कतों का खतरा बढ़ जाता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सूडान में 10 में से 9 महिलाओं का खतना किया जाता है। 14 से 49 साल की 87% महिलाओं को इस दर्द से गुजरना पड़ता है।
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अभी भी है बड़ी चुनौती
इस पर एक्सपर्ट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सिर्फ कानून का एलान करने से फिलहाल महिलाओं के जीवन से यह अभिशाप नहीं मिटने वाला है। समाज के एक बड़े तबके का इस परंपरा में विश्वास है। उनका मानना है कि बिना खतने के उनकी बच्चियां शादी के लायक नहीं होंगी। इसलिए सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह लोगों को कैसे जागरूक करे।
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जानिए क्या है खतना
खतना वह परंपरा है जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट या उसके एक हिस्से को काटा जाता है। सूडान में अधिकतर क्लाइटोरिस की अंदरूनी स्किन को हटा दिया जाता है। कई बार क्लाइटोरिस को ही निकलवा दिया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद दर्दनाक भी होती है बल्कि बेहद खतरनाक भी। अमूमन यह घर पर ही किया जाता है बिना अनेस्थीसिया दिए। कई मामलों में तो बच्चियों की मौत भी हो जाती है।