NATO Membership: स्वीडन, फिनलैंड ने NATO मेंबरशिप के लिए किया आवेदन, पुतिन को दोहरा झटका

NATO Membership: फिनलैंड और स्वीडन ने 18 मई को नाटो में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन कर दिया है। दोनों देशों ने कहा, नाटो में शामिल होने का फैसला यूक्रेन पर रूस के हमले से प्रेरित रहा है।

Written By :  aman
Update:2022-05-18 14:01 IST

स्वीडन, फिनलैंड ने NATO मेंबरशिप के लिए अप्लाई किया 

Finland-Sweden NATO Membership : रूस के दो पड़ोसी देश फिनलैंड और स्वीडन ने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) या नाटो (NATO) मेंबरशिप के लिए आज आवेदन किया है। इन दोनों देशों ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को दोहरा झटका दिया है। स्वीडन ने सोमवार को नाटो में शामिल होने के औपचारिक अनुरोध पर हस्ताक्षर किए। जबकि, फिनलैंड की संसद ने नाटो में शामिल होने के प्रस्ताव को भारी मत से मंजूरी दे दी।

फिनलैंड और स्वीडन ने बुधवार, 18 मई को नाटो गठबंधन में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन कर दिया है। फिनलैंड और स्वीडन ने कहा है, कि नाटो गठबंधन में शामिल होने का उनका फैसला यूक्रेन पर रूस के हमले से प्रेरित रहा है। गौरतलब है कि, शीत युद्ध के दौरान फिनलैंड और स्वीडन तटस्थ रहे थे। ऐसे में अब NATO में शामिल होने का उनका फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों देशों के इस कदम को यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था के नजरिये से सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक कहा जा रहा है।

फिनलैंड की संसद में समर्थन में पड़े भारी मत

फिनलैंड की संसद में इसके पक्ष में 188 मत पड़े, जबकि विरोध में महज 8 वोट डाले गए। मंगलवार को संसद में हुए मतदान के बाद फिनलैंड ने पश्चिमी देशों के 30 सदस्यीय सैन्य संगठन, नाटो की सदस्यता के लिए अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हालांकि, इस वोटिंग को औपचारिकता माना जा रहा है। क्योंकि, फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली नीनिस्टो और प्रधानमंत्री साना मरीन इससे पहले ही नाटो में शामिल होने को लेकर अपना इरादा जाहिर कर चुके हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने बयान जारी कर स्वीडन और फिनलैंड के NATO में शामिल होने का स्वागत किया है।

पुतिन ने दी थी धमकी

वहीं, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने फिनलैंड से कहा था, कि नाटो में शामिल होना उनकी गलती साबित होगी। बता दें कि, 1949 में सोवियत संघ के खतरे से मुकाबले के लिए नाटो की स्थापना हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वीडन तटस्थ राष्ट्र के रूप में ही रहा है। फिनलैंड, जिसकी सीमा रूस से लगती है, वह रूसी राष्ट्रपति पुतिन के विरोध से बचने के लिए अब तक इससे दूरी बनाए रखा।

यह ऐतिहासिक क्षण

स्वीडन और फिनलैंड के नाटो के लिए आवेदन मामले पर संगठन के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, कि 'यह एक ऐतिहासिक क्षण है। मैं नाटो में शामिल होने के लिए फिनलैंड और स्वीडन के अनुरोधों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं। आप हमारे सबसे करीबी भागीदार हैं। नाटो में आपकी सदस्यता हमारी साझा सुरक्षा को बढ़ाएगी।'

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