भारत का हुआ सम्मान: स्विट्जरलैंड का मैटरहॉर्न पर्वत रंगा तिरंगे के रंग
स्विट्जरलैंड ने भारत की सराहना में स्विस आलप्स के मैटरहॉर्न पर्वत को रोशनी की मदद से तिरंगे से कवर कर दिया। ये पूरे देश के लिए एक गौरव की बात है।
पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस जैसी महामारी से जंग लड़ रही है। चीन हो या अमेरिका हो या कोई भी देश हो सारे ही देश लगातार इस वायरस से जंग लड़ रहे हैं। लेकिन ऐसे में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर दुनिया के कई देश भारत की तैयारियों की लगातार तारीफ़ और सराहना कर रहे हैं। ऐसे में अब स्विट्जरलैंड ने भारत की सराहना में स्विस आलप्स के मैटरहॉर्न पर्वत को रोशनी की मदद से तिरंगे से कवर कर दिया। ये पूरे देश के लिए एक गौरव की बात है।
मैटरहॉर्न पर्वत पर चढ़ा तिरंगे का रंग
कोरोना से जंग में भारत के प्रयास की सराहना करते हुए स्विट्जरलैंड ने भारत को सम्मान दिया है। स्विट्जरलैंड में स्विस आलप्स के मैटरहॉर्न पर्वत को रोशनी की मदद से तिरंगे से कवर कर दिया गया है। भारत को दुनिया के हर देश से सम्मान और सराहना मिल रही है। भारत को मिल रही ऐसी अभूतपूर्व सराहना और सम्मान ली एक प्रमुख वजह ये भी है कि भारत ऐसी कठिन परिस्थिति में भी लगातार एशिया हो या अफ्रीका, यूरोप या अमेरिका हर देश की मदद कर रहा है।
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पीएम मोदी ने तिरंगे के रंग से नहाए पर्वत की तस्वीर खुद रीट्वीट की है और कहा कि दुनिया कोविड19 के खिलाफ एकजुट होकर लड़ रही है। महामारी पर निश्चित रूप से मानवता की जीत होगी। ये वाकई में पूरे देश के लिए एक गौरवशाली क्षण हैं। निश्चित ही रूप से हम सभी को इसकी सराहना करते हुए खुद गौरान्वित महसूस करना चाहिए।
इस सम्मान ने दिखाई हिमालय से आल्पस तक की दोस्ती
14,690 फुट ऊंचे पर्वत को तिरंगे के रंग से रोशन करने का काम किया है स्विट्जरलैंड के लाइट आर्टिस्ट गैरी हॉपस्टेटर ने। इस कार्य को करने लिए पूरे देश को गैरी हॉपस्टेटर का लाख लाख शुक्रिया अड़ा करनम चाहिये। क्योंकि इतने ऊँचे पर्वत को लाइट्स के जरिये पूरे तिरंगे के रंग में रंगना एक कलाकार ही कर सकता है। ऐसी अद्भुत क्षमता वाले इस कलाकार को सलाम करना चाहिए।
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एक कलाकार की पहचान उसकी कला ही होती है। इस बात को गैरी हॉपस्टेटर ने साबित कर दिया। भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी और विश्व व्यापार संगठन में भारत की सेकंड सेक्रटरी गुरलीन कौर ने ट्वीट किया, ' स्विट्जरलैंड ने दिखाया है कि वह कोविड19 से लड़ने में भारत के साथ खड़ा है। प्रति हिमालस से आल्पस तक दोस्ती। जरमैट टूरिजम आपका आभार।'
स्टे होम का सन्देश भी दे चुका है पर्वत
स्विट्जरलैंड का यह ऐतिहासिक पर्वत इससे पहले भी सन्देश देता हुआ कुछ ऐसा कर चुका है जिससे इसकी सराहना हुई हो। इससे पहले भी आल्पस कोरोना के खिलाफ जंग में अपना योगदान दे चुका है। लाइट आर्टिस्ट गैरी हॉपस्टेटर इससे पहले भी अपनी प्रतिभा के जरिये लोगों को कोरोना खिलाफ सन्देश दे चुके हैं।
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इटली-स्विट्जरलैंड की सीमा पर मौजूद 4478 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद इस पर्वत के जरिये गैरी पहले भी 'स्टे होम' का संदेश दे चुके हैं। स्विट्जरलैंड में 19 अप्रैल को लॉकडाउन समाप्त हो रहा है। गैरी का लक्ष्य इस अवधि तक देश की इमारतों, स्मारकों और पर्वत के जरिये लोगों को कोरोना से लड़ने का संदेश देना है। इसी के तहत उन्होंने तिरंगे को पर्वत पर जगह दी।