तालिबान को मान्यता देने का माहौल बनाने में जुटा यूएनओ, महासचिव ने बातचीत को बताया जरूरी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने तालिबान से बातचीत का समर्थन किया है। गुतारेस ने कहा है कि हमें तालिबान से बात करनी होगी ताकि लाखों मौतों को टाला जा सके।
Taliban government in Afghanistan: जिस तूफानी गति से तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर कब्जा किया, उतनी ही तेजी से अमेरिकी सैनिक (American Force) अफगानिस्तान छोड़कर चले गए। तालिबान की इस तूफानी गति को देखकर विश्व चकित रह गया. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र परिषद ने भी तालिबान को मान्यता देने में आश्चर्यजनक तरीके से तत्परता दिखाई।
रूस और चीन के सुझावों को दरकिनार करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने तालिबान को मान्यता दे दी। जिसके कारण अफगानिस्तान में तालिबान अपनी सरकार बना चुका है और अब निगाहें इस बात पर हैं कि कौन-कौन से देश उसे मान्यता देते हैं। तालिबान की ओर से अब भी तमाम देशों को आतंकवाद का खतरा नजर आ रहा है और उस पर भरोसा नहीं जता रहे हैं।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने तालिबान से बातचीत का समर्थन किया है। गुतारेस ने कहा है कि हमें तालिबान से बात करनी होगी ताकि लाखों मौतों को टाला जा सके। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बातचीत से क्या निकल सकता है, लेकिन चर्चा जरूरी है. साथ ही कहा कि अगर हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान आतंकवाद का केंद्र न बने, महिलाएं और लड़कियां हासिल किए गए सभी अधिकारों को न खोएं और विभिन्न जातीय समूह अपना प्रतिनिधित्व महसूस कर सकें तो बातचीत जरूरी है.
तालिबान पर तमाम देशों की नजरें टेढ़ी
अफगानिस्तान में सरकार गठन के बाद से ही तालिबान पर तमाम देशों की नजरें टेढ़ी हैं। उसने वादे के मुताबिक मंत्रिमंडल में महिलाओं को भागीदारी दी, उपर से सरकार में कई ऐसे नेताओं को भी मंत्री बनाया गया जिन्हें आतंकी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में कई देशों का तालिबान सरकार से बात शुरू करना फिलहाल मुश्किल ही दिखता है।
33 कैबिनेट मंत्रियों वाली अंतरिम सरकार की घोषणा
तालिबान ने अफगानिस्तान में 33 कैबिनेट मंत्रियों वाली अंतरिम सरकार की घोषणा की थी। इनमें प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद सहित 14 से अधिक मंत्री संयुक्त राष्ट्र व अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी सूची में हैं। करोड़ों के इनामी आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को गृहमंत्री बनाया गया है।
सरकार गठन पर नहीं दिखाई गर्मजोशी
अमेरिका, जर्मनी, जापान और चीन सहित किसी भी देश ने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों की सरकार बनने पर गर्मजोशी नहीं दिखाई। उन्होंने मान्यता चुप्पी साध ली है। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे कई प्रमुख देशों ने कैबिनेट में आतंकियों को शामिल किए जाने और अन्य वर्गों-समूहों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर निराशा जताई है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह नई सरकार में शामिल नामों का मूल्यांकन कर रहा है। कई लोगों का ट्रैक रिकॉर्ड व आतंकी संगठनों से संबद्धता चिंताजनक है। उसने बयान दिया कि हालांकि यह अंतरिम सरकार है, लेकिन तालिबान का मूल्यांकन उसके कामों से होगा, वह जो कहता आ रहा है, उन शब्दों से नहीं। अफगान सभी के साथ से बनी सरकार की अपेक्षा रखते हैं, हमारी भी यही उम्मीद है। साथ ही चेताया कि तालिबान अफगान की सरजमीं का उपयोग किसी देश के खिलाफ नहीं होने दे।
हक्कानी तालिबानियों से अलग नहीं: मुजाहिद
मुजाहिद ने यह भी कहा कि हक्कानी तालिबानियों से अलग नहीं हैं। दोहा समझौते के लिए हुई वार्ता में यह सभी शामिल थे, अमेरिका से बात भी कर रहे थे। उन्हें अमेरिका और यूएन की आतंकी सूची से उसी वक्त हटाना चाहिए था। तालिबान आज भी यह मांग करता है।
अफगानिस्तान में समावेशी सरकार चाहता है संयुक्त राष्ट्र- गुटेरेस
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जो चाहता है वो एक समावेशी सरकार है, जहां अफगान समाज के सभी घटकों का प्रतिनिधित्व किया जाता है और ये पहली प्रारंभिक सरकार जो कुछ दिन पहले घोषित की गई थी, लेकिन अफसोस वो वैसा प्रभाव नहीं देती है। गुटेरेस ने कहा कि हमें मानवाधिकारों, महिलाओं और लड़कियों के सम्मान की जरूरत है। अफगानिस्तान में आतंकवाद का कोई आधार नहीं होना चाहिए ताकि दूसरे देशों में अभियान शुरू किया जा सके और तालिबान को ड्रग्स के खिलाफ संघर्ष में सहयोग करना चाहिए।