तालिबान की वापसीः सहमा अफगानिस्तान, बीते युग को याद कर कांपा

अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 को अफगानिस्तान में अल कायदा को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ हमला बोला था। ये हमले अमेरिकी में हुए आतंकी हमले के कुछ हफ्ते बाद हुए थे जिनमें करीब 3,000 लोगों की जान चली गई थी।

Update: 2020-10-10 08:51 GMT
तालिबान की वापसीः सहमा अफगानिस्तान, बीते युग को याद कर कांपा (social media)

काबुल: अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान पर हमला किया था। तबसे ये संघर्ष जारी है और ये अब तक का सबसे लंबा युद्ध साबित हो चुका है। लेकिन कट्टर तालिबानी अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।

ये भी पढ़ें:कश्मीर दहलाने की साजिश: दफन हुए आतंकी मंसूबे, सफल हुआ सेना का ये ऑपरेशन

अल कायदा को पनाह

अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 को अफगानिस्तान में अल कायदा को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ हमला बोला था। ये हमले अमेरिकी में हुए आतंकी हमले के कुछ हफ्ते बाद हुए थे जिनमें करीब 3,000 लोगों की जान चली गई थी। अफगानिस्तान में अमेरिका ने इस्लामिक शासन को खत्म तो कर दिया है लेकिन 19 साल बाद अब तालिबान फिर से सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहा है।

इसी साल उसने अमेरिका के साथ सेना वापसी पर ऐतिहासिक समझौता किया और फिलहाल अफगान सरकार के साथ शांति समझौता कर रहा है। इन सबके बीच अफगानिस्तान में लोगों के मन में तालिबान को लेकर डर है। एक दौर ऐसा था जब वह अपने शासन के दौरान व्यभिचार के आरोप में महिलाओं को मौत के घाट उतार देता था, अल्पसंख्यक धर्म के सदस्यों को मारता था और उसके आतंकी लड़कियों को स्कूल जाने से रोक देते थे। कई अफगान तालिबान के नए युग को लेकर चिंतित हैं।

afganistan-army (social media)

बुरा सपना

काबुल की 26 साल की कतायून अहमदी को आज भी अच्छे से याद है कि काबुल की सड़कों पर कैसे मामूली अपराध के लिए तालिबान शरिया कानून के तहत हाथ और उंगलियां काट दिया करता था। 2001 के हमले ने युवा अफगानों के लिए कुछ स्थायी सुधारों की शुरुआत की, खासतौर पर लड़कियों के लिए और उन्हें शिक्षा का अधिकार भी मिला। दोहा में पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता में तालिबान ने महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की।

अहमदी के पति फराज फरनूद कहते हैं कि तालिबान और वॉशिंगटन में समझौते के बाद तालिबान की हिंसा से यह पता चलता है कि तालिबानी चरमपंथियों में कोई बदलाव नहीं आया है। 35 साल के फरनूद जब छोटे थे तब उन्होंने तालिबानी चरमपंथियों को महिलाओं को पत्थर मारते देखा, सरेआम कोड़े मारने की सजा देते देखा और काबुल के स्टेडियम में मौत की सजा पाते लोगों को भी देखा। जब तालिबान ने संगीत पर प्रतिबंध लगाया तो फरनूद के परिवार को टीवी एंटीना को पेड़ से छिपाना पड़ा। उनके मुताबिक, हमने 18 सालों में जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वह तालिबान के दौर में नहीं थीं।

ये भी पढ़ें:कोरोना से जंगः जड़ी बूटियों से इलाज को मंजूरी, स्पेनिश फ्लू में हुई थीं कारगर

अमेरिका को भरी नुकसान

अफगानिस्तान में अमेरिका को हमला करना काफी महंगा पड़ा है। अमेरिका को इस युद्ध में अब तक एक ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़े हैं और उसके 2,400 सैनिकों की युद्ध के दौरान मौत हो गई। पेंटागन इस युद्ध को निर्णायक स्थिति पर ना पहुंचने वाला युद्ध बता चुका है। दोहा में तालिबान के नेता और अफगानिस्तान सरकार लगातार बातचीत के जरिए एक सामान एजेंडा तैयार करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यह एजेंडा आगे आने वाले सालों के लिए तय होगा।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News