जम्मू कश्मीर के दौरे पर आएंगे 16 देशों के राजनयिक, क्या है माजरा

विदेशी राजनयिकों का एक दल गुरुवार को जम्मू कश्मीर का दौरा करेगा। भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक दो दिन के दौरे पर कश्मीर जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद राजनयिकों का ये पहला दौरा होगा।

Update:2020-01-09 10:02 IST

श्नीनगर: विदेशी राजनयिकों का एक दल गुरुवार को जम्मू कश्मीर का दौरा करेगा। भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक दो दिन के दौरे पर कश्मीर जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद राजनयिकों का ये पहला दौरा होगा। 16 देशों के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर में जमीनी हालत का जायजा लेगा।

 

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राज्य के दौरे पर जाने वाले राजनयिक सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा राज्य के सुरक्षा हालात के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि कई देशों के राजनयिकों ने सरकार से कश्मीर के दौरे का अनुरोध किया था। यह दौरा कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रोपगेंडा की सच्चाई से विदेशी राजनयिकों को अवगत कराने की सरकार की कोशिशों के तहत हो रहा है।

इस बीच, यूरोपीय संघ के देश के राजदूतों ने केंद्र को सूचित किया है कि वे किसी अन्य तारीख पर जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे और उन्होंने वहां के प्रमुख नेताओं से मिलने की इच्छा जताई है, जो अभी भी हिरासत में हैं। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्लाह, और महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में हैं। जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद ये दूसरा मौका होगा जब कोई विदेशी प्रतिनिधिमंडल कश्मीर के दौरे पर जाएगा।

इससे पहले, यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का शिष्टमंडल दो दिन के कश्मीर दौरे पर गया था। सरकार ने साफ किया था कि यूरोपीय सांसद निजी दौरे पर गए थे। हालांकि इस दौरे की व्यवस्था एक गैर सरकारी एनजीओ की ओर से की गई थी।16 देशों के राजनयिकों का ये दल वहां उपराज्यपाल जी सी मुर्मू और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेगा और अगले दिन दिल्ली लौटेगा। केंद्र की सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने का ऐलान किया था। सरकार ने राज्य से आर्टिकल 370 खत्म कर इसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने का फैसला किया था।

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फैसले के ऐलान के साथ ही ना सिर्फ संचार साधनों पर पाबंदिया लगाई गई थीं बल्कि ज्यादातर नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया था। संचार के साधनों पर पाबंदियां लगाते हुए उस समय फोन और इंटरनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। कुछ नेटवर्क पर एक जनवरी से एसएमएस सेवा शुरू की गई है। इंटरनेट अभी भी कश्मीर में नहीं चला है।

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