अमेरिका को तगड़ा झटका: UN का बहुत बड़ा खुलासा, अब क्या करेंगे राष्ट्रपति ट्रंप

अमेरिका और तालिबान में अफगान शांति प्रक्रिया को लेकर जारी बातचीत के बीच संयुक्त राष्ट्र(यूएन) ने बड़ा खुलासा किया है। यूएन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तालिबान और आंतकी संगठन अलकायदा के बीच अभी भी संबंध बने हुए हैं।

Update: 2020-10-19 07:03 GMT
अमेरिका और तालिबान में अफगान शांति प्रक्रिया पर बातचीत जारी है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा खुलासा किया है। तालिबान और अलकायदा के बीच संबंध अभी भी हैं।

लखनऊ: अमेरिका और तालिबान के बीच अफगान शांति प्रक्रिया के लिए बातचीत जारी है। अब इस बीच संयुक्त राष्ट्र(यूएन) ने ऐसा खुलासा किया है जिसके बारे में जानकर दंग रह जाएंगे। यूएन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि तालिबान और आंतकी संगठन अलकायदा के बीच अभी भी संबंध बने हुए हैं।

तालिबान और अलकायदा के मुखिया अयमान अल-जवाहिरी के बीच अभी भी करीबी संबंध हैं। तो वहीं अमेरिका ने यह शर्त रखी थी कि अफगान शांति प्रक्रिया में तालिबान का अलकायदा समेत किसी भी आतंकी संगठन से कोई संबंध नहीं रहेगा।

अफगानिस्तान में अब भी सक्रिय हैं अलकायदा के आतंकी

इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस), अलकायदा और तालिबान के लिए यूएन की मॉनिटरिंग टीम के कोआर्डिनेटर एडमंड फिटन ब्राउन ने यह बाते कहीं है। वह एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया के दौरान तालिबान ने अमेरिका को भरोसा दिया था कि वह अलकायदा से अपने संबंधों पूरी तरह समाप्त कर लेगा। लेकिन अलकायदा के हथियारबंद आतंकी अफगानिस्तान में अब भी सक्रिय हैं।

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तो वहीं तालिबान ने यूएन अधिकारी के इन दावों को झूठा बताया है। तालिबान का कहना है कि उसने अलकायदा के साथ कोई सलाह मशविरा नहीं किया। उसने आरोप लगाया कि कुछ खास खुफिया समूह अफगानिस्तान में शांति को बाधित करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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अमेरिका का ईरान पर बड़ा आरोप

अब अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद ने कहा कि ईरान अफगान शांति प्रक्रिया के खिलाफ है। उसका मकसद है कि अमेरिका अफगान युद्ध में लगा रहे और वह शांति प्रक्रिया के खिलाफ है। उसके दो चेहरे हैं है।

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उन्होंने आगे अपने बयान में कहा कि ईरान का विदेश मंत्रालय अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है और वह शांति प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक बातें करता है। ईरान शांति प्रकिया का विरोध है। वह अमेरिका को अफगान युद्ध में उलझाए रखना चाहता है।

अमेरिका और तालिबान के बीच अफगान शांति प्रक्रिया के बीच अगर यूएन का दावा सच साबित होता है, तो यह अमेरिका के लिए बहुत झटका साबित होगा। इसके साथ अफगान शांति प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

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