अंतरिक्ष युद्ध की जद में दुनिया, अमेरिका जुटा नयी सेना बनाने में, नाम होगा स्पेस फोर्स

Update:2018-08-12 16:23 IST

वाशिंगटन : दुनिया एक नए और बेहद भयानक खतरे की ओर बढ़ रही है। अब अंतरिक्ष को रणभूमि बनाने की होड़ में अमेरिका भी शामिल हो गया है। इस मुहिम में रूस और चीन पहले से ही जुटे हैं। हलाकि रूस और चीन में किसी तरह की अलग सैन्य इकाई नहीं बनायीं गयी है लेकिन अमेरिका को खतरा इस बात का है कि दोनों देश बड़ी संख्या में अंतरिक्ष में उपग्रह लांच कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अमेरिका संचार, नेवीगेशन और गुप्त सूचनाओं के लिए उपग्रहों पर अत्यधिक निर्भर हो गया है। ऐसे में अगर अमेरिकी उपग्रहों पर हमला होता है तो अमेरिका की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसीलिए वह पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे अपने उपग्रहों की सुरक्षा पुख्ता करने के लक्ष्य से इस नई सेना की तैनाती करना चाहते हैं। कुछ साल पहले चीन ने अपने एक निष्क्रिय हो चुके सेटेलाइट को धरती से मिसाइल दागकर नष्ट किया था। उसकी यह उपलब्धि भी अमेरिका की चिंता बढ़ाने वाली रही।

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अब अमेरिकी सेना में छठवीं इकाई

फिलहाल अमेरिकी सेना की पांच शाखाएं हैं- वायु सेना, थल सेना, कोस्ट गार्ड, मरीन और नौसेना। स्पेस फोर्स छठी शाखा बनेगी। विशेष रूप से यह ब्रांच जमीन के लिए नहीं बल्कि स्‍पेस के लिए तैयार की जाएगी। यही वजह है कि इस ब्रांच को स्‍पेस फोर्स का नाम दिया गया है। कहा जा रहा है कि 2020 तक औपचारिक रूप से यह सेना का अंग बनेगी। अंतरिक्ष में अगले विश्व युद्ध होने की आशंका के मद्देनजर अमेरिका की तैयारियां जोरों पर हैं। दुनिया में अब तक सिर्फ रूस के पास स्पेस फोर्स थी जो 1992-97 और 2001-11 में सक्रिय रही। हलाकि अभी ऐसी किसी युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं थी लेकिन जिस तरह विश्व की शक्तियां अंतरिक्ष में अपने संसाधन बढ़ा रही हैं उसमे अधिपत्य के लिए यद्ध अवश्यम्भावी होगा।

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ट्रंप ने नाम दिया स्पेस फोर्स

अभी तक इसका कोई अस्तित्व तो नहीं था लेकिन अब परिकल्पना के बाद क्रियान्वयन होने लगा है। यह सैन्य विभाग की ऐसी शाखा होती है जो अंतरिक्ष में युद्ध करने में सक्षम होती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए और स्वतंत्र सैन्य विभाग के लिए यही नाम सोचा है। फिलहाल अमेरिका में अंतरिक्ष के सभी मामले वायु सेना के अंतर्गत आते हैं। ट्रंप काफी समय से ऐसी सेना तैयार करने के विचार में थे, जिसका कद बिकुल वायु या थल सेना जितना हो।

अमेरिका के भीतर ही कई तरह की बहस

नयी स्पेस फाॅर्स को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही कई तरह की बहस शुरू हो गयी है। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के कुछ सदस्‍य ही ट्रंप की इस योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल अमेरिका में इस नई आर्म्‍ड फोर्स की शुरुआत पहले से ही हो रही थी। इसका खुलासा अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्‍स मैटिस ने पिछले वर्ष अक्‍टूबर में सदन को लिखे एक पत्र में किया था। उस वक्‍त उन्‍होंने इसको अमेरिका के लिए बड़ा चैलेंज भी कहा था । इससे जुड़ा एक बड़ा तथ्‍य यह भी है कि यह अमेरिकी बजट में बड़ा इजाफा भी करने वाला है। वहीं एक तथ्‍य यह भी है कि इस फोर्स का मकसद संयुक्‍त युद्धनी‍ति में अमेरिकी की मौजूदगी और उसकी बढ़त है।

युद्ध क्षेत्र नहीं होना चाहिए अंतरिक्ष

दुनिया के देशो ने युद्ध के कुछ मानक बनाये हैं। इसके तहत धरती पर कुछ ऐसी जगह हैं जहां पर युद्ध की गतिविधियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। इसमें अंटार्कटिका, नोर्वे आदि शामिल हैं। अंटार्कटिका को विश्‍व बिरादरी ने रिसर्च के मकसद से युद्धक क्षेत्रों से अलग किया है। वहीं नोर्वे में दुनिया का सबसे बड़ा बीज बैंक है, जो बर्फ की सतह से कई मीटर नीचे स्थित है। यहां पर धरती पर मौजूद लगभग हर वनस्‍पति के बीज मौजूद हैं। लिहाजा एक समझौते के तहत इसको भी इसी श्रेणी में रखा गया है। इसी तरह से स्‍पेस भी बि‍ल्‍कुल अलग है।

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