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व्हाट्सएप का नया बवाल! तो क्या एन्क्रिप्टेड नहीं है एप, जानिए फोन में कैसे आया पेगासस

अब इसपर ये कहा गया कि रिसीवर वॉयस कॉल और वीडियो कॉल एक्सेप्ट ही न करे, तो इसका जवाब ये है कि चाहे रिसीवर वॉयस कॉल और वीडियो कॉल एक्सेप्ट करे या न करे लेकिन तब भी ये स्पाइवेयर उनके फोन में दाखिल हो जाता है।

Manali Rastogi
Published on: 1 Nov 2019 12:13 PM IST
व्हाट्सएप का नया बवाल! तो क्या एन्क्रिप्टेड नहीं है एप, जानिए फोन में कैसे आया पेगासस
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नई दिल्ली: भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट को लेकर गुरुवार को फेसबुक के इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप ने एक बड़ा खुलासा किया था। व्हाट्सएप ने बताया था कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिये भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई है। सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय कोर्ट में सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप ने इसका खुलासा किया था।

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वहीं, इस खुलासे के बाद देश में हड़कंप मचा हुआ है। व्हाट्सएप ने गुरुवार को बताया था कि अत्यधिक सोफिस्टिकेटेड मेलवेयर का इस्तेमाल करके 1400 व्हाट्सएप यूजर्स को मई में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान टारगेट किया गया था। व्हाट्सएप ने ये भी बताया था कि इन 1400 यूजर्स के अलावा सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्यों को भी टारगेट किया गया था।

व्हाट्सएप का आरोप

व्हाट्सएप ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके सिस्टम के वीडियो कॉलिंग पर हुए बेहद गंभीर सोफिस्टिकेटेड मैलवेयर हमले को रोका था। वहीं, इससे प्रभावित हुए लोगों की जानकारी देने से व्हाट्सएप ने इनकार कर दिया था। ऐसे में सूत्रों के हवाले से इस स्पाईवेयर पेगासस से प्रभावित हुए लोगों के नाम सामने आए हैं।

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जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ की मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, नागपुर के मानवाधिकार वकील निहाल सिंह राठोर, वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता डेग्री प्रसाद चौहान, प्रोफेसर और राइटर आनंद टेलटुंबड़े, पत्रकार सिधान्त सिबल, मानवाधिकार वकील शलिनी गेरा, रूपाली जाधव, पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर सरोज गिरि, सीमा आज़ाद और स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा का नाम इस लिस्ट में शामिल है।

क्या है एनएसओ ग्रुप?

इस मामले में एनएसओ ग्रुप का नाम सामने आया है। एनएसओ ग्रुप एक इजरायली सर्विलांस कंपनी है, जो कि ऑनलाइन जासूसी के लिए काम करती है। एनएसओ ग्रुप स्पाईवेयर पेगासस के लिए फेमस हुआ है। बता दें, स्पाईवेयर पेगासस की वजह से सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि मेक्सिको के पत्रकार भी प्रभावित हुए हैं।

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इसके अलावा स्पाईवेयर पेगासस ने यूएई, बहरीन और सऊदी अरब का ऑनलाइन डेटा हैक किया था। इसमें जमाल खशोगी का नाम भी शामिल हैं। उनका ऑनलाइन डेटा हैक किया गया था। मालूम हो, जमाल खशोगी वही पत्रकार थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। इजरायली सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ अब व्हाट्सएप की ऑनर कंपनी फेसबुक ने मुकदमा दायर किया है।

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फेसबुक ने एनएसओ ग्रुप पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने यूएस कंप्यूटर फ्रॉड और अब्यूज एक्ट और कानूनों का उल्लंघन करते हुए यूजर्स के स्मार्टफोन को हैक करने के लिए व्हाट्सएप की एक खामी का इस्तेमाल किया। ऐसे में अब एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर कर लिया गया है।

किसकी खोज है एनएसओ ग्रुप?

जानकारी के अनुसार, एनएसओ ग्रुप की खोज इजरायल के सैन्य दिग्गजों से सेना से रिटायरमेंट के बाद की थी। शेवेल हुलियो और ओमरी लवी ने कंपनी की खोज की थी। कंपनी के संस्थापकों ने कुछ समय तक इजरायल के दिग्गजों द्वारा बनाए गए यूनिट 8200 तकनीक का इस्तेमाल किया था, जो कि पेगासस को लांच करने के लिए यूएस नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के समकक्ष था।

क्या एन्क्रिप्टेड नहीं है व्हाट्सएप?

व्हाट्सएप एन्क्रिप्टेड है, जिसका मतलब ये हुआ कि मैसेज केवल सेंडर और रिसीवर ही पढ़ सकते हैं। स्पाईवेयर पेगासस एन्क्रिप्शन को ब्रेक नहीं करता बल्कि ये यूजर के फोन को टार्गेट करता है। आमतौर पर स्पाईवेयर पेगासस मैसेज रिसीव करने वाले फोन को अपना निशाना बनाता है।

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दरअसल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की प्रक्रिया के दौरान कोई भी मैसेज रिसीवर द्वारा ही डिकोड किया जाता, ताकि रिसीवर उसे पढ़ सके। आम भाषा में समझे तो हम कोई भी मैसेज पढ़ने के लिए सबसे पहले उसे खोलते हैं यानि उसपर क्लिक करते हैं। जब हम मैसेज को पढ़ने के लिए क्लिक करते हैं तो इससे एक को मैसेज पढ़ने की अनुमति मिल जाती है।

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ऐसे में कई बार होता है, जब हमारे फोन में मौजूद कई तरह के वायरस मैसेज डिकोड होने के बाद उसे पढ़ लेते हैं, जिसकी वजह से हमारी निजी जानकारी थर्ड पार्टी के पास उपलब्ध हो जाती है। इस प्रक्रिया की वजह से आपकी कोई भी जानकारी वायरस के जरिये हैक की जा सकती है।

स्पाईवेयर पेगासस पर अनुत्तरित प्रश्न

ये मामला देखने में जितना सीधा है, असल में ये उतना सीधा नहीं है। दरअसल अभी भी इस मामले को लेकर कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं। हालांकि, इस मामले को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये है कि भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन में स्पाईवेयर पेगासस आया कहां से? वहीं, इस मामले के सामने आते ही भारत में हड़कंप मच गया है और विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोलना भी शुरू कर दिया है।

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वहीं, इस पूरे मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सएप से जवाब मांगा है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 नवंबर तक व्हाट्सएप से अपना जवाब देने के लिए कहा है। केंद्र सरकार ने यह जवाब तलब तब किया है, जब व्हाट्सएप ने कन्फर्म कर दिया है कि स्पाईवेयर पेगासस भारत में भी एक्टिव था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक विस्तृत जवाब मांगा है, गुरुवार को फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने कहा कि इजरायली स्पाईवेयर पीगासस भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रहा था।

विपक्ष का सरकार पर निशाना

इस जासूसी कांड को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां सरकार पर निशाना साध रही हैं, वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 4 नवंबर तक व्हाट्सएप से जवाब मांगा है। आपको बताते चलें कि अलावा बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि व्हाट्सऐप को उन लोगों के नामों का भी खुलासा करना चाहिए, जिनकी जासूसी की गई है।

फोन में कैसे आते हैं ये वायरस?

अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि ऐसे स्पाईवेयर किसी भी यूजर के फोन में कैसे आते हैं। दरअसल कई बार ऐसा होता है जब यूजर उनके फोन पर आए लिंक पर बिना किसी जानकारी के क्लिक कर देते हैं, जिसकी वजह से वह किसी दूसरे पेज पर रीडाइरेक्ट हो जाते हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि यूजर्स अपने मतलब का डेटा न होने के बाद भी फोन पर आए लिंक पर लिंक पर क्लिक कर देते हैं।

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मगर इस मामले में व्हाट्सएप का कहना है कि स्पाइवेयर अधिक उन्नत था, जिसकी वजह से वह आसानी से रिसीवर के फोन में चला गया। इस स्पाइवेयर ने व्हाट्सएप के वॉयस कॉल और वीडियो कॉल के जरिये रिसीवर के फोन में अपनी जगह बनाई।

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अब इसपर ये कहा गया कि रिसीवर वॉयस कॉल और वीडियो कॉल एक्सेप्ट ही न करे, तो इसका जवाब ये है कि चाहे रिसीवर वॉयस कॉल और वीडियो कॉल एक्सेप्ट करे या न करे लेकिन तब भी ये स्पाइवेयर उनके फोन में दाखिल हो जाता है। ऐसी स्थिति में ये कहना बिल्कुल गलत नहीं कि स्पाईवेयर पेगासस काफी अधिक उन्नत है।



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