लॉकडाउन: सरकार की बात मानी, बीमारी ने मारा, लाचारी में हुआ अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की गयी। बता दें की प्रवासी मजदूरों के लिए भी सरकार ने कहा था कि जो जहां पर है वहीं रहे, सबके खाने पीने की व्यवस्था की जाएगी।

Ashiki
Published on: 21 April 2020 8:33 AM GMT
लॉकडाउन: सरकार की बात मानी, बीमारी ने मारा, लाचारी में हुआ अंतिम संस्कार
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन की घोषणा की गयी। बता दें की प्रवासी मजदूरों के लिए भी सरकार ने कहा था कि जो जहां पर है वहीं रहे, सबके खाने पीने की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि की बहुतेरे मजदूर अपने गांवों की ओर कूच कर गए, लेकिन कुछ प्रवासी मजदूर अभी भी फंसे रह गए। इस बीच अंदर से झकझोर कर रख देने वाली घटना सामने आई है। इसे लॉकडाउन की मजबूरी कहें या एक मजदूर परिवार की गुरबत।

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बेबस पत्नी ने पति की जगह पुतले का किया अंतिम संस्कार

दरअसल 37 वर्षीय गोरखपुर निवासी सुनील की दिल्ली में चेचक से मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने किसी तरह परिवार को गोरखपुर में उसकी मौत की खबर दी। एक ओर गरीब पत्नी के पास पति की लाश ले जाने के लिए पैसे नहीं थे दूसरी ओर लॉकडाउन। पत्नी ने ग्राम प्रधान व अन्य लोगों से भी मदद मांगी, लेकिन शिवाय मायूसी के कुछ न हाथ लगा। बेबस पत्नी ने पति की जगह उसके पुतले का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया।

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...अंतिम संस्कार कर भेजवा दें अस्थियां

इसके साथ तहसीलदार से दिल्ली पुलिस को मैसेज भिजवा दिया कि पुलिस उसके पति का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दे। और हो सके तो अस्थियां गांव भेज दें। अब दिल्ली पुलिस भी पसोपेश में है। फिलहाल सुनील के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है।

गोरखपुर के गांव डुमरी-खुर्द, चौरी-चौरा निवासी सुनील दिल्ली के भारत नगर स्थित प्रताप बाग इलाके में किराए के मकान में रहता था और यहीं मजदूरी करता था। परिवार में पत्नी, चार बेटियां और एक साल का बेटा है। सुनील की बड़ी बेटी 10 साल की है। गांव में उसकी कोई जमीन नहीं है और परिवार झोपड़ी में रहता है। लॉकडाउन की वजह से सुनील दिल्ली में ही फंस गया। इस बीच उसे चेचक हो गया।

मृतक का परिवार

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11 अप्रैल को तबीयत बिगड़ी तो स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उसे बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां से उसे अलग-अलग तीन अस्पताल में रेफर किया गया। सफदरजंग अस्पताल में 14 अप्रैल को सुनील की मौत हो गई। उसकी कोरोना टेस्ट भी कराई गई, लेकिन रिपोर्ट भी निगेटिव आई। दूसरी तरफ परिवार सुनील को फोन करता रहा, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। क्योंकि, वह अस्पताल में जिंदगी-मौत से लड़ रहा था और मोबाइल उसके कमरे पर था।

परिवार लगातार करता रहा फ़ोन

लगातार फोन आने की वजह से मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई। पुलिस ने उसके मोबाइल को चार्ज किया। फिर से उसके घर वालों ने कॉल ट्राई किया तो पुलिस ने सुनील की पत्नी को उसकी मौत की खबर दी। साथ ही कहा कि वह शव को दिल्ली आकर ले जाए। पति के मौत की खबर सुन पत्नी पूनम बिलख उठी, लेकिन उसके पास इतने रुपये नहीं थे कि वह दिल्ली आकर शव ले जा सके। कोई उसकी मदद को भी तैयार नहीं हुआ।

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मजबूर होकर पूनम ने सुनील के शव की जगह उसका पुतला बनवाकर एक साल के बेटे से अंतिम संस्कार करा दिया। और तहसीलदार के जरिए संदेश भिजवाकर सुनील का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करने के लिए कह दिया।

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