एनपीआर के बारे में जानिए सब कुछ, क्या हैं उद्देश्य, चर्चा में क्यों

केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। 2021 की जनगणना से पहले अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा।

Dharmendra kumar
Published on: 24 Dec 2019 1:13 PM GMT
एनपीआर के बारे में जानिए सब कुछ, क्या हैं उद्देश्य, चर्चा में क्यों
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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। 2021 की जनगणना से पहले अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून पर बवाल के बीच एनपीआर को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल उठ रह हे हैं।

क्या है एनपीआर?

-एनपीआर भारत में रहने वाले नागरिकों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून 1955 और सिटिजनशिप रूल्स 2033 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार किया जाता है।

-एनपीआर देश के सामान्य निवासियों की एक सूची है।

-गृह मंत्रालय के मुताबिक, देश का सामान्य निवासी वह है जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से स्थानीय क्षेत्र में रहता है या अगले छह महीनों के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है।

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क्या हैं उद्देश्य?

देश के हर नागरिक की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के अाधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।

चर्चा में क्यों?

असम में 19 लाख लोगों को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर रखने के विवाद की पृष्ठभूमि में भारत सरकार द्वारा देशभर में नागरिकों की जनसंख्या का लेखा-जोखा रखने के लिये राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसने देश में नागरिकता के मुद्दे पर बहस को तेज कर दिया है।

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ऐसे तैयार होता है एनपीआर?

-नागरिकता कानून 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए। सिटिजनशिप ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 14A में यह प्रावधान तय किए गए हैं।

-केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है।

-सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है।

एनपीआर और एनआरसी में अंतर

-एनआरसी असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है जिसे असम समझौते को लागू करने के लिये तैयार किया जा रहा है।

-इसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया जा रहा है जो कि 25 मार्च 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं। उसके बाद राज्य में पहुंचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।

-एनआरसी के विपरीत एनपीआर एक नागरिकता गणना अभियान नहीं है, क्योंकि इसमें छह महीने से अधिक समय तक भारत में रहने वाले किसी विदेशी को भी इस रजिस्टर में दर्ज किया जायेगा।

-एनपीआर के तहत असम को छोड़कर देश के अन्य सभी क्षेत्रों के लोगों से संबंधित सूचनाओं का संग्रह किया जाएगा।

-एक राष्ट्रव्यापी एनआरसी के संचालन का विचार केवल आगामी एनपीआर के आधार पर होगा।

-निवासियों की एक सूची तैयार होने के बाद उस सूची से नागरिकों के सत्यापन के लिये एक राष्ट्रव्यापी एनआरसी को शुरू किया जा सकता है।

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क्या एनपीआर नया विचार है?

एनपीआर का विचार कांग्रेस की अगुवाई यूपीए सरकार के समय का है जब वर्ष 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा इसका प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन उस समय नागरिकों को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिये सबसे उपयुक्त आधार प्रोजेक्ट (UIDAI) का एनपीआर से टकराव हो रहा था।

-गृह मंत्रालय ने तब आधार की बजाय एनपीआर के विचार को आगे बढ़ाया, क्योंकि यह एनपीआर में पंजीकृत प्रत्येक निवासी को जनगणना के माध्यम से एक परिवार से जोड़ता था।

-एनपीआर के लिये डेटा को पहली बार वर्ष 2010 में जनगणना-2011 के पहले चरण, जिसे हाउसलिस्टिंग चरण कहा जाता है, के साथ एकत्र किया गया था।

-वर्ष 2015 में इस डेटा को एक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण आयोजित करके अपडेट किया गया था। हालांकि वर्तमान सरकार ने वर्ष 2016 में आधार को सरकारी लाभों के हस्तांतरण के लिये महत्त्वपूर्ण माना और एनपीआर की बजाय आधार कार्ड की संकल्पना को आगे बढ़ाया।

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क्या एनपीआर के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन जरूरी है?

नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के मुताबिक सेक्शन 14 के तहत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और एनपीआर इस दिशा में पहला कदम है।

एनपीआर में कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?

अप्रैल 2020 से सितंबर, 2020 के दौरान एनपीआर तैयार करने में जुटे कर्मी घर-घर जाकर डेटा जुटाएंगे। इसके बाद इस इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के तौर पर तैयार किया जाएगा। फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स जैसी चीजों को इसमें शामिल किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी।

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एनपीआर में कौन सी जानकारियां दर्ज होंगी?

एनपीआर रजिस्टर में व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम (यदि विवाहित हैं), लिंग, जन्मतिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बॉयोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा। 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा।

एनपीआर और आधार में संबंध

एनपीआर सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। इसमें एकत्र किये गए डेटा को आधार कार्ड जारी करने और इनके दोहराव को रोकने के लिये भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को भेजा जाएगा।

इस प्रकार NPR में जानकारी के तीन भाग होंगे- (i) जनसांख्यिकीय डेटा (ii) बायोमेट्रिक डेटा (iii) आधार नंबर (UID Number)।

एनपीआर पर विवाद क्यों?

एनपीआर का विचार ऐसे समय में चर्चा में आया है जब असम में लागू किये जा रहे एनआरसी से 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है। आधार तथा निजता के मुद्दे पर बहस जारी है और एनपीआर भारत के निवासियों की निजी जानकारी का एक बड़ा हिस्सा इकट्ठा करने पर आधारित है। एनपीआर पहले से मौजूद आधार, वोटर कार्ड, पासपोर्ट जैसे एक और पहचान पत्र की संख्या में वृद्धि करेगा।

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सरकार को डेटा क्यों चाहिये?

प्रत्येक देश में प्रासंगिक जनसांख्यिकीय विवरण के साथ अपने निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस होना चाहिये। यह सरकार को बेहतर नीतियां बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी मदद करेगा। इससे न केवल लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करने में मदद मिलेगी बल्कि कागज़ी कार्रवाई और लालफीताशाही में भी कमी होगी। इसके अलावा यह विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर निवासियों के डेटा को सुव्यवस्थित करेगा। जैसे- विभिन्न सरकारी दस्तावेज़ो में किसी व्यक्ति के जन्म की अलग-अलग तारीख होना आम समस्या है। एनपीआर से इस समस्या का समाधान होने की संभावना है।

एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं: प्रकाश जावड़ेकर

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए की सरकार में शुरू हुआ था। सारे लोगों का एक कार्ड मनमोहन जी ने वितरित किया था। 2015 में इसका अपडेशन हुआ था। इसमें कोई भी प्रूफ देने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने साफ कहा है कि न कागज देना है न बॉयोमेट्रिक है। आप जो कहोगे वही सही है, क्योंकि हमें जनता पर भरोसा है। इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। सभी राज्यों ने इसके नोटिफिकेशन निकाले हैं। इसमें कुछ भी नया नहीं है जो भी भारत में रहता है उसकी गणना इसमें होगी। कैबिनेट ने एनपीआर के लिए 3941 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

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प्रकाश जावडेकर ने एनपीआर के फायदे भी गिनाएं। उन्होंने कहा कि इससे तीन फायदे होंगे। आयुष्मान योजना जैसे सभी स्कीम के लिए सही पहचान करने में आसानी होगी. सही और सभी लाभार्थियों तक पैसा पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है। इसे यूपीए सरकार ने शुरू किया था। यह अच्छा काम था जिसे हम जारी रख रहे हैं।

Dharmendra kumar

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