×

बड़ी खबर: इन राज्यों में नए राज्यपाल, एक ने गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा

देश की राष्ट्रपति की तरफ से रविवार को पांच राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति और तबादले किये गए हैं। ये राज्य राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र और हिमाचल प्रदेश हैं जिनमें नए राज्‍यपालों की नियुक्ति की गई है।

Vidushi Mishra
Published on: 1 Sept 2019 12:19 PM IST
बड़ी खबर: इन राज्यों में नए राज्यपाल, एक ने गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा
X
बड़ी खबर: इन राज्यों में नए राज्यपाल, एक ने गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा

नई दिल्ली : देश के राष्ट्रपति की तरफ से रविवार को पांच राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति और तबादले किये गए हैं। ये राज्य राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, तेलंगाना, केरल और हिमाचल प्रदेश हैं जिनमें नए राज्‍यपालों की नियुक्ति की गई है। कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्‍त किया गया है। अब तक वह हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल की जिम्‍मेदारी निभा रहे थे। बंडारू दत्‍तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का नया राज्‍यपाल नियुक्‍त किया गया है।

यह भी देखें... आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया

इसके साथ ही भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्‍ट्र का राज्‍यपाल नियुक्‍त किया गया है। तमिलिसाई सौंदरराजन को तेलंगाना के नये राज्‍यपाल की जिम्‍मेदारी दी गई है। आरिफ मोहम्‍मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्‍त किया गया है।

आइए आपको बताते हैं इन राज्यपालों के बारे में

कलराज मिश्र

Kalraj Misra

कलराज मिश्र का जन्म 1 जुलाई 1941 को गाजीपुर जिले के सैदपुर के मलिकपुर गांव में हुआ था। सन् 1963 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में उन्होंने गोरखपुर से राजनीतिक जीवन शुरू किया। जनता पार्टी की सरकार में पहली बार दो मार्च 1978 को उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। वह सबसे कम उम्र के राज्यसभा सदस्य थे।

इसके बाद 2002 से 2012 तक दो बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए। इसी बीच वर्ष 2012 में इन्होंने लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर वह विधानसभा में पहुंच गए थे।

यह भी देखें... मालदीव की संसद में पाकिस्तान के मंसूबे नाकाम, पाक प्रतिनिधि को रोका गया

बंडारू दत्तात्रेय

बंडारू दत्तात्रेय

बंडारू दत्तात्रेय भारतीय राजनेता हैं। वह भारतीय जनता पार्टी से संबंधित है। वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की संयुक्त आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष थे। उनका जन्म 26 फरवरी, 1947 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था और आमतौर पर दत्तन्ना कहा जाता था। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद आंध्र प्रदेश से बीएससी की डिग्री ले रखी है। 1989 में उन्होंने वसंता से विवाह किया था।

उनके दो बच्चे पुत्र नामित वैष्णव बंडारू और बेटी विजया लक्ष्मी है। 23 मई, 2018 को हार्ट अटैक के कारण बंडारू दत्तात्रेय का बेटा 21 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गया।

यह भी देखें... मोदी गुफा की बुकिंग शुरू! ऐसे करें बुक, हजार से है स्टार्टिंग

भगत सिंह कोश्यारी

भगत सिंह कोश्यारी

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखण्ड के कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले के एक गॉंव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।

कोश्यारीजी का राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ शिक्षणकाल के दौरान ही प्रारम्भ हो गया था। शिक्षणकाल में ही अपने जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिये समर्पित कर चुके हैं। वर्ष 2005-2007 के बीच वे भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखण्ड राज्य प्रमुख थे। उस समय मातबर सिंह कण्डारी विपक्ष के नेता थे।

यह भी देखें... देख लो पाकिस्तान! यहां हिंदू कर रहे मस्जिद की रक्षा, इमरान भड़काने में जुटे

तमिलिसाई सुंदरराजन

तमिलिसाई सुंदरराजन

तमिलिसाई साउंडराजन एक मेडिकल डॉक्टर हैं, जो तेलंगाना के गवर्नर पद को सुशोभित करेंगी। वह तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी की अध्यक्ष हैं। इस नियुक्ति से पहले वह भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव थी। इनका जन्म नागरकोइल, कन्याकुमारी जिले में 2 जून 1961 को हुआ था।

इन्हें 1 सितंबर, 2019 को भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के आदेश से तमिलिसाई को तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

यह भी देखें... ट्रैफिक नियम का किया उल्लंघन तो आज से पड़ेगा दोगुना जुर्माना

आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान

आरिफ मोहम्मद खान को केरल का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 1951 में जन्मे आरिफ मोहम्मद खान का परिवार बहराइच से ताल्लुक रखता है।

यह भी देखें... यहां देवी मां को बंद आंखों से कराते है स्नान, पांडव पुत्रों ने लिया था यहां शरण

बुलंदशहर ज़िले में 12 गांवों को मिलाकर बने इस इलाके में शुरुआती जीवन बिताने के बाद खान ने दिल्ली के जामिया मिलिया स्कूल से पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की।

पढ़ाई के बाद से ही आरिफ मोहम्मद खान राजनीति से जुड़ गए थे। भारतीय क्रांति दल नाम की स्थानीय पार्टी के टिकट पर पहली बार खान ने बुलंदशहर की सियाना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। फिर 26 साल की उम्र में 1977 में आरिफ मोहम्मद पहली बार विधायक चुने गए थे।

इस समय कांग्रेस में हुए थे शामिल

आरिफ मोहम्मद खान ने विधायक बनने के बाद कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और सन् 1980 में कानपुर से और सन् 1984 में बहराइच से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने।

इसी समय शाह बानो केस चल रहा था और आरिफ मोहम्मद मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में वकालत कर रहे थे। लेकिन इनके इस फैसले से राजनीति और मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग इनके विचारों के विरोध में दिख रहा था। सन् 1986 में शाहबानो मामले में राजीव गांधी और कांग्रेस के स्टैंड से नाराज होकर आरिफ मोहम्मद ने पार्टी और अपना मंत्री पद छोड़ दिया।

यह भी देखें... ISI से पैसा लेते हैं बीजेपी-बजरंग दल, कांग्रेस का विवादित बयान

इसके बाद आरिफ मोहम्मद ने जनता दल का दामन थाम लिया और सन् 1989 में फिर सांसद चुने गए। जनता दल के शासनकाल में खान ने नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में काम किया, लेकिन बाद में उन्होंने जनता दल छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा।

बसपा के टिकट से सन् 1998 में वो चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। फिर सन् 2004 में, आरिफ ने भाजपा ज्वाइन की। भाजपा के टिकट पर कैसरगंज सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

इसके बाद 2007 में इन्होंने भाजपा को भी छोड़ दिया क्योंकि पार्टी में उन्हें अपेक्षित तवज्जो नहीं दी जा रही थी। फिर बाद में 2014 में बनी भाजपा की केंद्र सरकार के साथ उन्होंने बातचीत कर तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई।

ये था शाह बानो केस

दरअसल बात है सन् 1978 की। जब पेशे से वकील अहमद खान ने अपनी पहली पत्नी शाह बानो को तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया था। शाह बानो समान नागरिक संहिता की दलील लेकर गुज़ारा भत्ता मांगने के लिए अपने पति के खिलाफ अदालत पहुंच गई थीं।

यह भी देखें... NRC ने लाखों लोगों को अपने ही देश में विदेशी बना दिया: प्रशांत किशोर

सुप्रीम कोर्ट ने भी शाह बानो के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन सालों तक चली इस कानूनी लड़ाई के बीच इस केस पर बहस के चलते मुस्लिम समाज तीन तलाक और मुस्लिम महिला के कोर्ट में जाने के खिलाफ आंदोलित हुआ था।

आरिफ मोहम्मद खान ने की थी पैरवी

राजीव गांधी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ज़बरदस्त पैरवी की थी, और 23 अगस्त 1985 को लोकसभा में दिया गया खान का भाषण मशहूर और यादगार हो गया था।

आखिरकार, इस केस में हुआ ये कि मुस्लिम समाज के दबाव में आकर राजीव गांधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ संबंधी एक कानून संसद में पास करवा दिया, जिसने शाह बानो के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया। और तब, खान ने राजीव गांधी के इस स्टैंड के खिलाफ मुखर होते हुए न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि कांग्रेस से भी दामन छुड़ा लिया।

यह भी देखें... खतरे में मुंबई! इस दिन हो सकता है आतंकी हमला, अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां

नियुक्ति पर ये बोले राज्यपाल

केरल के राज्यपाल नियुक्त किये जाने पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- 'यह सेवा करने का अवसर है। भारत जो विविधता में इतना विशाल और समृद्ध है, वहां पैदा होने का सौभाग्य मिला है। यह मेरे लिए भारत के इस हिस्से को जानने का एक शानदार अवसर है, जो भारत की सीमा बनाता है और इसे भगवान का देश कहा जाता है।'



Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story