×

गांधी-कस्तूरबा और वो! नहीं सुने होंगे ये अनसुने तथ्य

खास बात यह है कि वर्तमान समय में मनु गांधी की डायरी 12 खंडों में भारत के अभिलेखागार में संरक्षित हैं, ये सभी गुजराती भाषा में लिखी गई हैं। उन्होंने इस डायरी में गांधी के भाषणों और पत्रों को शामिल किया है, इनमें उनके कुछ अंग्रेज़ी के वर्कबुक भी शामिल हैं। इसका बाद में अंग्रेज़ी में अनुवाद कर प्रकाशित किया गया।

Harsh Pandey
Published on: 1 July 2023 4:05 AM GMT
गांधी-कस्तूरबा और वो! नहीं सुने होंगे ये अनसुने तथ्य
X

यह भी पढ़ें: इतिहास ए नोट! इसलिए आपके जेब में रहते हैं गांधी जी

नई दिल्ली: 2 अक्टूबर यानी आज का दिन, पूरा देश गांधी और शास्त्री जयन्ती मना रहा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गजों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, आज पूरा राष्ट्र महात्मा गांधी को याद कर रहा है, आईये आपको बताते है गांधी जी से जुड़े कुछ अनसुने तथ्य....

कहानी है 30 जनवरी 1948 की, शाम का वक़्त था, महात्मा गांधी अपने घर से बगीचे में होने वाली प्रार्थना सभा के लिए निकले थे। बताया जा रहा है कि वो दिल्ली में जिस घर में जहां रहते थे, वो एक बड़े भारतीय उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला का घर था।

यह भी पढ़ें: जयंती विशेष: शास्त्री की एक अपील पर, भूखा रहा था देश

इतिहास के पन्नों को पलटें तो, 78 साल के गांधी जैसे ही प्रार्थनासभा मंच की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, ख़ाकी कपड़ों में एक आदमी भीड़ से निकलता है, मनु को एक तरफ़ धकेलता है और पिस्टल निकाल कर दुर्बल नेता के सीने और पेट में तीन गोलियां उतार देता है।

इसके बाद गांधी लहुलूहान होकर गिर जाते हैं, मुंह से 'हे राम...' बोलते हैं और उस महिला की बाहों में दम तोड़ देते हैं, जो उनके अंतिम वक़्त के संघर्ष और तकलीफ़ों की गवाह होती है।

गांधी की चाहत, वह बने अंतिम पलों की गवाह....

बताया जाता है इस घटना से एक साल से भी कम समय पहले, मई 1947 में गांधी ने मनु से कहा था कि वो चाहते थे कि वो उनके अंतिम वक़्त की गवाह बने।

यह भी पढ़ें: महात्मा गांधी के जीवन की कुछ अनदेखी तस्वीरें, जिन्हें आजतक नहीं देखा होगा आपने

इत्हासकारों के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मनु को गिरफ़्तार किया गया था, उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 14 साल थी और वो सबसे कम उम्र के क़ैदियों में से एक थीं। वहां उनकी मुलाक़ात महात्मा गांधी से हुई थी, उन्होंने उनके साथ क़रीब एक साल बिताया। बताते चलें कि यह बात 1943-44 की है।

जेल में मनु ने शुरू की डायरी लिखना...

कहा जाता है कि जेल में मनु ने डायरी लिखना शुरू किया था, अगले चार सालों में वह किशोरी एक बेहतरीन लेखक बन गई थी।

खास बात यह है कि वर्तमान समय में मनु गांधी की डायरी 12 खंडों में भारत के अभिलेखागार में संरक्षित हैं, ये सभी गुजराती भाषा में लिखी गई हैं। उन्होंने इस डायरी में गांधी के भाषणों और पत्रों को शामिल किया है, इनमें उनके कुछ अंग्रेज़ी के वर्कबुक भी शामिल हैं। इसका बाद में अंग्रेज़ी में अनुवाद कर प्रकाशित किया गया।

मृत्यु तक वो गांधी की चर्चा...

दरअसल, जब गांधी को गोली लगी तो वो मनु पर गिर गए थे, उस वक़्त उनके साथ हमेशा रहने वाली उनकी डायरी अचानक उनके हाथों से छूट गई। उस दिन के बाद से उन्होंने अपने साथ डायरी रखना बंद कर दिया था।

यह भी पढ़ें: गांधी जयन्ती150: विश्व अहिंसा दिवस पर UN के साथ दुनिया कर रही बापू को याद

कई किताबें लिखीं और अपनी मृत्यु तक वो गांधी के बारे में बातें करती रहीं, उनकी मौत 42 साल की उम्र में 1969 में हो गई थी।

डायरी का पहले भाग...

डायरी के पहले भाग से मनु के व्यक्तित्व के बारे में परिचय का पता चलता है कि वो एक असाधारण और जुनूनी लड़की थीं, जिनकी सोच अपने समय से काफ़ी आगे की थी।

डायरी में उन्होंने अपने क़ैद के दिनों के बारे में काफ़ी चर्चा की है, उस वक्त महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का स्वास्थ्य काफ़ी तेज़ी से गिर रहा था, मनु ने लिखा है कि वो उनकी बिना थके देखभाल करती थीं।

डायरी में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि कि वो उनकी बिना थके कस्तूरबा गांधी का देखभाल करती थीं, सब्जियां काटना, खाना बनाना, कस्तूरबा की मालिश करना और उनके बालों में तेल लगाना, सूत कातना, प्रार्थना करना, बर्तन साफ़ करने जैसे कई दैनिक काम वो किया करती थीं।

जेल का दर्द भरा वो दिन...

यह भी पढ़ें: मैने गांधी वध क्यों किया! आखिर क्या थी इसकी सच्चाई

गांधी और उनके सहयोगियों के साथ उनका जेल का जीवन पूरी तरह से उदासीन नहीं था, मनु ग्रामोफोन पर संगीत सुना करती थीं, जेल में वे लंबी सैर पर निकलती थीं। वो गांधी के साथ टेबल टेनिस और कस्तूरबा के साथ कैरम खेलती थीं, उन्होंने इस दौरान चॉकलेट भी बनाना सीखा था।

इसके साथ ही डायरी में कुछ दुख भरी घटनाओं का भी ज़िक्र है, उन्होंने अपनी डायरी में दो मौतों के बारे में लिखा है, जिन्होंने गांधी को अंदर से तोड़ कर रख दिया था। ये मौतें थीं महादेव देसाई और कस्तूरबा गांधी की।

गांधी के निजी सचिव थे महादेव देसाई...

बताते चलें कि फ़रवरी 1944 में कस्तूरबा गांधी की मौत हो गई थी. इसके पहले के कुछ दिन काफ़ी दुख भरे थे। एक रात कस्तूरबा अपने पति से कहती हैं कि वो काफ़ी दर्द में हैं और "ये मेरी आख़िरी सांसें हैं।" इसके बाद गांधी कहते हैं कि "जाओ. लेकिन शांति के साथ जाओ. क्या तुम ऐसा नहीं करोगी?"

डायरी के जिक्र कहानियों के अनुसार सर्दियों की एक शाम कस्तूरबा की मौत हो गई, उस वक़्त उनका सिर गांधी की गोद में था और गांधी अपनी आंखें बंद कर अपने सिर को उनके सिर पर रख देते हैं, जैसे वो उन्हें आशीर्वाद दे रहे हों।

यह भी पढ़ें: #महात्मा गांधी150: पीएम मोदी और सोनिया समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

मनु ने लिखा...

मनु ने अपनी डायरी में लिखती हैं कि उन्होंने एक साथ अपना जीवन गुज़ारा था। अंतिम वक़्त में वो अपनी ग़लतियों के लिए उनसे क्षमा मांग रहे थे और उन्हें विदाई दे रहे थे, उनकी नब्ज़ रुक जाती है और वो अंतिम सांस लेती हैं।"

कहा जाता है कि मनु जैसे ही बड़ी हुईं, तो उनकी लेखनी में काफ़ी बदलाव देखने को मिला। उनके विचार काफी बड़े हो गये थे।

गौरतलब है कि 2 अक्टूबर यानी आज का दिन, पूरा देश गांधी और शास्त्री जयन्ती मना रहा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गजों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, आज पूरा राष्ट्र महात्मा गांधी को याद कर रहा है।

Harsh Pandey

Harsh Pandey

Next Story