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Kejriwal Government: क्या एक मुख्यमंत्री जेल से चला सकता है सरकार? क्या कहते हैं नियम? केजरीवाल को लेकर आप के ऐलान के पीछे की क्या है रणनीति
Kejriwal Government: दिल्ली में सोमवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक हुई थी। सभी विधायकों ने कहा कि चाहे पुलिस कस्टडी से सरकार चले या जेल से अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली की सत्ता चलाएंगे वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे, क्योंकि वोट उन्हीं के नाम पर मिला है।
Kejriwal Government: दिल्ली शराब घोटाले मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन केजरीवाल ईडी के बुलावे पर नहीं गए। दिल्ली शराब घोटाले की जांच की आंच अब मुख्यमंत्री केजरीवाल तक पहुंच चुकी है। इस मामले में केजरीवाल फंसते और घिरते नजर आ रहे हैं। अब यह चर्चा है कि आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है। ईडी ने उन्हें समन भेजा था और दो नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके बाद से ही ऐसी अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की है चर्चा-
सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की चर्चा ये तो रहा पहला सवाल, अब दूसरा सवाल यहां ये है कि मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह के बाद अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी गिरफ्तारी हो जाती है और वह भी जेल जाते हैं तो सरकार का क्या होगा?, आम आदमी पार्टी का क्या होगा? और सबसे बड़ा यह सवाल की
दिल्ली का क्या होगा?
फिर सवाल यह भी है कि क्या केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर रह पाएंगे। इस समय ये सवाल चर्चा में हैं और इन सवालों के बीच दिल्ली सरकार ने अब ये कहना शुरू कर दिया है कि, अगर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो भी सरकार केजरीवाल ही चलाएंगे। वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जेल से ही फैसले लेंगे।
इसके लिए बीते सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के विधायकों के साथ एक अहम बैठक भी की थी। इस दौरान सभी विधायकों ने एक सुर में कहा कि भाजपा को अरविंद केजरीवाल से डर है और वे चाहते हैं कि केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से हटाया जाए।
...तो जेल से सरकार चलाने की तैयारी में आप-
आप विधायक और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अलग-अलग गिरफ्तारी से अरविंद केजरीवाल पर दबाव बनाया जाता है, ताकि ये इस्तीफा दें और सत्ता ली जाए, लेकिन सभी विधायकों ने कहा कि चाहे पुलिस कस्टडी से सरकार चले या जेल से अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली की सत्ता चलाएंगे वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे, क्योंकि वोट उन्हीं के नाम पर मिला है।
सीएम जेल गए तो वहीं होंगी बैठकेंः सौरभ भारद्वाज-
दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि कानून और संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एक सिटिंग सीएम को ट्रायल के नाम पर जेल में डालने की कोशिश की जाए और इसके लिए इस्तीफा लिया जाए। भारद्वाज ने बताया कि हमने बैठक में कहा कि ‘अरविंद जी ही मुख्यमंत्री रहें, अधिकारी जेल में ही जाएंगे, हम कैबिनेट मंत्री भी वहीं काम कराने जाएंगे और जैसा माहौल है हो सकता है कि हम सब जेल ही चलें जाएं। ऐसा हुआ तो भी वहीं से सरकार चलेगी। वहीं अधिकारी को बुलाएंगे और जो विधायक बाहर रहेंगे वे जमीन पर काम करेंगे।'
लेकिन अब यहां सवाल उठता है कि क्या ये संभव है? ये जितनी बातें हो रही हैं, सवाल उठता है कि क्या ये सभी व्यवहारिक हैं? इसका जवाब संविधान देता है। भारत में प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर इस पद की शक्ति राष्ट्रपति और राज्यपाल से इस मामले में कुछ कम है। क्योंकि राष्ट्रपति और राज्यपाल पर पद पर रहते हुए दिवानी और फौजदारी दोनों ही मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पद को यह छूट नहीं मिली हुई है।
क्यों? जेल से सरकार चलाना प्रैक्टिकल नहीं हैं?-
फिर भी दीगर बात यह है कि गिरफ्तारी होना, दोषसिद्धि नहीं है, ऐसे में किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी होने से तुरंत ही उनका पद नहीं जा सकता है। ठीक यही बात मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए भी लागू होती है। अगर वह गिरफ्तार होते भी हैं तो भी मुख्यमंत्री बने रहेंगे, लेकिन सरकार चलाने के लिए अपनी अलग स्वतंत्रता और संप्रुभता बेहद जरूरी है। अगर मुख्यमंत्री पद का कोई व्यक्ति जेल में है तो उसे भी जेल मैन्युअल फॉलो करने ही होंगे, क्योंकि पद के अनुसार जेल में कोई अलग प्रावधान नही हैं। ऐसे में विधायकों से मिलना, अधिकारियों से मीटिंग करना और विभागों को देखना इन पर रोक लग सकती है।
प्रैक्टिकली फिट नहीं बैठती है-
मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि सीएम अगर जेल जाते हैं तो मंत्री, अधिकारी और विधायक भी वहीं जाकर बैठक करेंगे। ये बात भाषण देने तक तो ठीक है, लेकिन प्रैक्टिकली फिट नहीं बैठती है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने इसके लिए अनुमति मांगने की बात कही थी। अगर कोर्ट में इस तरह का मामला पहुंचता है तो वह भी अलग से विचारणीय होगा, कोर्ट तुरंत तो इस पर सोच-विचार कर आदेश-निर्देश तो नहीं दे सकता। ऐसे में जेल में रहकर दिल्ली की सरकार चलाना... अभी यह बात कल्पना सरीखी ही है।
कब हो सकती है किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी?-
- कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है। ये छूट केवल सिविल मामलों में ही है, क्रिमिनल मामलों में नहीं।
-इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो पहले सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है। धारा ये भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है।
- इतना ही नहीं, संसद परिसर या विधानसभा परिसर या विधान परिषद के परिसर के अंदर से भी किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकते, क्योंकि यहां अध्यक्ष या सभापति का आदेश चलता है।
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लेकिन क्रिमिनल मामलों में हो सकती है गिरफ्तारी-
चूंकि प्रधानमंत्री संसद के और मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य होते हैं, इसलिए उन पर भी यही नियम लागू होता है। ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में तो मिली है पर क्रिमिनल मामलों में नहीं।
-यानी, क्रिमिनल मामलों में संसद के सदस्य या विधानसभा के सदस्य या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है, लेकिन उसकी जानकारी अध्यक्ष या सभापति को देनी होती है।
राष्ट्रपति-राज्यपाल की गिरफ्तारी पर क्या है नियम?
-संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को छूट दी गई है। इसके तहत, राष्ट्रपति या किसी राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। कोई कोर्ट उनके खिलाफ कोई आदेश भी जारी नहीं कर सकती।
- राष्ट्रपति और राज्यपाल को सिविल और क्रिमिनल, दोनों ही मामलों में छूट मिली हुई है। हालांकि, पद से हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है।
लालू और जयललिता, जिन्हें जाना पड़ा था जेल-
बात अगर किसी मुख्यमंत्री के जेल जाने की हो रही है तो इतिहास पर भी एक नजर डाल जरूरी है। अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे मुख्यमंत्री नहीं होंगे जो जेल जा सकते हैं। बल्कि भारतीय राजनीति के इतिहास में पहले भी कई पदासीन मुख्यमंत्रियों को जेल जाना पड़ा है। इनमें दो नाम तो बेहद खास हैं। पहला- बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव का है तो दूसरा नाम है, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जयललिता का। इन दोनों ही मुख्यमंत्रियों को पद पर रहते हुए गिरफ्तारी देनी पड़ी थी।
जब लालू गए थे जेल, सीएम बनीं थीं राबड़ी देवी-
मुख्यमंत्री केजरीवाल की चर्चा के बीच अगर पुराने मामलों को देखें तो बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव के साथ ऐसा ही मामला देखने को मिलता है। चारा घोटाले के कारण लालू प्रसाद यादव को 1997 में बिहार के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। यह मामला सबसे पहले 27 जनवरी, 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले के चायबासा में पशुधन विभाग पर मारे गए एक छापे के बाद सामने आया।
90 के दशक में सामने आया था चारा घोटाला-
पता चला कि 90 के दशक में बिहार (तब झारखंड भी शामिल) में पशुचारा आपूर्ति करने के नाम पर ऐसी कंपनियों को सरकारी कोषागार से धनराशि जारी की गई जिनका अस्तित्व ही नहीं था। पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च, 1996 को 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को पटना हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि की और अदालत की दो सदस्यों की बेंच को मामले पर नजर रखने को कहा।
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सीबीआई ने राज्यपाल से मांगी थी अनुमति-
सीबीआई ने 10 मई, 1997 को राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। (यह बात मुख्य है कि सीबीआई ने राज्यपाल से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।) राज्यपाल ने 17 जून, 1997 को लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। सीबीआई टीम ने 21 जून, 1997 को लालू प्रसाद यादव और उनके रिश्तेदारों के घरों पर छापा मारा। इसके बाद सीबीआई ने 23 जून, 1997 को लालू और अन्य 55 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।
लालू का इस्तीफा, सीएम बनीं राबड़ी देवी-
इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 (बी) (आपराधित षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (बी) के तहत 63 केस दर्ज किए गए। सीबीआई के विशेष न्यायालय ने जुलाई 1997 में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 27 जुलाई, 1997 को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया।
राबड़ी भी मामले में फंसी, लेकिन मिली जमानत
लालू प्रसाद यादव 30 जुलाई, 1997 को सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 19 अगस्त, 1998 को आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया। चार अगस्त, 2000 को राबड़ी देवी को भी लालू प्रसाद यादव के साथ आय से अधिक संपत्ति मामले में सह अभियुक्त बनाया गया। पांच अगस्त, 2000 को दोनों ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। राबड़ी देवी को जमानत मिल गई और लालू प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ा।
जयललिता थीं गिरफ्तार होने वाली पहली मुख्यमंत्री-
जयललिता गिरफ्तार होने वाली पहली सीएम थीं। जयललिता पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन 1996 के चुनाव में उनके राजनीतिक दल एआईएडीएमके को करारी हार का सामना करना पड़ा और जयललिता अपनी सीट तक नहीं बचा पाईं। 1996 से 2001 के बीच डीएमके की करुणानिधि सरकार ने आय से अधिक संपत्ति के कानून के तहत जयललिता के खिलाफ भ्रष्टाचार के दर्जनों और मामले दर्ज किए।
'कलर टीवी घोटाला' में-
जयललिता पर मुख्यमंत्री रहते हुए ऊंचे दामों पर कलर टीवी की खरीदने का आरोप था। मामले में जयललिता अपनी करीबी दोस्त शशिकला के साथ दिसंबर 1996 में गिरफ्तार हुईं। हालांकि साल 2000 में दोनों को इस मामले में बरी कर दिया गया था।
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जब सुप्रीम कोर्ट ने सीएम बनने पर लगा दी रोक-
1996 से 2001 के बीच दायर मामलों में 'तनसी घोटाला' के तहत साल 2000 में वो और शशिकला इस मामले में दोषी पाई गईं और उन्हें जुर्माने के साथ दो साल की सजा सुनाई गई। मद्रास हाई कोर्ट में अपील दायर कर जयललिता ने अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ा। 2001 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को फिर जीत मिली, पर तनसी घोटाले में दोषी पाए जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता के मुख्यमंत्री बनने पर रोक लगा दी। जिस वजह से ओ. पनीरसेलवम को पहली बार तमिलनाडू का मुख्यमंत्री बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वे सत्ता में बनी नहीं रह सकतीं। 2002 में मद्रास हाई कोर्ट से बरी होने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं।
अब ईडी द्वारा मुख्यमंत्री केजरीवाल को अरेस्ट करने की चर्चाएं हो रही हैं तो कई सवाल भी उठ रहे हैं और ये सवाल उठने भी लाजमी हैं।