×

कोविड-19 ने कौशल प्रशिक्षण मॉडल में बदलाव की शुरुआत की: रिपोर्ट

भारत की बढ़ती युवा आबादी जब काम करने वालों के समूह में शामिल हो रही है तो सरकार कार्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भारी निवेश कर रही है। निजी संगठनों ने भी कौशल की कमी को कम करने में अहम भूमिका निभाई है।

Newstrack
Published on: 20 March 2021 8:04 PM IST
कोविड-19 ने कौशल प्रशिक्षण मॉडल में बदलाव की शुरुआत की: रिपोर्ट
X
कौशल में अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश के बाद, भिन्न कौशल विकास मॉडल की कार्यकुशलता और प्रभाव के बारे में प्रमुख जानकारी दी गई है।

नई दिल्ली: जेपी मोर्गन द्वारा समर्थित और सत्व कंसलटिंग तथा नैसकॉम फाउंडेशन ने एक नई अनुसंधान रिपोर्ट जारी की है। इसमें कौशल में अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश के बाद, भिन्न कौशल विकास मॉडल की कार्यकुशलता और प्रभाव के बारे में प्रमुख जानकारी दी गई है।

इस रिपोर्ट का लोकार्पण एक वर्चुअल कांफ्रेंस में किया गया जिसका विषय था, अंडरस्टैंडिंग द रिटर्न ऑन स्किल्स ट्रेनिंग मॉडल्स इन इंडिया (भारत में कौशल प्रशिक्षण मॉडल के लाभ को समझना)। 40 कौशल विकास और फंडिंग संगठनों से जुटाए गए डाटा के आधार पर रिपोर्ट में उन कारणों की पहचान की गई है जो निवेश पर बेहतर लाभ देने में सहायक हो सकते हैं। साथ ही, उन व्यवहारों को रेखांकित किया गया है जो महामारी के बाद की दुनिया में वेतन और प्लेसमेंट (तैनाती) पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

भारत की बढ़ती युवा आबादी जब काम करने वालों के समूह में शामिल हो रही है तो सरकार कार्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भारी निवेश कर रही है। निजी संगठनों ने भी कौशल की कमी को कम करने में अहम भूमिका निभाई है। 328 कंपनियों ने अपने कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी प्रयासों के तहत 775 परियोजनाओं के लिए 1653 करोड़ रुपए दिए हैं।

ये भी पढ़ें...एंटीलिया केस में रहस्यमयी सचिन वाजे, चेहरे के पीछे कई नकाब, ऐसे शुरु हुआ बुरा दौर

इस रिपोर्ट को जारी करते हुए सत्व कंसलटिंग के सहसंस्थापक और सीईओ, श्रीकृष्ण एस मूर्ति ने कहा कि पिछले 15 वर्षों के दौरान कौशल विकास पर जोर दिए जाने का परिणाम यह हुआ है कि भारत में तेजी से उभरती कौशल मुहैया कराने की व्यवस्था तैयार हो गई है। डाटा की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण हो रही है ताकि हमें यह समझने में सहायता मिले कि क्या काम करता है और उम्मीदवारों के लिए बेहतर परिणाम हासिल करता है।

इस अध्ययन के जरिए हम कार्रवाई योग्य सिफारिशें पेश कर रहे हैं ताकि कार्यकुशल कौशल प्रशिक्षण मॉडल का विकास किया जा सके और इसमें देश भर में निवेश पर लाभ (आरओआई) कार्यक्रम का भी ख्याल रखा जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि आज यह कौशल प्रशिक्षण इकोसिस्टम उन दक्ष उपायों पर केंद्रित है जो कोविड से बाधित बाजार में पुरानी स्थिति हासिल करने, पुनर्निर्माण और पुनर्कल्पना कल सकें। हम साझेदारों और दानदाताओं की विस्तृत रेंज के साथ काम करने और कुशल कामगारों की कमी पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

ये भी पढ़ें...नहीं मना सकेंगे होली: त्योहार पर लगा ग्रहण, सरकार ने जारी किया ये आदेश

ज्यादा सैलरी निर्धारित करने वाले मुख्य कारण

इस रिपोर्ट के मुताबिक, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश किए गए प्रत्येक रुपए से 2 से लेकर 19 रुपए (उम्मीदवार के वेतन के आधार पर नापा जाता है) मिलते हैं और इसका औसत 6.67 है। इसके आधार पर कैम्पस में, ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों, डिजिटल कौशलों के एकीकरण और चुनाव की प्रभावी व्यवस्था को अच्छी सैलरी का मुख्य कारण माना गया है।

जेपी मोर्गन, इंडिया के सीईओ माधव कल्याण ने कहा कि देश ने जब रोजगार और कौशल में बड़े पैमाने पर निवेश किया है तो गहराई तक के अनुसंधान, मूल्यांकन और कौशल की कमी के विश्लेषण की आवश्यकता है ताकि निवेश को दिशा दी जा सके। आज पेश की गई रिपोर्ट से कौशल विकास संगठनों को धन मिलने में सहायता मिलेगी और वे आंकड़ों के आधार पर निवेश संबंधी निर्णय कर सकेंगे। इस तरह हम अपनी जनसंख्या का सही अर्थों में लाभ उठा सकेंगे।

अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि कॉलेज में रहते हुए एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने वाले स्नातकों को स्नातक के बाद प्रशिक्षण पाने वाले के मुकाबले 53% ज्यादा वेतन मिला। अध्ययन से यह भी जानकारी सामने आई कि सेक्टर के लिए खास कार्यक्रम जैसे हेल्थकेयर और बीएफएसआई में डिजिटल साक्षरता को शामिल करने से 39% ज्यादा वेतन मिला।

नैसकॉम फाउंडेशन के सीईओ अशोक पमिदी ने कहा कि कौशल प्रशिक्षण उद्योग के लिए निश्चित रूप से नंबर वन प्राथमिकता है। भारत को सबसे युवा देशों में एक होने का जनसांख्यिकीय फायदा है। अपने देश को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण मॉडल उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना खुद पाठ्यक्रम।

सत्व के साथ साझेदारी में और जेपी मोर्गन द्वारा समर्थित इस बेहद आवश्यक अध्ययन से उभरते मॉडल्स से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है और पता चलता है कि क्या कुछ बदला जाना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि यह अध्ययन ढेरों कौशल प्रशिक्षण संस्थानों की सहायता करेगा जिससे वे कौशल प्रशिक्षण के अपने तरीके का पुनर्गठन करने के साथ-साथ उसे बेहतर और धारदार बना सकेंगे जिससे अपने छात्रों के लिए वे अधिकतम आरओआई प्राप्त कर सकेंगे।

ये भी पढ़ें...बारिश बनी आफत: इस राज्य में फसलें बर्बाद, ओले गिरने से दो की मौत

लॉकडाउन के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण व्यवहार में अंतर आए

अध्ययन से प्रशिक्षण मॉडल पर लॉकडाउन के प्रभाव का पता चला। इसमें नोट किया गया है कि लॉकडाउन के छह महीने के अंदर 88% कौशल प्रशिक्षण संस्थानों ने अद्यतन बने रहने के तरीके तलाश लिए थे। यह नियोक्ताओं की जरूरत, उम्मीदवारों की चाहत, फंडिंग और पॉलिसी इकोसिस्टम के कारण हुआ। बाजार की मांग में लगातार परिवर्तन के मद्देनजर 74% मिश्रित/ऑनलाइन रुख पर कायम रहे और प्रशिक्षण साझेदारों ने उम्मीदवारों की कौनसेलिंग और निगरानी बढ़ा दी। 75% ने भिन्न क्षेत्रों में प्लेसमेंट में मांग में वृद्धि महसूस की।

अन्य प्रमुख टिप्पणियां

-तकरीबन 90% कौशल प्रशिक्षण संगठनों ने इंटरनेट ऐक्सेस की क्वालिटी के लिहाज से उम्मीदवारों की तरफ से चुनौतियों का सामना किया। संरचना की गुणवत्ता ने छात्रों को पूरी तरह ऑनलाइन मॉडल पर स्थानांतरित होने के लिए प्रेरित किया। दूसरी ओर, संस्थानों ने इन चुनौतियां का सामना करने के लिए 3जी/4जी सिम कार्ड में निवेश किए।

इससे पूर्व छात्रों के नेटवर्क ने छात्रों को प्रेरित किए रखने में भूमिका निभाई। लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था ताकि प्लेसमेंट के बाद प्रशिक्षण मुहैया कराया जा सके और ऐसी व्यवस्था का विकास करना ताकि बेरोजगार कामगारों का पता लगाकर उनके प्लेसमेंट की संभावनाओं का पता लगाया जाए।

ये भी पढ़ें...चुनावी राज्यों पर आफतः कोरोना की रफ्तार बेकाबू, दूसरी लहर ने खड़ी की बड़ी मुसीबत

-सर्वेक्षण में भाग लेने वाले संस्थानों में 65% उम्मीदवारों ने स्थानीय नौकरी के लिए प्राथमिकता दिखाई और अपने घर के पास काम चाहते थे। इससे उम्मीदवारों की प्राथमिकता में बदलाव का पता चलता है। यह रिपोर्ट निशुल्क उपलब्ध है और https://bit.ly/Return-on-Skills से डाउनलोड की जा सकती है।

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



Newstrack

Newstrack

Next Story