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ऐसी दुनिया का ख्वाब देखते थे अनवर जलालपुरी, जहां ना हो जुल्म और दहशत की जगह
अनवर जलालपुरी की हमेशा यही कोशिश रही कि हमारी गंगा-जमुनी तहजीब को किसी की भी नजर ना लगे और ना ही आपसी भाईचारे का परवान लोगों के जहन से उतरे।
लखनऊ: उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी (Anwar Jalalpuri) एक जिंदादिल शायर थे। मुशायरों की निजामत के बादशाह अनवर जलालपुरी हमेशा एक ऐसी दुनिया का ख्वाब देखते थे, जिसमें जुल्म और दहशत की कोई जगह ना हो। वो अपनी शेरो शायरी से लोगों का मनोरंजन ही नहीं करते थे, बल्कि समाज को शिक्षा देने का भी काम करते थे। साथ ही उर्दू के इस मशहूर शायर ने अपनी शायरियों से लोगों के दिलों में गंगा-जमुनी तहजीब को हमेशा जिंदा रहने की कोशिश की।
भागवत गीता का उर्दू में किया अनुवाद
अनवर जलालपुरी की हमेशा यही कोशिश रही कि हमारी इस तहजीब को किसी की भी नजर ना लगे और ना ही आपसी भाईचारे का परवान लोगों के जहन से उतरे। उर्दू अदब के बड़े नामों में शुमार अनवर जलालपुरी ने श्रीमद् भागवत गीता का उर्दू में अनुवाद किया था। वो एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी पहचान देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी है। अनवर जलालपुरी 'यश भारती' से भी सम्मानित थे।
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(फाइल फोटो)
उर्दू के मशहूर शायर ने दो साल पहले आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया था, जो उनके चाहने वालों के लिए एक गहरी क्षति थी। आज उनके पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके लिखी गजलों से कुछ चुनिंदा शेर से रूबरू कराने जा रहे हैं-
मैं हर बे-जान हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ को गोया बनाता हूँ
कि अपने फ़न से पत्थर को भी आईना बनाता हूँ
न जाने क्यूँ अधूरी ही मुझे तस्वीर जचती है
मैं काग़ज़ हाथ में लेकर फ़क़त चेहरा बनाता हूँ
अता हुई है मुझे दिन के साथ शब भी मगर
अता हुई है मुझे दिन के साथ शब भी मगर
चराग़ शब में जिला देता है हुनर मेरा
सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अना
पुकारूँ किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा
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पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे
पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे
मता-ए-ज़िंदगानी एक दिन हम भी लुटा देंगे
तुम अपने सामने की भीड़ से हो कर गुज़र जाओ
कि आगे वाले तो हरगिज़ न तुम को रास्ता देंगे
तू मेरे पास था या तेरी पुरानी यादें
तू मेरे पास था या तेरी पुरानी यादें
कोई इक शेर भी तन्हा नहीं लिखा मैंने
मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीर
अपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिखा मैंने
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शादाब-ओ-शगुफ़्ता कोई गुलशन न मिलेगा
शादाब-ओ-शगुफ़्ता कोई गुलशन न मिलेगा
दिल ख़ुश्क रहा तो कहीं सावन न मिलेगा
तुम प्यार की सौग़ात लिए घर से तो निकलो
रस्ते में तुम्हें कोई भी दुश्मन न मिलेगा
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