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क्या बिना नतीजे के टूट जाएगा किसान आंदोलन, आखिर कृषि कानूनों पर फैसला कब
केंद्र सरकार किसान आंदोलन के धड़ों में फूट डालने में कामयाब हो गई है और जल्द ही आंदोलनकारी किसानों के दो गुट बन सकते हैं जो आंदोलन की धार कमजोर कर सकते हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
दिल्ली के आंदोलनकारी किसान जहां अपनी मांगों से झुकने को कतई तैयार नहीं हैं, ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग हैं। उनका कहना है हम तो खेत में बीज डालकर पांच छह महीने फसल का इंतजार करते हैं। वहीं अंदरखाने से यह संकेत मिलने शुरू हो गए हैं, केंद्र सरकार किसान आंदोलन के धड़ों में फूट डालने में कामयाब हो गई है और जल्द ही आंदोलनकारी किसानों के दो गुट बन सकते हैं जो आंदोलन की धार कमजोर कर सकते हैं। इसी के साथ सरकार सुरक्षा बलों का इस्तेमाल कर किसानों को खदेड़ सकती है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी निलंबित
इसका सबसे बड़ा उदाहरण संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी को निलंबित किया जाना है। चढूनी पर राजनीतिक पार्टियों से मुलाकात और खुद अपनी तरफ से कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप लगा है।
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आरोप लगने के कुछ ही देर बाद चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा की मुख्य सात सदस्यीय कमेटी से अलग कर दिया गया है। कहा यह भी जा रहा है कि अब उन्हें 19 जनवरी को केंद्र सरकार से होने वाली अगले दौर की बैठक से भी किनारे रखा जाएगा।
किसानों में पड़ी फूट
खुद पर आरोप लगने और अलग थलग किये जाने पर चढूनी का कहना है यह संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप नहीं बल्कि एक व्यक्ति का आरोप हो सकता है। और ये आरोप कक्का जी (शिवकुमार सिंह) का है, जो खुद आरएसएस के एजेंट हैं। वे लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा के प्रमुख रहे। वे फूट डालो और राज करो की कोशिश कर रहे हैं।
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शिवकुमार सिंह को बताया RSS एजेंट
चढूनी ने कहा, यह संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप नहीं बल्कि एक व्यक्ति का आरोप हो सकता है। और ये आरोप कक्का जी (शिवकुमार सिंह) का जो खुद आरएसएस के एजेंट हैं। वे लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा के प्रमुख रहे। वे फूट डालो और राज करो की कोशिश कर रहे हैं।
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किसान नेता चढूनी का यह भी कहना है कि कई राजनीतिक लोग हमारे पास आते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनका दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा हम कभी किसी को मंच पर नहीं ले गए। हमारे विरोधी भी यहां हमारा समर्थन करने आएंगे, तो हम उन्हें बाहर नहीं करेंगे बल्कि उनका स्वागत करेंगे।
गुरनाम सिंह चढूनी पर किसान आंदोलन में अहम भूमिका
कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद के गांव चढूनी के रहने वाले भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी किसानों की आवाज लगातार उठाते रहे हैं। दिल्ली में किसानों को जुटाने में गुरनाम सिंह चढूनी की अहम भूमिका रही है। उन पर लगभग तीन दर्जन मुकदमे दर्ज हैं और वह कई बार जेल भी जा चुके हैं।
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इस बीच भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान आंदोलन की अनुमति मांगी है।
भूपिंदर सिंह मान संगठन और कोर्ट की 4 सदस्यीय कमेटी से अलग
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन ने भूपिंदर सिंह मान को अपने संगठन से अलग करने का ऐलान किया था। हालांकि भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई 4 सदस्यीय कमेटी से खुद को अलग कर लिया था। जिस पर भाकियू ने कहा था कि ये किसान आंदोलन की वैचारिक जीत का उदाहरण है। आज उनके अंदर का किसान जाग गया है।
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दूसरी बात यह है कि 26 जनवरी की परेड को लेकर भी किसान संगठन एकमत नहीं हैं। इस संबंध में अभी तक कोई सर्वमान्य रणनीति नहीं बन सकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तो और असमंजस की स्थिति बन गई है। दूसरे राज्यों में भी आंदोलन के विस्तार की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। कुल मिलाकर पंजाब से जुड़े जो किसान संगठन अपने तरीके से इस आंदोलन को आगे बढ़ाना चाह रहे थे, उन्हें सफलता नहीं मिली है जिसे देखते हुए किसान आंदोलन की असंतोष की शुरुआत हो चुकी है यह कहा जा सकता है।
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