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'फांसी कोठा' पर दोषियों को एक साथ फांसी: तख्त की मजबूती का हो रहा परीक्षण

'फांसी कोठा' 1950 के करीब बना था। इसमें दो कंक्रीट के खंभे हैं और उनमें एक लोहे की छड़ लगी है। इस पर ही एक लूप तैयार किया गया है, जिसका इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक इसमें लगी छड़ काफी पुरानी हो जाने के चलते और कमजोर हो गई है।

SK Gautam
Published on: 13 Dec 2019 10:50 AM GMT
फांसी कोठा पर दोषियों को एक साथ फांसी: तख्त की मजबूती का हो रहा परीक्षण
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नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए तैयारियां चल रही हैं। खबर यह भी है कि चारों दोषियों एक साथ दी जाएगी। फांसी देने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए परीक्षण किया जा रहा है और फांसी के तख्त में कुछ बदलाव के जरिए यह काम किया जा रहा है। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि क्या चार लोगों का वजन एक बार में यह उठा सकता है या नहीं।

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जब हम 7 साल लड़ाई लड़ सकते हैं तो हम एक सप्ताह और इंतजार कर सकते हैं- आशा देवी

बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को निर्भया के दोषियों के डेथ वारंट से जुड़ी याचिका 18 दिसंबर तक टाल दी। यह पिटीशन निर्भया के माता-पिता की तरफ से दायर की गयी थी। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा- जब हम 7 साल लड़ाई लड़ सकते हैं तो हम एक सप्ताह और इंतजार कर सकते हैं। 18 दिसंबर को दोषियों का डेथ वारंट जारी हो सकता है। इससे पहले 2012 दिल्ली गैंग-रेप केस के चारों आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया।

सूत्रों ने कहा कि यह जरूरी है कि चारों दोषियों को एक ही साथ फांसी पर लटकाया जाए। इसकी वजह यह है कि यदि किसी शख्स को बेचैनी के चलते समस्या हो जाती है या फिर वह बीमार हो जाता है तो फांसी टालनी होगी। अब तक करीब दो ट्रायल किए जा चुके हैं कि क्या लगातार तीन घंटे तक फांसी का तख्त इनका वजन उठा सकता है या नहीं।

1950 में बना था फांसी के लिए 'फांसी कोठा', तख्त की मजबूती का हो रहा परीक्षण

जेल अधिकारियों की पूरी एक टीम इस पूरी प्रक्रिया में जुटी है। तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि यहां 'फांसी कोठा' 1950 के करीब बना था। इसमें दो कंक्रीट के खंभे हैं और उनमें एक लोहे की छड़ लगी है। इस पर ही एक लूप तैयार किया गया है, जिसका इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक इसमें लगी छड़ काफी पुरानी हो जाने के चलते और कमजोर हो गई है। एक जेल अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'हम फिलहाल एक्सपर्ट्स की मदद से इस छड़ की क्षमता का अनुमान लगा रहे हैं। इसकी मजबूती के लिए कुछ अतिरिक्त निर्माण भी किया जा सकता है।

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दोषी अक्षय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की है

हालांकि चारों दोषियों की सजा कुछ दिन के लिए अभी और टल सकती है। दरअसल इन चारों में से एक दोषी अक्षय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की है। इस पर 17 दिसंबर को सुनवाई होनी है। इसके अलावा जेल प्रशासन को 14 दिनों का वक्त सजायफ्ता कैदियों को फांसी के लिए मानसिक रूप से तैयार होने को दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें इस दौरान अपनी वसीयत एवं अन्य चीजें तैयार करने का मौका मिलता है।

मक्खन और मोम से तैयार हुईं फांसी की रस्सियां

इस बीच फांसी देने के लिए 8 रस्सियां मांगने की खबर है। इन्हें बक्सर जेल से मंगाया गया है, जिन्हें कैदियों ने तैयार किया है। सॉफ्ट कॉटन से तैयार इस रस्सी में मक्खन और मोम भी लगाया जाता है ताकि यह नरम और मजबूत भी रहे। जेल के एक सूत्र ने बताया, 'इस रस्सी को इस तरह से तैयार किया जाता है कि सजा पाने वालों का गला न कटे।

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तीन जजों की बेंच पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी

इसी याचिका के खिलाफ निर्भया की मां शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। उनके पक्षकार ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ के सामने दोषी अक्षय की पुचार याचिका का विरोध किया। इस याचिका पर 17 दिसंबर को तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। अक्षय ने याचिका में 2017 के फैसले में उसे दिए गए मृत्युदंड पर फिर से विचार करने की अपील की गई है।

कोर्ट की दोषियों के वकील को फटकार

पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के वकील एपी सिंह को फटकार लगाई। कहा- सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन पेंडिंग है। जब तक इस पर फैसला नहीं आ जाता, हम सुनवाई टाल रहे हैं। आप कोर्ट में पेश नहीं होते, इसी के चलते देरी रही है। सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फांसी की समयसीमा तय होनी चाहिये। इस पर एपी सिंह ने कहा, मेरे मुवक्किलों के पास कई कानूनी विकल्प बचे हैं।

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अदालत ने कहा था- हमारे पुनर्विचार को लेकर कोई आधार नहीं

पिछले साल 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने तीन अन्य दोषियों मुकेश (30), पवन गुप्ता (23) और विनय शर्मा (24) की पुर्नविचार याचिका को नामंजूर कर दिया था। अदालत ने कहा था कि 2017 के फैसले पर पुर्नविचार किए जाने के लिए हमारे पास कोई आधार नहीं है। 23 वर्षीय पैरामेडिक स्टूडेंट 16-17 दिसंबर 2012 में गैंगरेप का शिकार हुई थीं। बाद में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी। उसे निर्भया नाम दिया गया था।

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