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कैप्टन अनुज की वीर-गाथा: दुश्मनों को ऐसे लगाया ठिकाने, सलाम नौजवान योद्धा को

आज कारगिल दिवस है। देश के लिए शहीद हुए जवानों को हमारा शत-शत नमन। ऐसे ही देश वीर जवान कारगिल युध्द के हीरो महावार चक्र अनुज नैयर के पराक्रम को कौन नहीं जानता।

Newstrack
Published on: 26 July 2020 10:22 AM GMT
कैप्टन अनुज की वीर-गाथा: दुश्मनों को ऐसे लगाया ठिकाने, सलाम नौजवान योद्धा को
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नई दिल्ली। आज कारगिल दिवस है। देश के लिए शहीद हुए जवानों को हमारा शत-शत नमन। ऐसे ही देश वीर जवान कारगिल युध्द के हीरो महावार चक्र अनुज नैयर के पराक्रम को कौन नहीं जानता। दिल्ली के जनकपुरी के 24 साल के इस नौजवान ने देश के सम्मान की रक्षा के लिए अपने जान की परवाह किए बिना हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। ये हैं हमारे देश के युवा हमारे देश के नौजवान।

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दुश्मनों के तीन बंकर तबाह

सीमा पर दुश्मन के ग्रेनेड से घायल होने के बाद भी उन्होंने 9 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था। उन्होंने अपनी जाट रेजिमेंट की 17वीं बटालियन के 7 सिपाहियों के साथ कारगिल के प्वाइंट 4875 को फ्री कराया था।

बता दें, टाइगर हिल के ठीक पश्चिम में स्थित इस प्वाइंट पर जमाना कारगिल युद्ध जीतने के लिए अहम था। ऐसे में इस अभियान की शुरुआत में ही कैप्टन अनुज के कंपनी कमांडर जख्मी हो गए।

फिर उन्होंने अपने हमलावर दस्ते को दो भागों में बांट दिया। एक का नेतृत्व कैप्टन विक्रम बत्रा और दूसरे का कैप्टन अनुज नैयर को सौंपा। कैप्टन अनुज ने बड़ी फुर्ती से दुश्मनों के तीन बंकर तबाह कर जमीदोष कर दिया।

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लड़ाई में वे शहीद

साथ ही घबराए दुश्मनों ने उन्हें निशाना बनाकर ग्रेनेड से हमला किया। ग्रेनेड सीधे उन पर गिरा और वे बुरी तरह घायल हो गए। लेकिन इसके बाद भी कैप्टन अनुज ने दुश्मनों के बचे एक और बंकर को भी तबाह कर दिया और 9 घुसपैठियों को मार गिराया। इस लड़ाई में वे शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कैप्टन अनुज के पिता दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स के विजिटिंग प्रोफेसर एसके नैयर और डीयू के साउथ कैंपस स्थित लाइब्रेरी में कार्यरत रही मीना नैयर के इस होनहार बेटे ने अपने बल पर देश का रोशन कर दिखाया।

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पूरा दिल्ली उन पर उमड़ पड़ा

मां मीना नैयर बताती हैं कि अनुज बचपन में ही हवा में बातें करते थे। बड़े होने के साथ ही वे सेना में जाने का सपना देखने लगे थे। इसीलिए परिजनों ने उनका दाखिला धौला कुआं स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में कराया।

इसके बाद वे एनडीए से ग्रेजुएट हुए। वहां से निकलने पर 1997 में उन्हें जाट रेजीमेंट की 17वीं बटालियन में कमीशन मिल गया। मां ने बताया कि शहीद होने के बाद अनुज का पार्थिव शरीर जनकपुरी आया तो पूरा दिल्ली उन पर उमड़ पड़ा था।

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लाइब्रेरी का नाम

कैप्टन अनुज नैयर की शहादत के सम्मान के लिए जनकपुरी बी-2 ब्लॉक की सड़क, सरकारी मिडिल स्कूल और डीयू की एक लाइब्रेरी का नाम उनके नाम पर रखा गया है।

साथ ही पूर्वी दिल्ली के वसुंधरा एन्क्लेव में कारगिल हिल्स पेट्रोल पंप अनुज नैयर की मां और पिता मिलकर चला रहे हैं। अब वे यहीं पर रहते भी हैं। पूरे दिल्ली में कैप्टन अनुज नैयर का नाम गुंजता है।

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