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इंडियन वैक्सीन का इंतजार: भारत सबसे आगे निकला, कोरोना से जीती जंग

भारत अब कोरोना वायरस वैक्सीन की सप्लाई में भी दूसरे देशों से आगे रहने वाला है। कई देशों ने अभी से भारत से सरकारी स्तर पर डील करने का अनुरोध किया है। इस कैटेगरी में 92 देश हैं और इन्हें दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन में अधिकांश हिस्सा भारत का रहने वाला है।

SK Gautam
Published on: 21 Jan 2021 12:29 PM GMT
इंडियन वैक्सीन का इंतजार: भारत सबसे आगे निकला, कोरोना से जीती जंग
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इंडियन वैक्सीन का इंतजार: भारत सबसे आगे निकला, कोरोना से जीती जंग

नई दिल्ली: दुनिया में जबसे कोरोना ने दस्तक दी है, महामारी के खिलाफ जिस तरह से भारत ने जंग लड़ी है वो काबिले तारीफ़ है। इस प्रकार दुनियाभर में कोरोनावायरस से लड़ाई में भारत की भूमिका अहम रही है। पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) की सप्लाई में भारत सबसे आगे रहा था। अब भारत में दो मुख्य वैक्सीन, कोवैक्सीन और कोविशिल्ड के सफलता पूर्वक उत्पादन हुआ है। टीकाकरण अभियान का पहला चरण भी सफल हुआ है। जिसको देखते हुए भारत की इन दोनों वैक्सीन की मांग दुनिया के लगभग 92 देशों से की गई है।

भारत मानवता को बचाने के लिए बड़ी भूमिका निभाने को तैयार

बता दें कि भारत अब कोरोना वायरस वैक्सीन की सप्लाई में भी दूसरे देशों से आगे रहने वाला है। कई देशों ने अभी से भारत से सरकारी स्तर पर डील करने का अनुरोध किया है। वहीं, कुछ देश सीधे कोरोना वैक्सीन बना रही कंपनियों से डील कर रहे हैं। कम और मध्यम आय वाले अधिकांश देशों को गावी-कोवैक्स अलायंस के जरिए वैक्सीन मिलेगी।

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इस कैटेगरी में 92 देश हैं और इन्हें दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन में अधिकांश हिस्सा भारत का रहने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दोहराया कि भारत में बनी दो वैक्सीन इमरजेंसी अप्रूवल पा चुकी हैं और अब भारत मानवता को बचाने के लिए बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है।

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मोदी ने प्रवासी भारतीय दिवस पर कहा था कि भारत पीपीई किट्स, मास्क, वेंटिलेटर और टेस्टिंग किट्स बाहर से बुला रहा था। पर अब देश आत्मनिर्भर है। आज भारत 2 मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन के साथ मानवता को बचाने के लिए तैयार है।

पड़ोसी देशों के अलावा अन्य देशों से भी वैक्सीन की डिमांड

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक पड़ोसियों के अलावा अन्य देशों से भी वैक्सीन की डिमांड आ रही है। हाल ही में सीरम के CEO अदार पूनावाला और भारत बायोटेक के चेयरमैन और MD डॉ. कृष्णा एल्ला ने जॉइंट स्टेटमेंट में कहा था कि दोनों कंपनियां भारत और दुनिया के अन्य देशों को जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहे हैं। एल्ला के मुताबिक, अमेरिका और यूके समेत 12-14 देशों ने स्वदेशी वैक्सीन में इंट्रेस्ट दिखाया है। यह सभी देश सुरक्षित टेक्नोलॉजी चाहते हैं। लॉन्ग टर्म साइड-इफेक्ट्स नहीं चाहते।

पाकिस्तान को नहीं देगा भारत से वैक्सीन

भारत ने वैक्सीन प्रोडक्शन और सप्लाई बढ़ा दी है। पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसियों को भारत से वैक्सीन सप्लाई होगी। इसके साथ-साथ ब्राजील, मोरक्को, सऊदी अरब, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका ने तो औपचारिक रूप से घोषणा भी कर दी है कि वे मेड इन इंडिया वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत कोरोनावायरस महामारी के साझा युद्ध में ग्लोबल रिस्पॉन्स में सबसे आगे रहा है। साथ ही इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को अपना दायित्व समझता है।

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आइए जानते हैं कि किस देश को कितनी चाहिए मेड इन इंडिया वैक्सीन-

सबसे पहले पड़ोसी देशों को वैक्सीन

नेपालः नेपाल ने अपनी 20% आबादी को वैक्सीनेट करने की योजना बनाई है। इसके लिए काठमांडू ने 12 मिलियन डोज मांगे हैं। विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने 14 जनवरी को अपनी प्रस्तावित यात्रा से पहले कहा कि वे भारत सरकार के साथ वैक्सीन सप्लाई पर डील कर सकते हैं।

भूटानः भूटान ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन के 10 लाख डोज मांगे हैं। इस वैक्सीन को पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रहा है।

म्यांमारः म्यांमार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ पर्चेज कॉन्ट्रैक्ट किया है। म्यांमार ने चीन से भी कुछ वैक्सीन की डील की है। आंग सान सु की ने नए वर्ष में देश के नाम संदेश में कहा था कि भारत से पहले बैच की वैक्सीन खरीदने के लिए पर्चेज कॉन्ट्रैक्ट किया जा चुका है। म्यांमार ने अपने देश के गरीब लोगों के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के कोवैक्स प्रोग्राम और ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइजेशन (GAVI) से भी मदद मांगी है।

बांग्लादेशः बांग्लादेश ने भी कोवीशील्ड के 30 मिलियन डोज का अनुरोध किया है। नवंबर में बांग्लादेश के बेक्सिमको फार्मा ने सीरम से 30 मिलियन डोज खरीदने के लिए सहमति पत्र पर साइन किए थे। बांग्लादेश का ड्रग रेगुलेटर इस वैक्सीन को पहले ही अप्रूवल दे चुका है। बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक ने भारत द्वारा फ्री में दी जा रही कोविड वैक्सीन की पुष्टि करते हुए कहा कि बांग्लादेश को भारत की ओर से उपहार स्वरूप भारी मात्रा में कोरोना वैक्सीन की डोज मिलने वाली है। बता दें की 20 जनवरी को ही पहले चरण में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड की 20 लाख डोज बांग्लादेश को पहुंच चुका है।

श्रीलंकाः श्रीलंका ने भी वैक्सीन मांगी है और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कोलंबो में राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे से बातचीत के दौरान इसका भरोसा भी दिलाया है। इस बीच, श्रीलंका की कोशिश यूएन-समर्थित कोवैक्स फैसिलिटी से भी वैक्सीन हासिल करने की है।

मालदीव्सः नंबर अभी तय नहीं है, पर मालदीव्स भी भारत के साथ वैक्सीन पर बातचीत कर रहा है।

अफगानिस्तानः भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक में वैक्सीन का मसला उठा था। इसके बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अतमार ने सोशल मीडिया पर कहा था कि हम वैक्सीन के लिए भारत की ओर देख रहे हैं।

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इन देशों से भी निकल रही है डिमांड

ज्यादातर देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के गावी-कोवैक्स अलायंस के जरिए भारत में बनी वैक्सीन हासिल करेंगे। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों से कहा है कि वे द्विपक्षीय वैक्सीन डील्स न करें। अगर किसी देश ने अपनी जरूरत से ज्यादा वैक्सीन सिक्योर कर ली है तो उसे कोवैक्स के तहत डोनेट करें।

ब्राजीलः राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने मोदी को पत्र लिखकर 2 मिलियन कोवीशील्ड वैक्सीन अर्जेंट बेसिस पर उपलब्ध कराने की अपील की है। दरअसल, ब्राजील में केस तेजी से बढ़ रहे हैं और इस वजह से वह जल्द से जल्द वैक्सीन चाहता है।

दक्षिण अफ्रीकाः दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से उसे 1.5 मिलियन वैक्सीन मिलेंगी। जनवरी में एक मिलियन वैक्सीन मिलेंगी और बाकी अगले महीने।

जापानः सरकार ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन के 120 मिलियन डोज, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के 120 मिलियन, मॉडर्ना के 50 मिलियन और नोवावैक्स से 250 मिलियन डोज की डील की है।

दक्षिण कोरियाः सरकार ने फाइजर-बायोएनटेक और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका से 20-20 मिलियन डोज की डील की है। कोवैक्स फैसिलिटी से उसे 10 मिलियन डोज मिलेंगी।

ऑस्ट्रेलियाः ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 140 डोज की व्यवस्था की है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका से 53.8 मिलियन, नोवावैक्स से 51 मिलियन और फाइजर-बायोएनटेक से 10 मिलियन डोज की डील की है। कोवैक्स से उसे 25.5 मिलियन डोज मिलेंगी।

फिलीपींसः सरकार ने 50 मिलियन डोज की व्यवस्था की है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के 2.6 मिलियन डोज का प्री-ऑर्डर किया है। फिलीपींस सरकार ने कहा है कि नोवावैक्स वैक्सीन की 30 मिलियन डोज के लिए उसकी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से बातचीत चल रही है। यह वैक्सीन जुलाई 2021 तक तैयार हो जाएगी।

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इंडोनेशियाः इंडोनेशिया ने 338 मिलियन वैक्सीन डोज के ऑर्डर दिए हैं। इसमें चीनी कंपनियों सिनोवेक से 60 मिलियन, सिनोफार्म से 60 मिलियन और कैनसिनो बायोलॉजिक्स से 20 मिलियन डोज के ऑर्डर शामिल है। उसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के 100 मिलियन और नोवावैक्स की वैक्सीन के 30 मिलियन डोज मिलेंगे।

वियतनामः वियतनाम ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के करीब 150 मिलियन डोज ऑर्डर किए हैं। इसके अलावा ब्रिटेन में विकसित वैक्सीन भी मांगी है।

थाईलैंडः सरकार ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के 26 मिलियन डोज खरीदी हैं। यह जून तक मिलेंगी। अगले साल तक 66 मिलियन डोज खरीदने की योजना है। बाकी डोज अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और रूस के मैन्युफैक्चर्स और कोवैक्स के जरिए जुटाई जाएंगी।

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