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अरबों रुपये की ठगी: शिकंजे में विदेशी गिरोह, UP STF का Online फ्रॉड पर खुलासा
छानबीन में पता चला कि इन चारों अभियुक्तों ने वर्ष 2019 में मेडिकल ग्राउण्ड पर अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली में हार्ट ट्रीटमेन्ट के लिए वीजा लिया था। ऐसे बहुत सारे नाइजीरियन गैंग गलत तरीके से मेडिकल वीजा पर भारत आकर वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी लम्बे समय तक निवास करते हैं
नोएडा: आजकल सीधे-सादे लोग Online ठगी का शिकार ज्यादा हो रहे हैं। मेहनत की कमाई एक सेकेंड में लोगों के बैंक खाते से गायब हो जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ नोएडा और लखनऊ टीम ने ऑनलाइन ठगी करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय फ्राडस्टर्स गैंग के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये भारतीय नागरिकों से विवाह, लाटरी आदि के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं।
वेवसाइट को चलाने वाले उपकरण व सिम कार्ड हुए बरामद
बताया जा रहा है कि ये सभी नाइजीरियाई नागरिक (Nigerian Nationals) हैं। इनमें माइकल, फ्रैंसिस, नेल्सन, पैट्रिक को साउथ दिल्ली के गोविंदपुरी से गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ टीम ने इनके पास से भारी मात्रा में वेवसाइट को चलाने वाले उपकरण व फ्रॉड करने में इस्तेमाल सिम कार्ड, विभिन्न बैंक के एटीएम कार्ड सहित करीब 5 हजार की नकदी बरामद की है। आरोप है कि अब तक इन्होंने पूरे भारत से हजारों लोगो को अपनी ठगी का शिकार बनाकर एक अरब से ज्यादा रुपए की ऑनलाइन ठगी की है।
पुलिस द्वारा पूछने पर आरोपियों ने किया खुलासा
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि इस गिरोह का सरगना जेम्स जिम उर्फ डेनिस टोनी है। गैंग द्वारा नार्थ ईस्ट के मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर आदि राज्यों के पुरूष/महिलाओं के नाम से बैंक खाते खुलवाए गए हैं। जिनके एटीएम कार्ड, पासबुक एवं एसएमएस एलर्ट मोबाइल नम्बर भी गैंग के लोगों ने अपने पास ही रखा है। इन्ही बैंक खातों में ठगी के शिकार व्यक्तियों से पैसे जमा कराये जाते हैं, इसके बाद फौरन एटीएम कार्ड के माध्यम से पैसे निकाल लिए जाते हैं। इसमें कुछ अंश सम्बन्धित खाता धारक को भी दिया जाता है।
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लोगों को फंसाने के लिए ऐसे बिछाते हैं जाल
यह गिरोह फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, मेट्रिमोनियल साइट्स के माध्यम से लाटरी एवं रिलीफ फण्ड आदि के नाम पर लोगों से बातें कर अपने जाल में फंसाता है। फर्जी कूरियर, वेब पेज और आरबीआई के नाम से वेब पेज क्रिएट करते हैं, जिसको ट्रैक कर कोई भी इनके झांसे में आ जाता है। यही नहीं गिफ्ट कार्ड के माध्यम से वर्चुअल नम्बर खरीदते हैं और आवश्यकता अनुसार नम्बर एडिट कर विभिन्न देशों के वर्चुअल नम्बर (Virtual Number) से ठगी के शिकार व्यक्तियों से बात करते हैं। पूछताछ से यह भी पता चला है कि इस गिरोह द्वारा भारत के विभिन्न प्रान्तों के लोगों 100 करोड़ रूपये से अधिक की आनलाइन ठगी की गई है।
ठगी का महिला ने दर्ज कराई थी एफआईआर
बीते 30 जून को थाना कोतवाली हरदोई में एक मुकदमा एक सहायक अध्यापिका बेसिक शिक्षा परिषद, हरदोई द्वारा पंजीकृत कराया गया था। अभियोग की विवेचक श्वेता त्रिपाठी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ से अभियोग के अनावरण में सहयोग प्रदान किये जाने के क्रम में पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ला के नेतृत्व में काम करने वाली टीम को दायित्व दिया गया। शुरुआती जांच व सूचना रिपोर्ट से पता चला कि अभियोग की वादिनी द्वारा भारत मेट्रिमनी (Bharat Matrimony) वेबसाइट पर सुटेबल मैच के लिए अपनी प्रोफाईल पोस्ट की थी। एक फ्राडस्टर ने यूनाइटेड किंगडम (U.K.) के वर्चुअल नम्बर (Virtual Number) से मैसेजिंग व व्हाट्सएप चैटिंग शुरू की गई।
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फर्जीवाड़ा कर महिला से 7.50 लाख रुपए जमा करा लिए
कुछ समय बाद वादिनी को एक गिफ्ट पार्सल भेजकर सम्बन्धित कूरियर कम्पनी का लिंक एवं ग्लोबल ट्रैकिंग नम्बर दिया गया। ट्रैक करने पर पार्सल दिल्ली एअरपोर्ट पर कस्टम फीस के लिए रोका जाना दिखा रहा था। इस सम्बन्ध में फ्रॉड ने खुद को इन्दिरा गांधी इन्टरनेशनल एअरपोर्ट, नई दिल्ली की कस्टम शाखा का अधिकारी बताकर एक लेडी द्वारा वादिनी से कस्टम फीस के लिए, पार्सल स्कैनिंग में विदेशी मुद्रा पाउण्ड होने के कारण अतिरिक्त कस्टम शुल्क एवं इनकम टैक्स क्लियरेन्स के लिए भिन्न-भिन्न बैंक खातों में लगभग 7.50 लाख रूपये की रकम जमा कराई गई। इसके बाद फिर विदेशी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट करने के लिए 7.37 लाख रूपये जमा कराने की बात पर वादिनी को उसके साथ ठगी का अंदेशा हुआ। इसके बाद उन्होंने एफआईआर दर्ज करा दी।
पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के नाम चलाते हैं बैंक एकाउंट
पुलिस जांच में पता चला कि फ्राडस्टर्स द्वारा जिन खातों में पैसा जमा कराया गया, वह पूर्वोत्तर भारत के नागालैण्ड व मिजोरम प्रान्तों के बैंक खाते थे। स्टेटमेन्ट से पता चला कि इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि प्रान्तों के एसके स्मिती, पी हर्ष, सैन्थिल कुमार, साब्यसाची मजुमदार, डी अनुसुईया, प्रियंका, वन्दना गिरी, थिरूप, शकुन्तला, दीक्षा गुप्ता आदि द्वारा भी पैसे जमा कराए गए थे। रैण्डम आधार पर इनमें से कुछ व्यक्तियों यथा सैन्थिल कुमार व डी अनुसुईया से उक्त खातों में पैसा जमा कराने के औचित्य की जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि टीएस रमेश निवासी बालापेट बेल्योर, तमिलनाडु द्वारा कोकोकोला रिलिफ फण्ड के नाम पर उनसे पैसा इस कमिटमेंट के साथ जमा कराया गया कि कुछ माह उपरान्त 4 गुना रकम वापस कर दी जाएगी।
यह भी पता चला कि टीएस रमेश बेल्लोर के एक धार्मिक संस्था में कैटरिंग का काम करता है और स्वंय को युगाण्डा निवासी टोनी डेनिस के लिए काम करना बताता है। वह खुद युगाण्डा सहित विभिन्न देशों के वर्चुवल नम्बर से टोनी डेनिस से कान्फ्रेसिंग कर बात कराता है।
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दिल्ली से चल रहा था गैंग
मुखबिर व इलेक्ट्रिनिक अभिसूचना से ज्ञात हुआ कि घटना से सम्बन्धित फ्राडस्टर्स गैंग के तार साउथ दिल्ली के गोविन्दपुरी व तुगलकाबाद थाना क्षेत्र में रह कर ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले नाइजीरियन गिरोह से जुड़े हैं। सूचना को विकसित करने के लिए एसटीएफ मुख्यालय से निरीक्षक पंकज मिश्र, एसआई शैलेन्द्र, आरक्षी मृत्युन्जय व मुनेन्द्र की एक टीम और अभियोग की विवेचक श्वेता त्रिपाठी को दिल्ली भेजा गया।
पता चला कि नाइजीरियन गिरोह का मुख्य सरगना जेम्स जिम उर्फ टोनी डेनिस थाना गोविन्दपुरी नई दिल्ली के गली नम्बर 19 स्थित गुरूप्रीत सिंह ओबेराय के मकान नम्बर 266/19 से गिरोह का संचालन कर रहा है। बीते गुरुवार यानि 15 अक्टूबर को एसटीएफ टीम द्वारा मुकद्दमा के विवेचक, स्थानीय पुलिस व मकान मालिक के साथ उक्त आवास पर दबिश देकर उपरोक्त अभियुक्तों (नाइजीरियन नेशनल) को गिरफ्तार किया गया, जिनसे उपरोक्त बरामदगी की गई।
गिरफ्तार आरोपियों का वीजा कई महीने पहले हो चुका है खत्म
गिरफ्तार आरोपियों के वीजा पासपोर्ट के जांच में से पाया गया कि माइकल, पैट्रिक व नेलसन के पासपोर्ट वैध है पर वीजा की अवधि कई माह पहले ही समाप्त हो चुकी है। इसी प्रकार फ्रैन्सिस की वीजा अवधि भी समाप्त हो चुकी है, इसने अपना पासपोर्ट किसी ब्रोकर को वीजा से सम्बन्धित कार्य के लिए दिया हुआ है। चारों गिरफ्तार आरोपियों के भारत में अवैध रूप से निवास करने के कारण इनके खिलाफ 14 Foreigners act 1946 के अन्तर्गत भी अलग से कार्यवाही की जा रही है।
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आरोपियों ने नई दिल्ली में हार्ट ट्रीटमेन्ट के लिए वीजा लिया था
छानबीन से यह भी पता चला कि इन चारों अभियुक्तों ने वर्ष 2019 में मेडिकल ग्राउण्ड पर अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली में हार्ट ट्रीटमेन्ट के लिए वीजा लिया था। इन्ही की तरह इस गैंग के बहुत सारे नाइजीरियन गलत तरीके से मेडिकल वीजा पर भारत आकर वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी लम्बे समय तक निवास करते हैं और ऑनलाइन फ्राड व ड्रग रैकेट के अपराध में संलिप्त रहते हैं। इस सम्बन्ध में सम्बन्धित एफआरआरओ एवं दूतावास से अलग से पत्राचार भी किया जा रहा है।
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