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अल्पसंख्यकों पर डोरे डालने में जुटीं ममता, चुनावी नजरिए से शुरू कीं विकास योजनाएं

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक मतदाताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं...

Ashiki
Published on: 27 Jun 2020 3:48 PM GMT
अल्पसंख्यकों पर डोरे डालने में जुटीं ममता, चुनावी नजरिए से शुरू कीं विकास योजनाएं
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अंशुमान तिवारी

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक मतदाताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। ममता ने शुक्रवार को राज्य में 620 विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। मजे की बात यह है कि इनमें से 600 विकास योजनाएं अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाले इलाकों में शुरू की गई हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि विकास योजनाओं के जरिए ममता बनर्जी अल्पसंख्यक मतदाताओं पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती हैं।

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अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में विकास योजनाएं

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को जिन विकास योजनाओं की शुरुआत की है उनमें पीने का साफ पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, शॉपिंग कंपलेक्स, स्कूल, छात्रावासों का निर्माण आदि विकास कार्य होने हैं। इनमें से अधिकतर विकास योजनाओं का खाका राज्य के अल्पसंख्यक विभाग की ओर से तैयार किया गया है और इन योजनाओं को अल्पसंख्यकों की ज्यादा आबादी वाले इलाकों में ही लागू किया जाना है।

सियासी जानकारों का कहना है कि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और भाजपा जोरदार तरीके से ममता सरकार पर निशाना साधा रही है। ऐसे हालात में ममता अभी से ही चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। वे अल्पसंख्यक मतदाताओं पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती हैं।

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अल्पसंख्यकों को साधने की ममता की कोशिश

पश्चिम बंगाल के मालदा, उत्तरी दिनाजपुर, नादिया, कूचबिहार और बीरभूमि अादि जिले बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक आबादी वाले हैं और अधिकांश विकास योजनाओं की शुरुआत इन्हीं जिलों में की गई है। सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दल ममता सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यक मतदाताओं को गोलबंद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हाल के चुनावों में अल्पसंख्यकों का अधिकांश मत ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को मिलता रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी एक बार फिर यह साबित करने की कोशिश में जुट गई हैं कि अल्पसंख्यकों का हित उनके ही हाथों में सुरक्षित है। इसी कारण अधिकांश विकास योजनाओं की शुरुआत अल्पसंख्यक आबादी वाले इलाकों में की गई है।

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लोकसभा चुनाव के बाद ममता चौकन्ना

दरअसल पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी काफी चौकन्ना हो गई हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी को कड़ी चुनौती पेश की थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

लोस चुनाव में भाजपा का ऐतिहासिक प्रदर्शन

यदि पिछले लोकसभा चुनाव का विधानसभावार विश्लेषण किया जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 28 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में 128 विधानसभा क्षेत्रों में कमल खिलने में कामयाब रहा है। उधर टीएमसी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 214 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल हुई मगर 2019 के चुनावों में टीएमसी की बढ़त केवल 158 विधानसभा क्षेत्रों में ही सिमट कर रह गई।

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भाजपा की मोर्चेबंदी से ममता सतर्क

पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और भाजपा को मात्र 3 सीटें मिली थीं। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बार भाजपा काफी पहले से ही चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है। कोरोना संकटकाल में भी भाजपा ने लगातार सक्रियता बनाए रखी और कहीं भी कोई कमी पाए जाने पर ममता सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। भाजपा की तैयारियों को देखते हुए ममता बनर्जी इस बार काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं।

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