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मोदी सरकार में बगावत: विपक्ष को मिली ताकत, अब खुद पीएम संभालेंगे मोर्चा

पंजाब में विधेयकों का व्यापक विरोध हो रहा है और अकाली दल को किसानों का वोट बैंक सीधे कांग्रेस में ट्रांसफर होने का खतरा सता रहा था।

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Published on: 18 Sept 2020 9:48 AM IST
मोदी सरकार में बगावत: विपक्ष को मिली ताकत, अब खुद पीएम संभालेंगे मोर्चा
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नई दिल्ली: कृषि विधेयकों के मुद्दे पर अकाली दल के रुख से मोदी सरकार को भारी झटका लगा है। इन विधेयकों के विरोध में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों से जुड़े इन विधायकों का विरोध कर रहे विपक्षी दलों को अकाली दल के इस कदम से ताकत मिली है।

अकाली दल ने भी इन विधेयकों के विरोध में वही बातें सामने रखी हैं जो बातें कांग्रेस अभी तक करती रही है। लोकसभा में इस मुद्दे पर कांग्रेस, द्रमुक और आरएसपी गुरुवार को वाकआउट भी किया। अब सरकार की ओर से मोर्चाबंदी संभालने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उतरना पड़ा है।

कृषि विधेयकों का जबर्दस्त विरोध

Formers Protest कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (फाइल फोटो)

किसानों से जुड़े इन विधेयकों का कई राज्यों में विरोध हो रहा है। मगर सबसे ज्यादा विरोध हरियाणा और पंजाब में दिख रहा है। इन दोनों ही राज्यों में किसान सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने इन विधेयकों के खिलाफ आवाज बुलंद की है। किसानों ने इन विधायकों के खिलाफ 24 से 26 सितंबर तक रेल रोको आंदोलन का एलान कर दिया है। इसके साथ ही 25 सितंबर को बंदी का आह्वान भी किया गया है।

अकाली दल को सता रहा यह डर

Harsimrat Kaur अकाली दल के रुख से विपक्ष को मिली ताकत (फाइल फोटो)

हरसिमरत के इस्तीफे को अकाली दल की मजबूरी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पंजाब में विधेयकों का व्यापक विरोध हो रहा है और अकाली दल को किसानों का वोट बैंक सीधे कांग्रेस में ट्रांसफर होने का खतरा सता रहा था। पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस चुनाव में अकाली दल को अपने वजूद की लड़ाई लड़नी है।

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सियासी जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार में रहकर अकाली दल अपने राजनीतिक वजूद को कभी दांव पर नहीं लगाना चाहेगा। इस्तीफा देने के बाद हरसिमरत कौर ने कहा भी कि मुझे गर्व है कि मैं अपने किसानों के साथ उनकी बहन और बेटी के तौर पर खड़ी हूं।

शुरुआत से ही विरोध में था अकाली दल

Harsimrat Kaur अकाली दल के रुख से विपक्ष को मिली ताकत (फाइल फोटो)

मंगलवार को आवश्यक वस्तु संशोधन बिल पास होने के दौरान भी अकाली दल ने विरोध जताया था और इसके खिलाफ वोट किया था। हालांकि कुछ विपक्षी दलों का आरोप है कि शुरुआती दौर में इस मुद्दे पर अकाली दल मोदी सरकार के साथ था मगर बाद में किसानों के उग्र विरोध को देखते हुए उसने पलटी मार ली। दूसरी ओर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल का कहना है कि अकाली दल शुरुआत से किसानों से जुड़े इन विधेयकों का विरोध कर रहा था।

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उन्होंने कहा कि जब तक किसानों से जुड़े सरोकारों का हल नहीं तलाश लिया जाता तब तक इन विधेयकों को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। बादल का कहना है कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और हमने कृषि विधेयकों का हर मंच पर विरोध किया है। हमारे शुरू से ही मांग है कि इन विधेयकों से जुड़ी आशंकाएं दूर की जानी चाहिए।

Sukhbir Singh Badal अकाली दल के रुख से विपक्ष को मिली ताकत (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अनाज के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया है। ये विधेयक उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देंगे। विधेयकों के विरोध में सरकार से अलग होने के बाद बादल की ओर से पहले कहा गया कि अकाली दल पहले की तरह एनडीए सरकार को समर्थन जारी रखेगा मगर बाद में उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर शुक्रवार को अंतिम फैसला करेगी।

अकाली दल ने इसलिए अपनाया कड़ा रुख

Sukhbir Singh Badal अकाली दल के रुख से विपक्ष को मिली ताकत (फाइल फोटो)

पंजाब के सियासी समीकरणों के साथ ही राज्य की कृषि आधारित सामाजिक व्यवस्था ने भी अकाली दल को कड़ा रुख अपनाने पर मजबूर किया है। पंजाब की सियासत में अकाली दल का मुकाबला कांग्रेस से है और कांग्रेस खुलकर इन बिलों के विरोध में उतर आई है। कांग्रेस की ओर से इन बिलों को लेकर अकाली दल पर निशाना भी साधा जा रहा है।

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पंजाब के किसानों ने विरोध का झंडा बुलंद करते हुए यहां तक चेतावनी दे रखी है कि इन विधेयकों का समर्थन करने वाले सांसदों को राज्य में घुसने नहीं दिया जाएगा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इसे लेकर मोदी सरकार और अकाली दल पर हमले कर रहे हैं। इस कारण अकाली दल ने बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार छोड़ने का फैसला कर लिया।

विपक्षी की आवाज और मजबूत हुई

Harsimrat Kaur अकाली दल के रुख से विपक्ष को मिली ताकत (फाइल फोटो)

दूसरी ओर अकाली दल के इस रुख से विपक्ष की आवाज और मजबूत हुई है। कांग्रेस ने संसद सत्र की शुरुआत से पहले ही किसानों से जुड़े इन तीनों विधेयकों का विरोध करने का एलान कर दिया था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना था कि इन विधेयकों की मंजूरी से किसानों की बर्बादी शुरू हो जाएगी और वे शोषण का शिकार होंगे।

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विधेयकों के विरोध में कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। अब अकाली दल ने भी खुलकर वही बातें करनी शुरू कर दी हैं जो बातें इन विधेयकों के विरोध में कांग्रेस कहती रही है।

मोदी बोले- किसानों को भरमाने की कोशिशें

PM Modi PM Modi (फाइल फोटो)

विधेयकों के बढ़ते विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि किसानों को भरमाने में बहुत सारी ताकतें में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सही मायने में ये विधेयक उन्हें और मजबूत बनाएंगे। उन्हें बिचौलियों व तमाम अवरोधों से मुक्ति मिलने के साथ ही अपनी उपज बेचने के नए मौके मिलेंगे और उनका मुनाफा बढ़ेगा।

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उन्होंने कहा कि सरकार के इन कदमों से किसानों को आधुनिक तकनीक मिलेगी और वे और सशक्त होंगे। मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी।

कृषि मंत्री ने विधेयकों को क्रांतिकारी बताया

Narendra Singh Tomar कृषि मंत्रि नरेंद्र सिंह तोमर (फाइल फोटो)

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी तीनों विधेयकों को क्रांतिकारी बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष किसानों को भरमाने में लगा हुआ है जबकि इन विधेयकों से किसानों का फायदा होने वाला है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उपज के लिए लाभकारी मूल्य मिलेगा और इससे राज्य के कानून पर कोई असर नहीं होगा।



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