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मरकज के समर्थन में उतरा PFI, बताया मुस्लिमों के खिलाफ साजिश

तबलीगी जमात के सैकड़ों लोगों को निकालकर अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जमात के 24 लोगों में कोरोना से संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।

Aradhya Tripathi
Published on: 1 April 2020 11:46 AM IST
मरकज के समर्थन में उतरा PFI, बताया मुस्लिमों के खिलाफ साजिश
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नई दिल्ली: दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन मरकज में जुटे तबलीगी जमात के सैकड़ों लोगों को निकालकर अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जमात के 24 लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। चूंकि जमात के धार्मिक कार्यक्रम 'जोड़' में देश ही नहीं विदेशों से भी लोग शामिल हुए थे और उनमें कई अपने-अपने घर वापस भी चले गए। इसलिए, पूरे देश में कोरोना वायरस के संक्रमण में तेजी आने का बड़ा खतरा मंडराने लगा है, लेकिन मरकज है कि मानता ही नहीं।

मरकज के समर्थन में उतरा PFI

यह हालत कि मरकज इस लापरवाही से एक तरफ कोविड-19 के इलाज को समर्पित दिल्ली के अस्पतालों पर अचानक अप्रत्याशित दबाव बढ़ गया है तो दूसरी तरफ पूरे देश में कोरोना के संक्रमण बढ़ने का खतरा मंडराने लगा है। अब तो इस्लामिक संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) भी उसके समर्थन में खड़ा हो गया।

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पीएफआई का कहना है कि निजामुद्दीन मरकज ने कुछ भी गलत नहीं किया। सरकार और मीडिया प्रॉपगैंडा फैलाकर इसे बदनाम कर रहे हैं। ध्यान रहे कि इससे पहले मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फिरंगी महली भी कह चुके हैं कि निजामुद्दीन की घटना के बहाने सोशल मीडिया पर नफरत फैलाई जा रही है।

लॉकडाउन से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा ऐसा- PFI

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पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि तबलीगी जमात का मामला इसलिए उछाला जा रहा है ताकि बिना तैयारी के लॉकडाउन की घोषणा से बुर प्रभाव से नजरें हटाई जा सके। मंगलवार को जारी प्रेस रिलीज में पीएफआई ने कहा कि लॉकडाउन में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा करने का दोष मरकज पर मढ़कर मौलाना साद एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना बिल्कुल निंदनीय है।

देश विरोधी गतिविधियों का है PFI पर आरोप

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ध्यान रहे कि यह वही पीएफआई है जिस पर एक नहीं, कई बार देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शनों में हिंसा भड़काने की बात हो या दिल्ली में हुआ दंगा, इस कट्टर इस्लामी संगठन का नाम ऐसी देशविरोधी गतिविधियों से जुड़ता रहा है। लखनऊ और दिल्ली हिंसा के संबंध में तो पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है। संगठन पर फंडिंग कर हिंसा आयोजित करवाने का आरोप लगा है, जिसकी जांच चल रही है।

हमने नहीं की कोई गलती- मरकज

वहीं, निजामुद्दीन मरकज का भी कहना है कि वह इस मामले में बिल्कुल पाक साफ है और उसने कोई गलती नहीं की है। उसका कहना है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 22 मार्च को लागू 'जनता कर्फ्यू' के मद्देनजर धार्मिक कार्यक्रमों को तुरंत खत्म कर दिया गया था। हालांकि, देश का खास मुस्लिम चेहर जफर सरेशवाला ने एक न्यूज चैनल से कहा कि उन्होंने मरकज के मौलाना साद को खतरों की चेतावनी देते हुए जमात बुलाने से मना किया था, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी।

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वैसे भी इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है कि जब देश में कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा था और सरकारें लगातार अपील पर अपील कर रही थीं, तब इन अपीलों को नजरअंदाज कर देश-दुनिया से भीड़ जुटाने की हिमाकत की गई।

अन्य मस्जिदों में भी मुसलामानों ने शरण

एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि सिर्फ मरकज ही नहीं, दिल्ली के अन्य 16 मस्जिदों में भी 157 विदेशी मुसलमानों ने शरण ले रखी थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच की तरफ से जारी इन 16 मस्जिदों की लिस्ट में भलस्वा डेयरी की मक्का मदीना मस्जिद, पुल प्रह्लादपुर की फातिमा मस्जिद और मेवाती मस्जिद, चांदनी महल की कीकर वाली मस्जिद, हौज सुई वालान मस्जिद और पठान वाली मस्जिद,

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पटौदी हाउस रोड की छोटी मस्जिद, तुर्कमान गेट की छोटी मस्जिद, वजीराबाद की जामा मस्जिद, मालवीय नगर की बड़ी मस्जिद और जहांपनाह मस्जिद, शास्त्री पार्क की वाहिद मस्जिद और रशीदिया मस्जिद, वेलकम की खजूर वाली मस्जिद और गोल बाग वाली मस्जिद और जनता कॉलोनी की मेराज मस्जिद शामिल हैं।

मरकज पर लिया गया ऐक्शन

प्रशासन ने तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज को तो खाली करा ही चुका है, अब इन मस्जिदों की भी निगरानी की जा रही है। वहीं, मरकज के मौलाना साद एवं अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 और आईपीसी की दूसरी धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।

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चिंताजनक बात यह है कि विभिन्न राज्य जमात के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे लोगों से सामने आने की अपील कर रहा है, लेकिन अब तक एक भी व्यक्ति सामने नहीं आया है। क्या मरकज और पीएफआई जैसे संगठनों को अब भी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उन लोगों से साथ देने की अपील नहीं करनी चाहिए जो घरों में छिपे हैं और परिवार, समाज ही नहीं पूरे देश के लिए खतरा बने हुए हैं?



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Aradhya Tripathi

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