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भारत-चीन में फिर भिड़ंत: पैंगोंग लेक की फिंगर्स पर विवाद, ड्रैगन इस पर करता है दावा
31 अगस्त यानी सोमवार को एक बार फिर पैंगोंग त्सो झील के पास चीनी जवानों और भारतीय सैनिकों के बीच मारपीट हो गई। बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने एलएसी पर भारतीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे देश के जाबांज जवानों ने नाकाम कर दिया।
नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच बीते कुछ महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इसी साल जून में हुई हिंसक झड़प के बाद से लोगों का गुस्सा अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि इस बीच एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, 31 अगस्त यानी सोमवार को एक बार फिर पैंगोंग त्सो झील के पास चीनी जवानों और भारतीय सैनिकों के बीच मारपीट हो गई।
भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की नाकाम
बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने एलएसी पर भारतीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे देश के जाबांज जवानों ने नाकाम कर दिया। दरअसल, लद्दाख में चीनी सेना लगातार भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ करने में लगी हुई है। दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के बाद भले ही चीनी सेना विवादित इलाकों से पीछे हटी थी, लेकिन उन्होंने पैंगोंग त्सो झील के पास डेरा जमा लिया था। उनसे पीछे हटने के लिए भी कहा गया लेकिन चीनी सैना टस से मस नहीं हुई।
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फिंगर-4 पर अपना दावा जताता है चीन
चीन बार-बार भारतीय फिंगर-4 पर अपना दावा जताता है। ड्रैगन इस पर कब्जा करना चाहता है, लेकिन भारतीय जवान उसके इस नापाक हरकत को कामयाब नहीं होने देते और उन्हें उल्टे मुंह वापस भेज देते हैं। इस बीच फिंगर 4 और फिंगर 8 की भी काफी चर्चा हो रही है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये फिंगर्स है क्या?
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किसे कहते हैं फिंगर्स?
बीते कुछ सालो से चीनी सेना पैंगोंग झील के किनारे सड़कों का निर्माण कर रही है। साल 1999 में जब कारगिल का युद्ध चल रहा था तो उस वक्त मौके का फायदा उठाते हुए चीन ने भारतीय सीमा में झील के किनारे तकरीबन पांच किलोमीटर लंबी सड़क बना ली। इस झील के उत्तरी किनारे पर बंजर पहाड़ियां है, जिन्हें स्थानीय भाषा में छांग छेनमो कहा जाता है। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही सेना ‘फिंगर्स’ कहती है।
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भारत और चीन की अलग-अलग राय
भारत का दावा है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सीमा फिंगर आठ तक है। लेकिन उसके द्वारा फिंगर चार तक को ही नियंत्रित किया जाता है। फिंगर आठ पर चीन का पोस्ट है। वहीं चीन का कहना है कि एलएसी फिंगर 2 तक है। छह साल पहले चीनी सेना ने फिंगर 4 पर स्थाई निर्माण की कोशिश की, लेकिन भारत द्वारा विरोध किए जाने पर इसे गिरा दिया गया।
पेट्रोलिंग के लिए हल्के वाहनों का उपयोग
चीनी सेना द्वारा फिंगर 2 पर पेट्रोलिंग के लिए हल्के वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर पेट्रोलिंग के दौरान भारत की पेट्रोलिंग टीम से उनका सामना होता है तो उन्हें वापस लौटने के लिए कहा जाता है। क्योंकि उस जगह पर भारत और चीन की पेट्रोलिंग गाड़ियां नहीं घुमा सकते, इसलिए गाड़ी को वापस ले जाने के लिए कहा जाता है।
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फिंगर 8 तक बढ़ाया गश्त
भारतीय सैनिक पैदल भी गश्त करने के लिए निकलते हैं। सीमा पर तनाव के मद्देनजर इस गश्त को फिंगर 8 तक बढ़ा दिया गया है। मई महीने के शुरूआत में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच में फिंगर 5 के इलाके में झड़प हो गई थी। जिसके बाद से सीमा पर तनाव और बढ़ गया है। इसकी वजह से दोनों पक्षों में असहमति भी है।
क्यों हुई सैनिकों में भिड़त
दरअसल, चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को फिंगर 2 से आगे जाने से रोक दिया था। बताया जाता है कि इस वक्त चीन के पांच हजार जवान गलवान घाटी में मौजूद हैं। सबसे ज्यादा परेशानी देखने को मिलती है पैंगोंग लेक के आसपास। इस झील के पास कई बार भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ चुके हैं।
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तीन सेक्टर्स में बंटी LAC
बता दें कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तीन सेक्टर्स में बंटी है। पहला तो अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक है। दूसरा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक है। तीसरा है लद्दाख। भारत चीन के साथ लगी इस 3,488 किलोमीटर सीमा पर अपना दावा जताता है, जबकि चीन इस दो हजार किलोमीटर तक ही बताता है।
पैंगोंग झील के पास होती है अक्सर झड़प
एलएसी ही वह रेखा है जो दोनों देशों की सीमाओं को अलग-अलग करती है। दोनों देशों के सैनिक अपने-अपने हिस्से में LAC पर गश्त करते रहते हैं। इस दौरान कई बार पैंगोंग झील के पास उनकी झड़प हुई है। झील का 45 किलोमीटर का पश्चिमी हिस्सा भारत के नियंत्रण में है, जबकि बाकी हिस्सा चीन के हिस्से में है। ये झील करीब 604 स्क्वॉयर किलोमीटर से ज्यादा के दायरे में फैली है, जो 135 किलोमीटर लंबी है।
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