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इस गांव के लंकेश करते हैं 'दशानन' की पूजा, यह है पूरा रहस्य

संतोष ने बताया कि बचपन में इन्होंने रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाया था। कुछ सालों बाद इन्हें रावण का किरदार निभाने का भी मौका मिला है, उस किरदार से संतोष इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने रावण को ही अपना गुरु और ईष्ट

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Published on: 13 July 2023 10:19 PM IST
इस गांव के लंकेश करते हैं दशानन की पूजा, यह है पूरा रहस्य
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जबलपुर: आजकल देश में शारदीय नवरात्र की धूम है, एक तरफ जहां देश में हर जगह दुर्गा की पूजा-आराधना में डूबा हुआ है, वहीं जगह-जगह रामलीला की धूम है।

नया मामला जबलपुर से है, जहां एक शख्स, इन भक्तों से बिल्कुल ही अलग तरह की पूजा-अर्चना में डूबा हुआ है। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक रावण भक्त की...

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दरअसल, जबलपुर में रहने वाला संतोष नामदेव उर्फ लंकेश नामक यह शख्स नवरात्र के दिनों में रावण की पूजा करता है, मध्य प्रदेश की संस्कारधानी समेत पूरे महाकौशल में दशानन की पूजा करने वाले इस शख्स की खूब चर्चा है।

इसके साथ ही नवरात्र की पंचमी पर दशानन की प्रतिमा स्थापित करना और दशहरे पर विसर्जन की परंपरा का पालन करते है। बताते चले कि लंकेश पिछले कई वर्षों से रावण की पूजा करता आ रहा है।

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रावण के लिए अनोखी आस्था...

आज के दौर में भगवान राम को पूजने वाले कई लोगों को आप जानते होंगे, लेकिन जबलपुर के लंकेश की रावण-भक्ति की कहानी सुनकर आप हतप्रद हो जायेंगे।

बताते चलें कि अपनी इस अनोखी आस्था के लिए जबलपुर के पाटन इलाके में रहने वाले लंकेश अलग पहचान रखते हैं।

एक तरफ जहां सभी लोग नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में जब लोग सुबह उठकर राम का नाम लेते हैं, तो यहां लंकेश रावण की पूजा कर रहे होते हैं।

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बता दें कि संतोष नामदेव पेशे से दर्जी हैं, लेकिन इनकी रावण भक्ति की कहानी सुनकर हर कोई प्रभावित हो रहा है, बताया जा रहा है कि दशकों से रावण की पूजा करते आ रहे संतोष की पहचान इसी कारण लंकेश के रूप में बन चुकी है।

साथ ही बताते चलें कि क्षेत्र के लोग भी इस कार्य के लिए उन्हें पूरा सहयोग करते हैं, उनके मुहल्ले में रावण की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है।

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दशानन की अच्छाइयों से सीख...

संतोष की रावण भक्ति को देखकर अब उनके परिवार और पड़ोसी भी उनका साथ देने लगे हैं, संतोष कहते हैं कि भले ही हमारा समाज रावण की बुराइयों की अनेक कहानियां सुनाता हो, लेकिन हम दशानन की अच्छाइयों से सीख लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

संतोष ने बताया कि बचपन में इन्होंने रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाया था। कुछ सालों बाद इन्हें रावण का किरदार निभाने का भी मौका मिला है, उस किरदार से संतोष इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने रावण को ही अपना गुरु और ईष्ट मान लिया। तब से रावण-भक्ति का सिलसिला चला आ रहा है।

संतोष ने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से रावण की भक्ति कर रहे हैं. उनका मानना है कि जो कुछ भी उनके पास है वह सब रावण की भक्ति से ही मिला है.

बेटों का नाम मेघनाद और अक्षय...

संतोष नामदेव का मानना है कि रावण बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी था, उसके अंदर कोई भी दुर्गुण नहीं था। उसने जो भी किया वह अपने राक्षस कुल के उद्धार के लिए किया था।

इसके साथ ही संतोष ने बताया कि रावण ने सीता का अपहरण करने के बाद उन्हें अशोक वाटिका में रखा, जहां किसी भी नर, पशु-पक्षी, जानवर या राक्षस को जाने की अनुमति नहीं थी, यह सीता के प्रति उसकी सम्मान की भावना ही थी।

साथ ही साथ आपको बता दें कि रावणभक्त अपने दोनों बेटों का नाम भी मेघनाद और अक्षय रखा है, जो रावण के पुत्रों के नाम थे।

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