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दागियों को टिकट देने पर सुप्रीम कोर्ट का राजनीतिक पार्टियों को कड़ा निर्देश

भारतीय राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि उम्मीदवारों के अपराधिक ब्यौरों के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दें।

Shreya
Published on: 13 Feb 2020 5:39 AM GMT
दागियों को टिकट देने पर सुप्रीम कोर्ट का राजनीतिक पार्टियों को कड़ा निर्देश
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नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि उम्मीदवारों के अपराधिक ब्यौरों के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दें। अदालत ने पार्टियों से उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे पहले उम्मीदवारों के क्रिमिनल केस के बारे में बताने को कहा है।

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उम्मीदवारों को टिकट देने से पहले बतानी होगी वजह- SC

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पार्टियों को ये भी निर्देश दिया है कि अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की वजह बताएं। इसके अलावा कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया है कि उम्मीदवारों के क्रिमिनल केस के बारे में पार्टियां स्थानीय अखबारों में भी छपवाएं। साथ ही ये भी कहा है कि उम्मीदवारों के अपराधिक ब्यौरों को वेबसाइट पर भी डालें और इसकी जानकारी चुनाव आयोग को भी दें। वहीं कोर्ट ने मौजूदा अपराधिक मामले वाले जनप्रतिनिधियों पर चिंता जताई है।

बढ़ते अपराधीकरण वाली याचिका पर SC ने की सुनवाई

कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि (Criminal background) वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देना चाहिए या नहीं वाले याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया है। इस मामले पर जस्टिस रोहिंटन नरीमन और एस रविंद्र भट की बेंच ने फैसला सुनाया है।

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बीजेपी नेता ने SC से की थी ये मांग

कई याचिकाकर्ताओं में से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि अदालत चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि राजनीतिक पार्टियां आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए टिकट न दें। वहीं ऐसा होने पर चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करे।

चुनाव आयोग ने पेश किया था सुझाव

बता दें कि निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि नेताओं द्वारा अपने अपराधों के बारे में घोषणा करने से भी भारतीय राजनीति के अपराधीकरण पर लगाम नहीं लग पा रहा है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक सुझाव पेश किया था कि भारतीय राजनीति में अपराधियों का साया न पड़ सके इसलिए राजनीतिक दलों से यह कहा जाना चाहिए कि वे ऐसे उम्मीदवारों को टिकट न दें, जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि (Criminal background) हो।

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आयोग से मांगी गई थी रुपरेखा

वहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राजनीति बढ़ते अपराधीकरण को खत्म करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को एक हफ्ते के अंदर उपाय बताने के निर्देश दिए थे। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए थे कि वह एक हफ्ते के अंदर देश में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के मद्देनजर रूपरेखा बनाकर कोर्ट में पेश करे।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय और चुनाव आयोग (EC) से कहा कि वह साथ मिलकर विचार कर सुझाव दें, जिससे राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण पर रोक लगाने में मदद मिले।

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