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मजदूरों का पलायन रोके सरकार, डर भगाने के लिए भजन-कीर्तन भी कराएं: सुप्रीम कोर्ट

कोरोना वायरस को लेकर देश में खौफ का माहौल है। इस जानलेवा वायरस से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन किया है। इस बीच शहरों से मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई।

Dharmendra kumar
Published on: 31 March 2020 10:29 PM IST
मजदूरों का पलायन रोके सरकार, डर भगाने के लिए भजन-कीर्तन भी कराएं: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर देश में खौफ का माहौल है। इस जानलेवा वायरस से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन किया है। इस बीच शहरों से मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना से कहीं ज्यादा दहशत जिंदगियों को बर्बाद कर देगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में मजदूरों के डर को कम करने के लिए अगर भजन, कीर्तन, नमाज या जो किया जा सकता है, वो करना चाहिए, इसी के जरिए इन लोगों को ताकत देनी होगी। देश के तमाम शेल्टर होम में रुके हुए इन मजदूरों के मन को शांत करने के लिए प्रशिक्षित काउंसलर्स और सभी समुदायों के धार्मिक नेताओं की मदद लें।

'मजदूरों का पलायन रोकें केंद्र सरकार'

सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र को जरूरी निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मजदूरों के पलायन को रोकने और 24 घंटे के भीतर इस महामारी से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए एक पोर्टल बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस पोर्टल से महामारी से संबंधित सही जानकारी जनता को उपलब्ध कराई जाए। पीठ ने कहा कि इन आश्रय गृहों का संचालन पुलिस को नहीं बल्कि वॉलंटियर्स को करना चाहिए और उनके साथ किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं होना चाहिए।

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'कोरोना से कहीं ज्यादा दहशत से बर्बाद हो जाएगी जिंदगी'

तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार जल्द एक ऐसी व्यवस्था लागू करेगी जिसमें कामगारों के व्याप्त डर पर ध्यान दिया जाएगा और उनकी काउन्सलिंग भी की जाएगी। पीठ ने मेहता से सवाल किया है कि आप कब ये केंद्र स्थापित कर देंगे? परामर्शदाता कहां से आ रहे हैं? उन्हें आप कहां भेजेंगे? इस पर तुषार मेहता ने कहा कि जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से इन प्रशिक्षित काउंसलर को भेजा जाएगा, इस पर पीठ ने कहा, 'देश में 620 जिले हैं। आपके पास कुल कितने काउन्सलर हैं?

उन्होंने कहा कि हम आपसे कहना चाहते हैं कि यह दहशत वायरस से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगा। पीठ ने कहा कि आप भजन, कीर्तन, नमाज या जो चाहें कर सकते हैं लेकिन आपको लोगों को ताकत देनी होगी। इस पर मेहता ने कहा कि प्राधिकारी आश्रय गृहों में पनाह लिये कामगारों को सलाह देने और उनमें आत्म विश्वास पैदा करने के लिये धार्मिक नेताओं को लाएंगे ताकि ये श्रमिक शांत होकर वहां रह सकें।

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पोर्टल बनाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि वह पलायन कर रहे इन कामगारों को रोके और उनके भोजन, रहने और मेडिकल सुविधा आदि का बंदोबस्त करे। केन्द्र ने इन कामगारों को सैनिटाइज करने के लिए उन पर रसायन युक्त पानी का छिड़काव करने के एक याचिकाकर्ता के सुझाव पर कहा कि यह वैज्ञानिक तरीके से काम नहीं करता है और यह उचित तरीका नहीं है। इस बीच, शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट को इन मजदूरों के मुद्दे पर विचार करने से रोकने से इनकार कर दिया और कहा कि वे अधिक बारीकी से इस मामले की निगरानी कर सकते हैं।

हालांकि कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह शीर्ष अदालत के आदेशों के बारे में हाईकोर्ट को अवगत कराने के लिए सरकारी वकीलों को निर्देश दें। पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह कोरोना वायरस महामारी के मुद्दे के संदर्भ में केरल के कासरगोड के सांसद राजमोहन उन्नीथन और पश्चिम बंगाल के एक सांसद की लेटर पेटिशन पर विचार करे। न्यायालय ने इन याचिकाओं की सुनवाई सात अप्रैल के लिए स्थगित करते हुए केन्द्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कामगारों के आश्रय स्थलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्वयंसेवियों को सौंपी जाए और इनके साथ किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया जाए।

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'मजदूरों में आत्म विश्वास पैदा करने के लिए धार्मिक नेताओं से संपर्क'

केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस समय लोगों को दूसरे स्थान जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे कोरोना वायरस को फैलने का अवसर मिलेगा। मेहता ने कहा कि करीब 4.14 करोड़ मजदूर काम के लिये दूसरे स्थानों पर गए थे लेकिन अब कोरोनावायरस की दहशत से लोग वापस लौट रहे हैं। सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इस महामारी से बचाव और इसके फैलाव को रोकने के लिए समूचे देश को लॉकडाउन करने की आवश्यकता हो गई है ताकि लोग दूसरों के साथ घुले मिलें नहीं और सामाजिक दूरी बनाने के नियमों का पालन करते हुए एक-दूसरे से मिल नहीं सकें।

'शेल्टर होम का संचालन पुलिस नहीं बल्कि वॉलंटियर्स करें'

तुषार मेहता ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि कामगारों का पलायन नहीं हो। ऐसा करना उनके लिए और गांव की आबादी के लिए भी जोखिम भरा होगा। जहां तक ग्रामीण भारत का सवाल है तो यह अभी तक कोरोनावायरस के प्रकोप से बचा हुआ है लेकिन शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जा रहे 10 में से तीन व्यक्तियों के साथ यह वायरस जाने की संभावना है।' उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पलायन पूरी तरह प्रतिबंधित करने के बारे में राज्यों को जरूरी सलाह जारी किए गए हैं और केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार करीब 6,63,000 व्यक्तियों को अभी तक आश्रय प्रदान किया जा चुका है।

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मजदूरों पर बल न हो प्रयोग

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 22,88,000 से ज्यादा व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, क्योंकि ये सभी जरूरतमंद, एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे कामगार और दिहाड़ी मजदूर हैं जो कहीं न कहीं पहुंच गए हैं और उन्हें रोककर शेल्टर होम में रखा गया है। पीठ ने शुरू में टिप्पणी करते हुए कहा कि हम 24 घंटे के भीतर सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए पोर्टल के बारे में आदेश पारित करेंगे। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन लोगों को आपने रोका है उनकी सही तरीके से देखभाल हो और उन्हें भोजन, रहने की जगह, पौष्टिक आहार और चिकित्सा सुविधा मिले। आप उन मामलों को भी देखेंगे जिनकी पहचान आपने कोविड-19 मामले और अलग रहने के लिए की है।

'प्रशिक्षित काउंसलर और धार्मिक नेताओं से संपर्क करेंगे'

मेहता ने बताया कि मैं यहां बयान दे रहा हूं कि 24 घंटे के भीतर हम प्रशिक्षित काउंसलर और धार्मिक नेताओं को तैयार कर लेंगे। पीठ ने कहा कि इस काम में सभी आस्थाओं के धार्मिक नेताओं की मदद ली जानी चाहिए ताकि उनमें व्याप्त भय समाप्त किया जा सके। मेहता ने पीठ से कहा कि इन कामगारों के पलायन को लेकर केरल हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की गयी है। चूंकि अब शीर्ष अदालत इस पर गौर कर रही है, इसलिए अन्य अदालतों को इस पर विचार नहीं करना चाहिए।

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पीठ ने कहा कि इस तरह की स्थिति में, हमें इन मामलों की सुनवाई करने से उच्च न्यायालयों को नहीं रोकना चाहिए। उच्च न्यायालय ज्यादा बारीकी से इनकी निगरानी करने में सक्षम हो सकते हैं।' इसके साथ ही पीठ ने मेहता से कहा कि वह अपने सरकारी वकीलों को शीर्ष अदालत के आदेशों से हाईकोर्ट को अवगत कराने की हिदायत दें।



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Dharmendra kumar

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