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कोई बुझा नहीं पा रहा! भारत में इस जगह लगी है 100 वर्षों से आग

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। देश के साथ- साथ सभी राज्य, और राज्यों के साथ शहर-गांव अपनी-अपनी प्रमुखता और विशेषता के लिए विख्यात-प्रख्यात है।

Harsh Pandey
Published on: 10 Nov 2019 10:02 PM IST
कोई बुझा नहीं पा रहा! भारत में इस जगह लगी है 100 वर्षों से आग
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नई दिल्ली: भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है। देश के साथ- साथ सभी राज्य, और राज्यों के साथ शहर-गांव अपनी-अपनी प्रमुखता और विशेषता के लिए विख्यात-प्रख्यात है।

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आपको बता दें कि भारत में एक ऐसा भी शहर है जो अपनी प्राकृतिक देन के लिए विख्यात तो है लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इस शहर के नीचे पिछले 100 सालों से आग धधक रही है।

दरअसल, झारखंड का झरिया शहर प्राकृतिक कोयले के लिए विख्यात है लेकिन यहां पिछले सौ साल से लगी भूमिगत आग अब झरिया शहर के नजदीक पहुंच गई है।

सरकार लगातार कर रही प्रयास...

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आपतो बता दें कि सरकारों द्वारा लगातार इस आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन आग बुझाने के सारे प्रयास विफल साबित हो चुके हैं।

करोड़ों खर्च...

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इसका साथ ही आपको बता दें कि इस पर अब तक 2311 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, इतना ही नहीं भूमिगत आग के कारण कोलियरियों के पास बसीं एक दर्जन बस्तियां खत्म हो चुकी है।

झरिया शहर के आसपास उठ रही आग की लपटें और गैस-धुएं के गुबार यहां के हालात बयां कर रहे हैं, हालय यह हैं कि लिलोरीपाथरा गांव में कोयले की खदानों के ऊपर की जमीन पर आग की लपटें उठती रहती हैं।

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यह है पूरी कहानी...

दरअसल, यहां आग की शुरुआत 1916 में हुई थी, जब झरिया में अंडरग्राउंड माइनिंग होती थी। 1890 में अंग्रेजों ने इस शहर में कोयले की खोज की थी, तभी से झरिया में कोयले की खदानें बना दी गईं।

यहां पर रह रहे लोग अंगारों के बीच रहते हैं, उन्हें अपने भविष्य का पता नहीं है, इस आग का सबसे भयावह दृश्य तब सामने आता है जब जलते हुए कोयले को उठाकर ट्रकों पर डाला जाता है।

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पिछले सौ सालों में यहां का तीन करोड़ 17 लाख टन कोयला जलकर राख हो चुका है, इसके बावजूद एक अरब 86 करोड़ टन कोयला यहां की खदानों में बचा हुआ है, अब तक 10 अरब से अधिक का कोयला जलकर राख हो चुका है।

झरिया में लगी आग को बुझाने का पहला गंभीर प्रयास एक जर्मन कंपनी की सहायता से 2008 में किया गया, कंपनी ने जलते हुए कोयले को हटाने का प्रयास किया लेकिन सतह को क्षतिग्रस्त करने की वजह से इस तरीके की आलोचना हुई।

इसके बाद गर्म कोयले को ठंडा करने के लिए जमीन के ऊपर पानी डालने का भी प्रयास किया गया लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा. इस आग के बारे में यह कहा जा चुका है कि यह आग नहीं बुझ सकती सिर्फ नियंत्रित की जा सकती है।

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Harsh Pandey

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