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कमल के आकार का होगा नया संसद भवन?
कुल मिलाकर मोदी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसमें लागत कितनी आएगी, इसका अभी खुलासा नहीं हो सका है क्योंकि जैसी डिजाइन मंजूर की जाएगी उसी हिसाब से लागत का पता चलेगी लेकिन सरकार ने यह डेडलाइन जरूर तय की है कि मंजूरी मिलने के तीन साल के अंदर सारा काम पूरा कर लिया जाएगा।
लखनऊ: कैसा होगा जब देश के सांसद नई दिल्ली स्थित नए संसद भवन में बैठेगें ? जी हां यह हम नहीं, बल्कि मोदी सरकार की योजना का यह एक हिस्सा है। योजना के तहत वर्ष 2022 में देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर नए सांसद इसी भवन की शोभा बढ़ाएगें। इसके लिए ड्रीम प्लांट तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।
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दरअसल कहा जा रहा है कि देश के कई नेता इस बात को कह चुके हैं कि देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन अब काफी पुराना हो चुका है। जिसके कारण आए दिन व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।
नए संसद भवन की जरूरत
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू नए संसद भवन की जरूरत को पहले ही बता चुके हैं। मोदी सरकार की योजना के तहत केवल संसद नहीं बल्कि केंद्र दरकार के सारे मंत्रालय और दफ़्तर भी शामिल हैं। सरकार की योजना है कि नया संसद भवन, संयुक्त केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा डिज़ाइन के लिये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्ताव मांगे गए हैं।
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महत्वकांक्षी परियोजना के तहत नये कलेवर में संसद भवन, संयुक्त केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा केडिज़ाइन के लिये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्ताव मांगे गए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार ने इसके निर्माण के लिए कई कंपनियों से इसके डिजायन मांगे हैं।
कमल के आकार का पसंद आया भवन
इन डिजायनों में सरकार को कमल के आकार का भवन पसंद आया है। कहा जा रहा है कि पुराना संसद भवन बना रहेगा लेकिन नया संसद भवन नई जगह ही बनेगा। बताते चलें कि वर्तमान संसद भवन 1911 में बनना शुरू हुआ था. और. सन 1927 में संसद भवन का उद्घाटन हुआ था। लेकिन अब संसद भवन में व्यवहारिक दिक्कते हो रही हैं। जैसे संसद में मंत्रियों के बैठने के लिए तो चैम्बर हैं लेकिन सांसदों के लिए नहीं हैं।
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मोदी सरकार की मंशा है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए जिससे सभी मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में कोआर्डिनेशन ठीक से हो सके। यह सभी लगभग एक सी इमारत में हों. अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग करीब 47 मंत्रालयों विभागों और दफ्तरों में 70000 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे हैं।
एसी से टपकता है पानी
नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अलावा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और न जाने कितनी इमारतें हैं जिनमें अलग-अलग मंत्रालयों के कार्यालय स्थित हैं जिसके कारण कर्मचारियों को पूरे दिन इधर से उधर भागना पड़ता है। कई जगह तार लटके दिखते हैं। एसी से पानी टपकता दिखता है।
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यही नहीं केंद्र सरकार ने निजी इमारतों में भी अपने अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर बना रखे हैं जिनका सालाना किराया करीब 1000 करोड़ रुपये है। इसलिए अब विचार है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए जिसमें सभी मंत्रालय के सभी मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी एक साथ काम करेंगे।
देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का तीन किलोमीटर का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है। सेंट्रल विस्टा पूरे देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है जिसको देखने लोग देश-विदेश से आते हैं। सरकार की योजना है कि इस तीन किलोमीटर के इलाके को विश्व स्तरीय लुक दिया जाए. इसमें वेंडर की समस्या, पार्किंग की समस्या, लोगों के बैठने की समस्या के लिए बाकायदा प्लानिंग करके काम किया जाना चाहिए।
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कुल मिलाकर मोदी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसमें लागत कितनी आएगी, इसका अभी खुलासा नहीं हो सका है क्योंकि जैसी डिजाइन मंजूर की जाएगी उसी हिसाब से लागत का पता चलेगी लेकिन सरकार ने यह डेडलाइन जरूर तय की है कि मंजूरी मिलने के तीन साल के अंदर सारा काम पूरा कर लिया जाएगा।