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कांपी पूरी दुनिया: काल बन कर आया ये 2020, शुरू से ही छाए संकट के बादल

कहते हैं नया साल लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आता है। सभी नए साल की शुरूआत एक नए सिरे और बेहतर ढंग से करना चाहते हैं। लेकिन लोगों को ये सपना साल 2020 के लिए धरा का धरा रह गया।

Shreya
Published on: 7 July 2020 8:39 AM GMT
कांपी पूरी दुनिया: काल बन कर आया ये 2020, शुरू से ही छाए संकट के बादल
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लखनऊ: कहते हैं नया साल लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आता है। सभी नए साल की शुरूआत एक नए सिरे और बेहतर ढंग से करना चाहते हैं। लेकिन लोगों को ये सपना साल 2020 के लिए धरा का धरा रह गया। इस साल ऐसी कई पेरशानी (आपदा) आई, जिसने लोगों की जिंदगियों को बुरी तरह प्रभावित किया। वहीं अगर इस साल को तबाही का साल कहा जाए तो इसमें कुछ गलत भी नहीं होगा। इस साल ना केवल महामारी, बल्कि भूंकप, साइक्लोन जैसे कई कुदरती आपदाओं से भी लोगों को गुजरना पड़ा है। तो चलिए आपको बताते हैं इस साल आई कुछ बड़ी आफतो के बारे में।

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग

साल की शुरूआत में जिसने सबसे ज्यादा पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा वो था ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में इतनी भीषण आग लगी कि इसमें 1.25 बिलियन यानी करीब 125 करोड़ जीव-जंतु मारे गए। इस घटना की कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं, जिसने सभी के रूह खड़े कर दिए। इस आग की वजह से 72 करोड़ एकड़ जंगल, झाड़, पेड़-पौधे, नेचुरल पार्क देखते-देखते राख में तब्दील हो गए। ना केवल पेड़ पौधे और जानवरों को इससे नुकसान पहुंचा, बल्कि नौ हजार 352 से ज्यादा इमारतें भी नष्ट हो गईं। और करीब 451 लोगों की मौत हुई थी।

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चीन से कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत

इसके बाद दुनियाभर में दस्तक दी कोरोना वायरस ने। चीन से शुरू हुए इस कोरोना वायरस ने एक महामारी का रूप ले लिया, जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। अब तक दुनियाभर में कोरोना के करीब एक करोड़ से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से पांच लाख 37 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से सबसे ज्यादा विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश अमेरिका प्रभावित हुआ है। दूसरे नंबर पर ब्राजील तो वहीं तीसरे नंबर पर भारत का नंबर है। वहीं अब तक इस महामारी का कोई सटीक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। हालांकि दुनिया भर में इसके वैक्सीन और दवा पर काम चल रहा है।

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दुनियाभर में आए 6,869 भूकंप के झटके

वहीं इस साल अब तक पूरी दुनियाभर में 6869 भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 6118 झटके 4.0 से 4.9 तीव्रता के बीच रहे। वहीं सबसे तगड़ा भूकंप जमैका में 28 जनवरी को महसूस किया गया था। जिसकी तीव्रता 7.7 मापी गई थी। इसके बाद तुर्की में 24 जनवरी को 6.7 तीव्रता का भूकंप आया था, इसके वजह से 41 लोगों की जान गई थी। वहीं इन भूकंपों से अब तक दुनियाभर में 75 लोग मारे जा चुके हैं।

दुनियाभर के कई देशों में हुआ टिड्डियों का हमला

इन सबके बाद कई देशों में टिड्डियों का हमला हुआ। टिड्डी दल का हमला, जो कि जून 2019 से शुरू हुआ था वो अभी तक रूकने का नाम नहीं ले रहा। इन टिड्डियों के दल ने भारत, पाकिस्तान, इरान, नेपाल, अर्जेंटीना, सोमालिया, केन्या, कॉन्गो, जिबौती, एरिट्रिया, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सूडान, युगांडा, यमन, और पराग्वे जैसे देशों में हजारों एकड़ में खड़ी फसलें खराब कर दीं। इन देशों को टिड्डियों के दल ने पूरी तरह से हिला कर रख दिया।

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चक्रवाती तूफनों ने बरपाया अपना कहर

वहीं इस साल चक्रवाती तूफनों ने भी अपना कहर बरपाने का मौका नहीं छोड़ा। भारत में इस साल दो तुफानों ने दस्तक दी। 16 मई से 21 मई 2020 के बीच बंगाल की खाड़ी पर बने चक्रवाती तूफान अम्फन ने जमकर अपना कहर बरपाया। इस तुफान से भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे देश प्रभावित हुए। इस तुफान की वजह से 1.01 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

विशाखापट्टनम में हुआ गैस लीक

भारत में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस लीक की घटना में सैकड़ों की तादाद में लोग बीमार हो गए, जबकि 11 लोगों की मौत हो गई। विशाखापट्टनम में सात मई को एक फार्मा कंपनी से इस जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसकी वजह से सैकड़ों की संख्या में लोगों को सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ जैसे समस्या हुई, जिसके चलते इन्हें अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा।

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बोत्सवाना में 350 से ज्यादा हाथियों की रहस्यमयी मौत

दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में 350 से ज्यादा हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। हालांकि अब तक इन हाथियों की मौत का कारण नहीं चल पाया। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि इनकी मौत किसी विष के चलते हुई है या फिर किसी बीमारी के चलते। ज्यादातर हाथी जलस्रोतों के करीब मरे मिले हैं।

अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में हरे रंग का मिश्रण

वहीं अब अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में हरे रंग का मिश्रण शामिल हो रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अंटार्कटिका के बर्फ का हरे रंग में बदलने का कारण एक समुद्री एल्गी है। ऐसा भी माना जा रहा है कि यह एल्गी कुछ सालों में पूरे अंटार्कटिका में देखने को मिले।

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चीन से एक और बीमारी फैलने का खतरा

पहले ही पूरी दुनिया चीन से फैले कोरोना वायरस से जूझ रही है और अब चीन से एक और खतरनाक बीमारी के फैलने का खतरा है। ब्यूबोनिक प्लेग नाम की इस बीमारी से पूरी दुनिया में लाखों लोग मारे गए हैं। इससे पहले भी तीन बार इस जानलेवा दस्तक ने पूरी दुनिया में अपनी दस्तक दे चुकी है। पहली बार इस बीमारी से पांच करोड़, दूसरी बार यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजारों लोगों की जान चली गई थी। अब एक बार फिर से इस बीमारी का खतरा पनप रहा है।

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