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भारत की बढ़ती ताकत का इस्तकबाल है हाउडी मोदी

संतुलन का ये चमत्कार ही है कि अमेरिका और रूस दोनो से भारत के बेहतरीन रिश्ते हैं एक तरफ भारत रूस को कर्ज देता है तो दूसरी ओर एक बार फिर ट्रंफ सरकार का नारा।

Manali Rastogi
Published on: 3 Jun 2023 2:26 AM IST
भारत की बढ़ती ताकत का इस्तकबाल है हाउडी मोदी
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भारत की बढ़ती ताकत का इस्तकबाल है हाउडी मोदी

पंडित रामकृष्ण वाजपेयी

हाउडी मोदी में भारत का उदीयमान महाशक्ति के रूप में इस्तकबाल देखकर दुनिया के तमाम मुल्कों के लोग हतप्रभ हैं। विदेशी मीडिया में यह आयोजन सुर्खियों में रहा। खासकर मोदी-ट्रंफ की जुगलबंदी ने इस आयोजन को यादगार बना दिया।

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अब से कुछ समय पहले तक भारत के राजनीतिकों के साथ अमेरिका में जो सुलूक होता रहा है ऐसा लगता नहीं है कि इतनी जल्दी लोगों के जहन से उतर गया होगा। भले आज पाकिस्तान के पीएम इमरान खान अपने कर्मों से बेइज्जत हो रहे हों लेकिन ऐसी बइज्जती हम भी बरसों झेलते रहे हैं।

हाउडी-मोदी आयोजन देखकर ये ह्तप्रभ हैं

अगर आज कुछ बदला है, बदलता दिखा। आगे दूरतलक बदलाव की बयार दिख रही है तो भारत में भी कुछ सवाल उठ रहे हैं ये सवाल उठाने वाले वही लोग हैं, जो पाकिस्तान की जुबान बोलकर सवाल करते आए हैं। हमने सुना था कि कुछ लोगों को दिनौंधी होती है तो कुछ को रतौंधी। लेकिन यहां तो ऐसे लोगों की भरमार है जिन्हें ये दोनो बीमारियां जकड़े हुए हैं।

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“हाउडी-मोदी” आयोजन देखकर ये हतप्रभ हैं। सही कहा किसी ने भारत में ऐसे शो होते ही कहाँ है, चुनाव के दौरान ऐसे शो की झलक भर दिखती है। कुछ नहीं मिला, तो सवाल उठा दिया कि कितनी लागत आई होगी इस आयोजन में, बेशक इस आयोजन में इनकी जेब से कुछ नहीं गया लेकिन सवाल पूछने का हक तो बनता है भाई।

यही है हाउडी मोदी

अद्भुत विश्लेषण होता है। 22 लाख की आबादी में डेढ़ लाख भारतीय मूल के लोग और इनमें तकरीबन दो सौ लोगों ने 17 करोड़ रुपए जुटाए और कर दिया हाउडी मोदी शो। ह्यूस्टन में हैलो की जगह हाउडी का इस्तेमाल होता है। मतलब इसमें कुछ खास नहीं।

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हैलो मोदी या हाउडी मोदी के आयोजन में पहले एक नाम आया था विजय चौथाई वाले का जिन्हें इस शो का रचनाकार बताया गया था लेकिन अब इस कड़ी में दो नाम और जुड़ गये है जुगल मलानी और विजय शिनॉय के। क्या ये प्रवासी भारतीयों का आयोजन था हम ये नहीं मान सकते।

जुगल मलानी 1981 से ह्यूस्टन में हैं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनथक यात्रा को खारिज करने के लिए ऐसे लोग किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। डॉ. विजय चौथाईवाले तो भाजपा के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ प्रभारी हैं ही लेकिन जुगल मलानी और विजय शिनॉय तो व्यवसाई हैं। वास्तव में आलोचना हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। हर बात में नकारात्मकता खुद आपको गडढे में ले जाती है।

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कर्नाटक के बीदर में जन्मे जुगल मलानी 1981 से ह्यूस्टन में हैं। इनकी खुद की इंडस्ट्री है, जहां एक सैकड़ा से कुछ ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। पत्नी न्यूरोलॉजिस्ट हैं। भामी वी. शिनॉय पहले जार्जिया की नेशनल ऑयल कंपनी से जुड़े थे। गैस और क्रूड ऑयल की कंपनी 'कोनोको फिलिप्स’ में रणनीतिक सलाहकार रहे और इस समय ऊर्जा कारोबारी हैं। मीनमेख निकालने वाले इस आयोजन में कारोबारी निहितार्थ तलाश रहे हैं। यदि इस यात्रा से कारोबार बढ़ता है तो दिक्कत क्यों। आपकी जेब तो नहीं काटी जा रही है।

भारत का डंका आज दुनियाभर में बज रहा

मोदी विरोधियों की ये लॉबी इस बात से पूरी तरह बेखबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का डंका आज दुनियाभर में बज रहा है। इसका कारण है प्रधानमंत्री मोदी का विश्व स्तर पर अपनी क्षमता का अहसास कराना। यहां देखने की बात यह है कि मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के साथ दुनिया भर का दौरा करना शुरू किया तो उस समय भी देश में एक लॉबी ने सवाल उठाया था कि मोदी ग्लोबल लीडर हैं, देश के लिए उनके पास समय नहीं है।

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मगर आलोचनाओं से परे मोदी ने भारत को महाशक्ति बनाने के अपने मिशन को बदस्तूर जारी रखा। मोदी के सतत प्रयासों का पहला असर यह हुआ कि अमेरिका ने 2017 में भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति मान लिया।

भारत संग और मजबूत होगी रणनीतिक साझेदारी

अमेरिका ने तब एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) जारी करते हुए कहा था कि इससे भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। अमेरिका ने यह भी कहा कि वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा कायम रखने के लिए भारत के नेतृत्व क्षमता के योगदान का समर्थन करता है। इसके अलावा वह अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा।

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आज हालात यह हैं कि भारत-अमेरिका प्रमुख साझेदार हैं। आगे यह सहभागिता और बढ़ने की उम्मीद है। इससे बड़ी बात और क्या होगी कि अमेरिका आज अपनी रणनीतिक साझेदारी में भारत के साथ मजबूती के साथ खड़ा है और हिंद महासागर सुरक्षा तथा समूचे सीमा क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका स्वीकार कर रहा है।

हिट है हाउडी मोदी

इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वो हैसियत हासिल कर ली है जो उसे ग्लोबल ताकत बनाती है। वह दौर चला गया जब भारत विश्व की महाशक्तियों के पीछे भागता था। आज भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के विदेशी शासनाध्यक्षों से अच्छे संबंधों का ही नतीजा है कि आज चीन जैसे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत घेरने में कामयाब हो सका है।

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अमेरिका दौरे में पाकिस्तान किस तरह पस्त हुआ है यह ढकी छिपी बात नहीं। लाख जतन करने के बाद भी किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी सुनवाई न होना। उसका अलग थलग पड़ जाना भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता है।

पाक को कंधा देने से अमेरिका ने किया मना

मजे की बात यह है कि अमेरिका ने तो पाक को कंधा देने से मना कर ही दिया है। इसके अलावा उसे आतंकवाद का गढ़ बताते हुए अफगानिस्तान, बांग्लादेश भी साथ छोड़ चुके हैं। यहां तक कि चीन ने भी पाक के द्वारा कश्मीर में अंतराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग पर इसे द्विपक्षीय मामला कहकर कन्नी काट ली है।

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आतंक के खिलाफ आज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देश हमारे साथ खड़े हैं। सार्क के सभी सदस्य देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और नेपाल हमारे साथ हैं। अब एक बात दुनिया के सामने सिद्ध हो गई है कि भारत ही नहीं विश्व में आतंकवाद की समस्‍या पाकिस्‍तान की देन है। और विश्व समुदाय मोदी का कायल क्यों न हो जबकि मोदी के प्रयासों से ही इजरायल और फिलीस्तीन जैसे दुश्मन देशों के बीच संतुलन स्थापित हुआ है।

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संतुलन का ये चमत्कार ही है कि अमेरिका और रूस दोनो से भारत के बेहतरीन रिश्ते हैं एक तरफ भारत रूस को कर्ज देता है तो दूसरी ओर एक बार फिर ट्रंफ सरकार का नारा। हालात ये हैं कि आज थाइलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई आसियान देशों के नेताओं का पीएम मोदी पर गहराता भरोसा विश्व राजनीति में भारत के दबदबे को दिखा रहा है। इससे साबित होता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व के सबसे शक्तिशाली महाशक्ति के सिंहासन पर सिहासनारूढ़ दिखाई देगा।



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