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देवरिया उपचुनावः जीतेगा 'ब्राह्मण', पर किसका ब्राह्मण

देवरिया सीट पर ब्राह्मण और सैथवार जाति निर्णायक भूमिका में हैं। वरिष्ठ पत्रकार उमेश शुक्ला बताते हैं कि ‘भाजपा प्रत्याशी को करीब 50 फीसदी ब्राह्मणों का वोट मिलता दिख रहा है। वहीं सपा उम्मीदवार को भी 25 से 30 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है। बसपा और कांग्रेस उम्मीदवार शेष बचे 20 फीसदी वोट में सेंधमारी करते दिख रहे हैं।

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Published on: 28 Oct 2020 12:02 AM IST
देवरिया उपचुनावः जीतेगा ब्राह्मण, पर किसका ब्राह्मण
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देवरिया सदर सीट पर हो रहा उपचुनाव ब्राह्मण राजनीति के लिटमस टेस्ट की प्रयोगशाला बनी हुई है। लड़ाई में सपा का ब्राह्मण व भाजपा का ब्राह्मण आपने सामने है।

योगेश मिश्र/पूर्णिमा श्रीवास्तव

देवरिया: भाजपा के राज्य सभा उम्मीदवार हरिद्वार दुबे ने नामजदगी का पर्चा भरने के बाद कहा, “ब्राह्मण ससुर जाएगा तो कहां जाएगा बताइए? ब्राह्मणों का बीजेपी के अलावा वाकई सम्मान नहीं है। बीजेपी का संबंध ब्राम्हणों से ऐसा है, जो कुछ कहा नहीं जा सकता। ये कई लोग हवा बनाते रहें, ब्राह्मण बीजेपी के साथ ही रहेगा।” हरिद्वार दूबे के सवाल का जवाब देवरिया उपचुनाव के नतीजों से ही मिल पायेगा। हालाँकि देवरिया उपचुनाव के नतीजे सूबे की जातीय राजनीति के हिसाब से पहले से तय हैं। देवरिया उपचुनाव में जीतेगा ब्राह्मण। पर लाख टके का सवाल है कि कौन ब्राह्मण? किसका ब्राह्मण? चारों दलों-सपा, भाजपा, बसपा और कांग्रेस ने उपचुनाव की इस सीट पर एक ही जाति के उम्मीदवार उतारे हैं। यूपी में आठ सीटों पर होने वाले उपचुनाव को विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है।

देवरिया सदर सीट पर हो रहा उपचुनाव ब्राह्मण राजनीति के लिटमस टेस्ट की प्रयोगशाला बनी हुई है। लड़ाई में सपा का ब्राह्मण व भाजपा का ब्राह्मण आपने सामने है। 3 नवम्बर को होने वाले मतदान में भाजपा, बसपा, सपा से लेकर कांग्रेस ने ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। विकास के दावे के इतर संदेश साफ है कि यूपी में अभी भी सियासत जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है।

देवरिया के भाजपा विधायक जनमेजय सिंह के निधन से खाली हुई सीट पर 3 नवम्बर को वोटिंग होना है। बता दें कि 16वीं विधानसभा यानी 2012 के चुनाव में जनमेजय सिंह ने भाजपा के टिकट पर लड़ते हुए बसपा के प्रमोद सिंह को 23 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। वहीं 2017 की भाजपा लहर में जनमेजय सिंह ने सपा के जेपी जायसवाल को 46 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से करारी मात दी थी। उपचुनाव में भाजपा ने यहां से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है। वह देवरिया में ही संत बिनोबा भावे महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में शिक्षक हैं। वह वर्ष 2002 में गौरीबाजार विधानसभा सीट से निर्दल चुनाव लड़ चुके हैं। वह एक बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। उनके भाई प्रो.श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी अमरकंटक यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं।

BJP

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इसके पहले वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग में अध्यक्ष रहे। वह संघ परिवार से जुड़े हुए हैं। बसपा ने यहां से अभयनाथ त्रिपाठी पर एक बार फिर भरोसा जताया है। लेखपाल की नौकरी छोड़कर राजनीति में कूदने वाले अभयनाथ त्रिपाठी ने 2017 के चुनाव में भी बसपा की उम्मीदवारी की थी। उन्हें तीसरा स्थान मिला था। कांग्रेस ने यहां से छात्रनेता और यूथ कांग्रेस की सियासत करने वाले मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया। वह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व व दिवंगत विधायक जनमेजय सिंह के बेटे अजय कुमार सिंह उर्फ पिंटू ने बगावत कर निर्दल चुनाव में उतर गए हैं। ‘बैट बल्ला’ चुनाव चिन्ह से वह विरोधियों को खदेड़ने का दावा कर रहे हैं। जनमेजय सिंह के बेटे भाजपा का वोट काटते दिख रहे हैं। उनकी यह अपील लोगों के गले उतर रही है कि इस उपचुनाव में कई टिकट भाजपा ने दिवंगत नेताओं के परिजनों को दिया है। जबकि उनके मामले में यह सहानुभूति भाजपा में ग़ायब रहा।

समाजवादी पार्टी ने दिग्गज नेता और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को टिकट थमाया है। हालांकि टिकट मिलने के चंद घंटे पहले ही ब्रह्माशंकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके थे। ब्रह्माशंकर को बाहरी बताते हुए खरिज करने की सियासत हो रही है। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि 2011 में परिसीमन से पहले तक ब्रह्माशंकर त्रिपाठी कसया विधानसभा से चुनाव लड़ते थे। इसमें आधा क्षेत्र कुशीनगर तो आधा देवरिया में आता था। ब्रह्माशंकर त्रिपाठी का शहर के राधवनगर में लंबे समय से मकान भी है। इसलिए उनके बाहरी कहे जाने की बात लोगों के गले नहीं उतर रही है। अभी सब ब्रह्माशंकर से ही लड़ रहे हैं। वह एक चुनाव हारते हैं। दूसरा जीतते हैं।जनता ने उन्हें और सूर्य प्रताप शाही को बार बार सदन में भेजने की जगह बारी बारी से सदन में भेजने का फ़ैसला सुनाया।

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परिसीमन के बाद ब्रहमाशंकर व सूर्य प्रताप शाही इस अभिशाप से मुक्त नहीं हो पाये। इस बार ब्रह्माशंकर की जीतने वाली बारी है। यही नहीं, मुस्लिम व यादव सपा के अलावा किसी को वोट देने का मन बनाये नहीं दिखता है। उधर इस चुनाव के लिए टिकट माँग रहे जयसवाल ब्रह्माशंकर के रास्ते में काँटा बो रहे हैं। पर उनका ब्राह्मणों को भला बुरा कहने वाले वीडियो के वायरल होने से ब्राह्मण ब्रह्मा शंकर के पीछे मज़बूती से जुट रहा है।

उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों का ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव

देवरिया में जातिगत समीकरण को देखते हुए ही भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कलराज मिश्रा को टिकट दिया था। कलराज मिश्र पहली बार में ही चुनाव जीते। वर्ष 2019 में कलराज मिश्र का टिकट काटकर यूपी के दूसरे ब्राह्मण चेहरे डॉ.रमापति राम त्रिपाठी को टिकट दिया। तमाम कयासों और अटकलों को दरकिनार कर डॉ.रमापति राम ने बड़े अंतर से चुनाव जीता। अब देवरिया सदर सीट पर हो रहे उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों ने ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगाया है।

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देवरिया सीट पर ब्राह्मण और सैथवार जाति निर्णायक भूमिका में हैं। वरिष्ठ पत्रकार उमेश शुक्ला बताते हैं कि ‘भाजपा प्रत्याशी को करीब 50 फीसदी ब्राह्मणों का वोट मिलता दिख रहा है। वहीं सपा उम्मीदवार को भी 25 से 30 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है। बसपा और कांग्रेस उम्मीदवार शेष बचे 20 फीसदी वोट में सेंधमारी करते दिख रहे हैं। सैथवार जाति के वोटों पर जनमेजय सिंह के बेटे पिंटू सिंह का प्रभाव दिख रहा है। लेकिन उनकी दावेदारी सैथवार और राजभर जाति के वोटों पर ही सिमटती दिख रही है।’

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विधानसभा सीट पर करीब 30 फीसदी वोटर मुस्लिम, यादव और चौहान जाति के वोटर हैं। इन वोटों पर सपा प्रत्याशी ब्रह्माशंकर त्रिपाठी का प्रभाव साफ दिख रहा है। गोरखपुर सपा महानगर अध्यक्ष जियाउल इस्लाम का कहना है कि सपा को मुस्लिम, यादव के साथ ब्राह्मणों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है।

इन दिनों सूबे में ब्राह्मण मतों को लेकर सियासत तेज है। मायावती व अखिलेश यादव ने इस समाज को साधने के लिए भगवान परशुराम को हथियार बनाया है। मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक सहित 9 ब्राह्मण मंत्रियों के बाद भी भाजपा से ब्राह्मण उपेक्षित महसूस कर रहा है। इसी उपेक्षा से निपटने के लिए भाजपा ने अपने पुराने दो ब्राह्मण नेताओं को राज्य सभा का टिकट भी दिया है। पर साथ ही दो क्षत्रिय उम्मीदवार भी खड़े किये हैं। राज्य में ब्राह्मणों की तादाद बारह फ़ीसदी है। जबकि क्षत्रिय छह फ़ीसदी के आसपास बैठते हैं।

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सभी दलों ने ब्राह्मण नेताओं को मैदान में उतारा

सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने ब्राह्मण चेहरों को मैदान में उतार दिया है। बसपा की तरफ से सतीश मिश्रा प्रचार कर चुके हैं। भाजपा की तरफ से बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी कैंप किये हुए हैं। वहीं गोरखपुर सदर सांसद रवि किशन शुक्ला और डॉ.रमापति राम त्रिपाठी पूरी तरह सक्रिय हैं और नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू प्रचार कर वोट की अपील कर चुके हैं। चुनाव में नमांकन शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देवरिया पहुंचे थे। अधिकारियों के साथ बैठक के बाद देवरिया विधानसभा उपचुनाव को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने मंथन किया था। इस दौरान चुनावी तैयारियों का फीडबैक लिया गया। सीएम योगी विकास से जुड़ी 187 परियोजनाओं का वर्चुअल शिलान्यास भी किया था। मुख्यमंत्री की सभा 31 अक्तूबर को प्रस्तावित है।

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कुल मतदाता-3341777

पुरूष मतदाता-181077

महिला मतदाता-153088

अन्य मतदाता-12

विधानसभा में जातिगत समीकरण-

ब्राह्मण-60 हजार

यादव-35 हजार

सैथवार-50 हजार

मुस्लिम-40 हजार

दलित-30 हजार

राजभर-24 हजार

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