'ऑटो रिक्शा वाले' ने किया ये कारनामा, सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स के सपने को ऐसे दिये पंख

इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी करवाने वाले '1 रुपया गुरु दक्षिणा वाले मैथेमैटिक्स गुरु' आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस लंदन, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस, गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स मे भी दर्ज हो चुका है।

Shivani Awasthi
Published on: 14 May 2020 5:20 AM GMT
ऑटो रिक्शा वाले ने किया ये कारनामा, सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स के सपने को ऐसे दिये पंख
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लखनऊः पापड़ बेचने वाले मैथमेटिक्स गुरु आनंद कुमार के संघर्षों को सुपर 30 के माध्यम से बड़े पर्दे पर सभी देख चुके है। वैसे ही बिहार का एक और मैथेमैटिक्स गुरू पिछ्ले कुछ सालों से अपने शैक्षणिक कार्यशैली के लिये देश विदेश मे खुब सुर्खिया बटोर रहे है । हम बात कर रहे है ऑटो रिक्शा वाले मैथेमैटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव के बारे में, इनकी कहानी समाज के लिये प्रेरणा।

ऑटो रिक्शा वाले ने किया ये कारनामा

इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी करवाने वाले '1 रुपया गुरु दक्षिणा वाले मैथेमैटिक्स गुरु' आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस लंदन, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस, गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स मे भी दर्ज हो चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की भी प्रशंसा कर चुके है।

मैथेमैटिक्स गुरू ने संघर्षों से लिखी सफलता की कहानी

कभी ऑटो चला परिवार का भरण-पोषण होता था और आज मैथेमैटिक्स गुरू बन आरके श्रीवास्तव सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना रहे ।

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पिता के प्यारे पुत्र और बड़े भाई के आँखों का तारा (पिता और एकलौते बड़े भाई इस दुनिया में नहीं रहे) के सफलता की कहानी से रूबरू करा रहे हैं। हम बात कर रहे है मैथेमैटिक्स गुरू फेम आरके श्रीवास्तव के कड़े संघर्ष से मिली सफलता के बारे में, जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं और जिन्होंने बना दिया सैकड़ों निर्धन परिवार के छात्र-छात्राओं को इंजीनियर।

स्टोरी है समाज के लिये प्रेरणा

आर के श्रीवास्तव ने बताया कि 5 वर्ष की उम्र में ही पिताजी का साया सिर से उठ गया। पिताजी का चेहरा धुधला-धुंधला दिखाई देता है। बस उनकी तेजस्वी ज्ञान और सामाजिक कार्य बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। पिताजी का आर्शीवाद और उनके दिये संस्कार हमारे परिवार के साथ हमेशा रहता है। पिताजी की बिमारी में भी बड़े भाई ने अपने पाॅकेट मनी से गुल्लक में जमा किये धनराशि से हाॅस्पिटल का बिल दिया था। पिताजी के गुजरने के बाद बहुत कम उम्र में ही परिवार चलाने की जिम्मेवारी बड़े भाई पर आ गई और पैसे के अभाव से मानो दुःखों का पहाड़ टूट गया।

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पिता और भाई की मौत के बाद परिवार की उठाई जिम्मेदारी

भरपेट भोजन मिलना भी नामुमकिन सा लगने लगा। तभी बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव ने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आपसी सहयोग से पैसा जुटाकर एक ऑटो रिक्शा खरीदा। रोहतास जिला के बिक्रमगंज शहर के मेन चौक से थाना चौक तक 1-1 रू में सवारी ढोकर परिवार का भरण -पोषण चलना प्रारम्भ हुआ। ऐसे ही समय बीतता गया, बड़े भाई ने पिता का फर्ज बखूबी निभाते हुए आर के श्रीवास्तव को पढाया लिखाया। आज से 5 वर्ष पहले वर्ष 2014 में बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ चले गये। इस दु:ख से आर के श्रीवास्तव पूरी तरह टूट चुके थे। भतीजे ,भतीजियो को पढाने लिखाने की जिम्मेदारी बहुत कम उम्र मे ही आरके श्रीवास्तव के कन्धे पर आ गये।

ऑटो रिक्शा चलाकर कभी परिवार का होता था भरण- पोषण

एक कहावत है की समय के साथ हर अन्धेरे के बाद उजाला जरुर आता है । भैया के गुजरने के बाद परिवार का दायित्व आरके श्रीवास्तव पर आ गया, ऑटो रिक्शा से जो इनकम होता उसी से परिवार का भरण पोषण शुरु हो गया। 10 जून वर्ष 2017 को आरके श्रीवास्तव ने अपने बड़ी भतीजी की शादी धूमधाम से शिक्षित परिवार मे किया।

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परिवार के लिए ऑटो चलाने के साथ ट्यूशन देना किया शुरू

आरके श्रीवास्तव को लगा की ऑटो रिक्शा का इनकम परिवार चलाने के लिये पर्याप्त नही है क्यू न अपने आगे की पढ़ाई और गणितीय ज्ञान का उपयोग भी ट्यूशन पढाने मे किया जाये ताकी कुछ पैसा और अधिक आ सके। इसी बीच आरके श्रीवास्तव को टीबी की बिमारी हो गया, स्थानिय डॉक्टर ने उन्हे 9 माह दवा खाने और रेस्ट करने की सलाह दिया। इसी दौरान आरके श्रीवास्तव घर के अगल बगल के स्टूडेंट्स को बुलाकर पढाना प्रारंभ किया, और ये कारवा आगे बढता गया। जो स्टूडेंट्स अपनी इच्छा से 100- 200 जो भी पैसा देते उसे वे रख लेते।

गरीब स्टूडेंट्स को '1 रुपया गुरु दक्षिणा' में दी शिक्षा

उन्होने पढाने के दौरान देखा की कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स है जो 100 रुपया भी देने के योग्य नही है । तब उसी वर्ष उनके दिमाग मे वैसे गरीब स्टूडेंट्स के लिये 1 रुपया गुरु दक्षिणा मे पढाने का कांसेप्ट आया जो उसी समय से अभी तक चल रहा है ।

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सैकङो गरीब स्टूडेंट्स के सपने को दिये पंख

आईआईटी, एनआईटी सहित अन्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी करवाने वाले आरके श्रीवास्तव ने सैकङो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स के सपने को पंख लगाया।आरके श्रीवास्तव पिछले कई सालों से गरीब बच्चों को 1 रुपया गुरु दक्षिणा में शिक्षा देकर उन्हें आईआईटी, एनआईटी,बीसीईसीई सहित देश के अन्य प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाओ में सफलता दिलाते रहे हैं।

आईआईटीयन बनने का टूटा था सपना

आरके श्रीवास्तव अपने शिक्षा के दौरान टीबी की बिमारी के चलते आईआईटी प्रवेश परीक्षा नही दे पाये थे। टीबी की बिमारी के चलते आईआईटीयन न बनने की टीस ने सैंकड़ों गरीब स्टूडेंट्स के सपने को पंख दिलाया।

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टीबी की बिमारी के ईलाज के दौरान आरके श्रीवास्तव ने अपने गाँव बिक्रमगंज मे मैथमैटिक्स पढाना शुरू किया था। जहां वह साधारण फीस पर बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम के लिए तैयार करते थे। कम फीस होने के बावजूद कुछ बच्चे यहां एडमिशन नहीं ले पाते थे। जिसके बाद आरके श्रीवास्तव ने " 1 रुपया गुरु दक्षिणा" प्रारुप वाले शैक्षणिक कार्यशैली की शुरुआत किया।

क्या है 1 रुपया गुरु दक्षिणा वाले गुरु की शैक्षणिक कार्यशैली?

"1 रुपया गुरु दक्षिणा" एक एजुकेशनल प्रोग्राम है, जहां गरीब और होनहार बच्चों को 1 रुपया फ़ी लेकर आईआईटी, एनआईटी के लिए कोचिंग दी जाती है। जो स्टूडेंट्स 1 रुपया फ़ी भी देने योग्य नही होते है उन्हे निःशुल्क शिक्षा दिया जाता है जब वे सफल होकर नौकरी करने लगते है उसके बाद वे आकर अपने गुरु को उनका गुरु दक्षिणा 1 रुपया जरुर देते है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने के लिये आरके श्रीवास्तव का स्पैशल गणित का लगातार 12 घंटे का नाइट क्लासेज अभियान देश मे काफी लोकप्रिय है । जिस दिन आरके श्रीवास्तव पूरी रात लगतार 12 घंटे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाने के लिये बुलाते है उस दिन उनके खाने की व्यवस्था भी होती है। बच्चों के लिए आरके श्रीवास्तव की मां आरती देवी खाना बनाती हैं।

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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस में नाम दर्ज

आरके श्रीवास्तव को उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिये वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस लंदन के अलावा दर्जनो अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।हालांकि उनकी इस सफलता के पीछे संघर्ष भी लंबा है,यह साधारण आदमी कई गरीब बच्चों का जीवन सवार चुके है और आगे यह काम जारी भी है ।

इन पुरस्कारों से किया जा चुका सम्मानित

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन से सम्मानित, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज, बेस्ट शिक्षक अवॉर्ड, इंडिया एक्सीलेन्स प्राइड अवॉर्ड, ह्यूमैनिटी अवॉर्ड, इंडियन आइडल अवॉर्ड, युथ आइकॉन अवॉर्ड सहित दर्जनों अवॉर्ड आरके श्रीवास्तव को उनके शैक्षणिक कार्यशैली के लिए मिल चुके है। इसमे कोई शक नही की आरके श्रीवास्तव देश का गौरव है।

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