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ये 6 महिला IAS ऑफिसर: जिन्होंने महामारी में नहीं मानी हार, डटी रही लगातार
कोरोना संकट से निजात पाने के लिए वैसे तो सभी जिलाधिकारी दिन रात मेहनत कर रहे हैं लेकिन इनमें से छह जिलों में तैनात महिला जिलाधिकारी भी किसी से पीछे नहीं हैं।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। कोरोना संकट से निजात पाने के लिए वैसे तो सभी जिलाधिकारी दिन रात मेहनत कर रहे हैं लेकिन इनमें से छह जिलों में तैनात महिला जिलाधिकारी भी किसी से पीछे नहीं हैं। इन जिलाधिकारियों ने जहां अपने कुशल नेतृत्व क्षमता से स्वास्थ्य व्यवस्था पर पूरा नियन्त्रण रखने का काम किया है वहीं लाकडाउन के कारण लोगों की जरूरत का सामान तथा भोजन रहने आदि का भी पूरा इंतजाम में जुटी हुई है। खास बात यह है कि अन्य जिलों के मुकाबलें इन जिलों में कोरोना प्रभावित लोगों की भी संख्या भी अपेक्षाकृत कम ही रही है। जो मरीज कोरोना पाजिटिव भी रहे उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार लाने काम हुआ है।
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सी इंदुमति (सुल्तानपुर)
मूलरूप से तमिलनाडु की सी इंदुमति वर्ष 2012 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। पिछले साल जून महीने में डीएम का कार्यभार संभालने वाली सी इंदुमति ने अपने एक साल के कार्यकाल में विकास योजनाओं में पारदर्शिता के साथ ही कानून व्यवस्था को बनाए रखने की बखूबी भूमिका निभाई है लेकिन कोरोना का संकट उनके लिए एक चुनौती बनकर सामने आया है।
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पिछले महीने 21 अप्रैल को जिले में पहला कोरोना मरीज सामने आने के बाद से जिलाधिकारी सी इंदुमति ने मोर्चा संभाला और इसे बीमारी को ज्यादा आगे बढने नही दिया।
जिले में अब तक कुल पांच ही कोरोना के मरीज सामने आए हैं। जिनमें तीन की रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद अब केवल दो ही मरीज बचे है। कोरोना संक्रमण अधिक न बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण डीएम इंदुमति का अपने जिले को लेकर तत्पर रहना है।
इस समय जहां कई जिलों में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. वहीं सुलतानपुर में भी कई प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से आ रहे हैं। इन मजदूरों के आगमन को देखते हुए सुलतानपुर जंक्शन को सैनिटाइज किया जाता है।
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सेल्वा कुमारी जे ( मुजफ्फरनगर)
मूल रूप से तमिलनाडु की ही रहने वाली 2006 बैच की आईएएस सेल्वा कुमारी जे ने पिछले साल जुलाई में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके पहले वह इटावा की डीएम भी रह चुकी है।
काम के प्रति बेहद लगनशीन व संवेदनशीन तथा बेहद कड़क स्वाभाव वाली सेल्वा कुमारी जे फतेहपुर, फिरोजाबाद, इटावा समेत कई अन्य जिलों की भी डीएम रह चुकी है।
जब वह इटावा की डीएम थी तब उन्हे हिन्दी ठीक से नही आती थी। पर अब वह फर्राटेदार हिन्दी बोलकर कोरोना के खिलाफ जग लड रही हैं। दिल्ली से लौटे सबसे ज्यादा जमातियों ने इसी जिले के आसपास अपना डेरा जमाया था।
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लेकिन अन्य जिलों को देखते हुए कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका गया। जिसका परिणाम यह रहा कि मुजफ्रनगर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 26 ही हैं। आरोग्य सेतु एप का उन्होेने खूब प्रचार प्रसार करवाया।
कोरोना के खिलाफ जिस तरह से डीएम सेल्वा कुमारी जे ने दिन -रात मेहनत कर इसे ज्यादा नहीं बढ़ने दिया। जिसे लेकर जिले के लोगों और सत्ताधारी भाजपा के कार्यकर्ताओं ने उनके कार्यालय में जाकर डीएम सेल्वा कुमारी जे को सम्मानित किया है।
रायबरेली (शुभ्रा सक्सेना)
मूल रूप से यूपी के बरेली जिले की रहने वाली शुभ्रा सक्सेना 2009 बैच की आईएएस हैं। अपने बैच की आईएएस टॉपर रहीं शुभा सक्सेना ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद चार साल तक उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर नौकरी की।
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शाहजहांपुर, बुलन्दशहर, अमरोहा, हरदोई आदि जगह पर डीएम रह चुकी शुभ्रा सक्सेना अक्टूबर 2019 से रायबरेली के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रही है। कोरोना की लड़ाई में उनका डिजायन किया हुआ एप कोविड-19 कंटेनमेंट एक अहम भूमिका निभा रहा है।
जिले में पिछले महीने जब एक साथ कोरोना पाजिटिव 33 मरीज मिले थें तो पूरे रायबरेली में अफरातफरी मच गयी थी लेकिन डीएम शुभ्रा सक्सेना ने इस चुनौती को स्वीकारा और इससे निबटने के लिए हर कोशिश की।
कोरोना संक्रमण को लेकर क्वाराटींन किए गए लोगों की हर सुख सुविधा का उन्होंने ख्याल रखा है। वह हर दिन स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ कोरोना संक्रमण से निबटने के लिए बनाई गयी टीमों के कामकाज की समीक्षा करती हैं।
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कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन के साथ ही जब दुकानों को बंद करा दिया गया और शासन स्तर पर जिले को रेड जोन में रखा गया तो जिला प्रशासन ने कोई ढिलाई नहीं की। इसका असर यह रहा कि जिले में कोरोना महामारी पर काफी हद तक अंकुश लग गया।
अदिति सिंह (हापुड)
मूल रूप से यूपी के बस्ती जिले की रहने वाली अदिति सिंह 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अप्रैल 2018 से हापुड़ के जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी निभा रही अदिति सिंह ने अपनी कार्यशैली से स्थानीय जनता की नागरिक आवश्कताओं को पूरा करने का काम किया है।
रायबरेली और सुल्तानपुर समेत कई अन्य जिलों में डीएम रह चुकी अदिति सिंह ने सबसे अधिक प्रभावित नोएडा क्षेत्र से सटे हुए जिले हापुड में कोरोना संक्रमण को रोकने मे अपनी प्रभावी भूमिका निभाई है।
डीएम अदिति सिंह ने पूरे जिले में चालीस चलती-फिरती मेडिकल टीम बनाई जो शहरी और ग्रामीण इलाकों में उन लोगों का पता लगाती रहती हैं जो बाहर की यात्रा करके आए हैं.।
ऐसे करीब साढ़े 6 हजार लोगों को होम क्वारंटीन किया गया। कुल मिलाकर जिले की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। अब जिले में मात्र पांच हॉट स्पॉट रह गए हैं। इतने ही क्षेत्र ग्रीन जोन में शामिल हो चुके हैं। जबकि दो क्षेत्र अभी ऑरेंज जोन में हैं। जिनके जल्द ही ग्रीन जोन में परिवर्तित होने की उम्मीद है।
यशु रूस्तगी (श्रावस्ती)
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मूल रूप से फरीदाबाद (हरियाणा ) की रहने वाली यशु रूस्तगी 2012 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और इन दिनों वह श्रावस्ती की जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं। शासन के विभिन्न विभागों में कार्य करने के बाद पिछले साल अक्टूबर महीने में उन्हे पहली बार जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी।
तब से वह लगातार इस जिले के विकास के लिए कार्य कर रही हैं। कोरोना संकट सामने आने के बाद वह उनकी कार्यपद्वति में काफी तेजी आई है। अपने कड़क स्वभाव के कारण वह किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करती हैं।
यही कारण है कि अबतक इस जिले में कोरोना के केवल 12 प्रभावित लोग ही हैं। इन दिनों कोरोना संकट से निबटने के लिए डीएम यशु रुस्तगी सुबह से लेकर शाम तक मेडिकल सेवाओं पर अपनी पूरी निगरानी रखती हैं ।
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साथ ही बाहर से आने वाले श्रमिकों, उनको क्वारांटीन करने, हाट स्पाट क्षेत्रों का जायजा लेने तथा नागरिकों की अन्य सुविधाओं आदि का पूरा ख्याल रख रही हैं।
वह बराबर कहती रहती हैं कि जिले की सीमा में कोई भी व्यक्ति बगैर मास्क अथवा गमछा या रुमाल लगाए घर से बाहर निकला तो उसकी खैर नहीं होगी। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करें, अन्यथा उन पर कार्रवाई की जाए।
शकुन्तला गौतम (बागपत)
मूल रूप से इटावा की रहने वाली शकुन्तला गौतम 2014 की आईएएस अधिकारी हैं। उन्हे पिछले साल जून में बागपत की जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी। इसके पहले वह अमेठी की भी डीएम रह चुकी हें।
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महिला जिलाधिकारी शकन्तुला गौतम कोरोना महामारी से निबटने के लिए किसी भी तरह की कोई ढील बर्दाश्त नहीं करती है। वह लगातार इस बात पर जोर देती रहती हैं कि आशा और एएनएम को क्षेत्र में भ्रमण करते रहना चाहिए जिससे ग्राम निगरानी समिति को सहयोग मिल सके।
इसके अलावा वह क्वारंटीन सेंटरों में रह रहे लोगों को भोजन में अच्छा व पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के निर्देश देती रहती हैं जिससे कोई भी मरीज घर जाने के लिए परेशान न हो।
जमातियों को जहां उन्होंने सुविधा देने का काम किया वहीं अराजकता फैलाने पर उनके खिलाफ मुकदमें भी दर्ज करवाए हैं। बागपत में अब तक 20 मरीज ही मिलें है जिनमें से कई ठीक हो चुके है।
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