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बिना लक्षणवाले मरीज फैलाते हैं सबसे ज्यादा वायरस
अध्ययन से एक बात स्पष्ट होती है कि सिर्फ बीमार लोगों को अलग-थलग करने से कोरोनावायरस के प्रकोप को कंट्रोल नहीं कर सकते। जो लोग बीमार नहीं दिख रहे उनके बीच आपसी संपर्क को भी अच्छी तरह घटाना होगा।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: आमतौर पर लोग स्वस्थ दिख रहे हैं लेकिन कोविड-19 बीमारी तेजी से फैलती ही जा रही है। आखिर क्यों? इसका जवाब चीन में शोधकर्ताओं की स्टडी में है जिसमें पाया गया कि संक्रमित लोग इस बीमारी के लक्षण प्रगट होने से पहले या लक्षण आने के तुरंत बाद सबसे अधिक वायरस ट्रांसमिट करते हैं। यही अनोखी चीज स्वस्थ लोगों को सबसे बड़े खतरे में डालती है। शोधकर्ताओं ने ऐसे भी मामले देखे जिनमें कोरोनावायरस का बहुत ऊंचा लेवल था लेकिन उनमें किसी तरह के कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। विश्व भर में ऐसे प्रमाण ढेरों हैं जिनसे पता चल रहा है कि कोरोना वायरस फैलने का 30 फीसदी जरिया यही साइलेंट करियर हैं।
अध्ययन से एक बात स्पष्ट होती है कि सिर्फ बीमार लोगों को अलग-थलग करने से कोरोनावायरस के प्रकोप को कंट्रोल नहीं कर सकते। जो लोग बीमार नहीं दिख रहे उनके बीच आपसी संपर्क को भी अच्छी तरह घटाना होगा। ये समझना जरूरी है कि अच्छा महसूस करना या लक्षणों की अनुपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि आप किसी और को संक्रमित नहीं कर सकते। और सिर्फ बीमारी के लक्षण होने पर ही मास्क पहनने की सिफारिश सही नहीं है, बीमार नहीं दिखने पर भी मास्क जरूरी है। विशेषज्ञ अब यही मान रहे हैं।
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सिंगापुर का केस
सिंगापुर के एक नए अध्ययन से स्पष्ट तस्वीर सामने आई है कि लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे बीमार हैं और वे एक-दूसरे को बीमार करते जाते हैं। शोधकर्ताओं ने 23 जनवरी से 16 मार्च के बीच सिंगापुर में रिपोर्ट किए गए कोरोनोवायरस के सभी 243 मामलों को देखा। इन मामलों के सात समूहों में पाया गया कि कई संक्रमण ऐसे थे जो बिना लक्षण वाले लोगों से हुये थे।
चर्च में साथ बैठे लोगों में आया वायरस
पहले समूह में शोधकर्ताओं ने देखा कि एक पति-पत्नी ने 19 जनवरी को चीन के वुहान से सिंगापुर की यात्रा की। उसी दिन वे चर्च गए। चर्च में भाग लेने वाले तीन अन्य लोगों में बाद में कोरोना वायरस बीमारी के लक्षण सामने आ गए। उनमें से एक व्यक्ति दंपति के चले जाने के बाद चर्च में आया था लेकिन उसी प्यू (बेंच) में बैठ गया जहां वह दंपति बैठा था। यह क्लोज-सर्किट कैमरा फुटेज में देखा गया। चर्च में उपस्थित अन्य लोगों की जांच से उस दिन चर्च में उपस्थित किसी अन्य संक्रमित व्यक्ति का पता नहीं चला। वुहान के यात्रियों में 22 और 24 जनवरी को लक्षणों की शुरुआत हुई थी, जबकि उनके साथ चर्च की बेंच पर बैठे व्यक्ति में 3 फरवरी को लक्षण विकसित हुये।
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डिनर में गई महिला पड़ी बीमार
दूसरे समूह में एक महिला का केस है जिसने 15 फरवरी को एक रात के खाने में भाग लिया। उसी डिनर में एक व्यक्ति ऐसा था जिसमें कोविड-19 की पुष्टि हुई थी। उस महिला ने 24 फरवरी को एक गायन कक्षा में भाग लिया और दो दिन बाद उसमें बीमारी के लक्षण विकसित हो गए। उसी गायन कक्षा की एक अन्य महिला स्टूडेंट में इसके तीन दिन बाद लक्षण सामने आये।
अन्य तीन समूहों में, एक व्यक्ति किसी कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया। वह अपने घर गया और अपने परिवार के तीन लोगों को संक्रमित कर दिया।
तीन मामले ऐसे थे जिनमें मूल संक्रमित व्यक्ति ने अपने घर में रहे लोगों को उसी दिन संक्रमित कर दिया। इससे ये लगता है कि वायरस का ट्रांसमिशन लक्षण आने से पहले ही हो गया होगा।
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छठे समूह में एक महिला 27 फरवरी को कोविड-19 के संपर्क में आई थी लेकिन उसमें कोई लक्षण नहीं था। वह महिला 1 मार्च को चर्च गई। 3 मार्च उसमें लक्षण दिखना शुरू हुये। उसी दिन एक ऐसे व्यक्ति में लक्षण दिखे जिसे संभवतः चर्च में ही वायरस ने दबोचा होगा। उस दिन चर्च में भाग लेने वाले एक अन्य व्यक्ति में 5 मार्च को लक्षण दिखना शुरू हुये।
सातवें समूह में कोविड-19 के एक्स्पोजर में आए एक व्यक्ति ने 8 मार्च को एक महिला से मुलाकात की। उस व्यक्ति ने 9 मार्च को लक्षणों को महसूस किया कर दिया जबकि जिस महिला से वह मिला था उसमें 12 मार्च को लक्षण शुरू हुये।
एक-एक व्यक्ति को किया गया था ट्रेस
यहां महत्वपूर्ण पहलू ये है कि सिंगापुर ने ट्रेसिंग और केस आइडेंटिफिकेशन का बहुत गहन काम किया। इससे सभी संक्रमित लोगों में वायरस ट्रांसमिशन को ट्रेस कर लिया गया। वहाँ कम्यूनिटी स्प्रेड बहुत सीमित रहा क्योंकि निगरानी का मजबूत सिस्टम मौजूद था। बहरहाल, सिंगापुर का अध्ययन वायरस की एक समग्र तस्वीर के लिए नवीनतम योगदान प्रस्तुत करता है। ये बताता है कि पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करते हुए लोग एक-दूसरे के बीमार करते जाते हैं। वे बहुत दिनों तक जान ही नहीं पाते कि वे कई संक्रमणों के लिए जिम्मेदार हैं। तो निष्कर्ष यही है कि कोविड-19 महामारी को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ लक्षणों वाले व्यक्तियों हो नहीं बल्कि सब लोगों को दूसरों के साथ अपने संपर्क को सीमित करना जरूरी है।
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सार्स से ज्यादा घातक
कोविड-19 बीमारी सार्स से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि सार्स में लक्षण पूरी तरह उजागर होने तक संक्रमण नहीं फैलता। इसलिए सार्स से बीमार लोगों को अलग-थलग करना ही बीमारी को नियंत्रण में लाने के लिए पर्याप्त था। लेकिन दुर्भाग्य से कोविड-19 कोरोनावायरस के साथ स्थिति एकदम अलग है।
घर पर ही रहें
भले ही आप स्वस्थ महसूस करें, लेकिन तब भी घर पर ही रहें। अगर आपको घर छोड़ना है तो मान लें कि आप बीमार हो सकते हैं। यदि बाहर जाना ही है तो मास्क पहन सकते हैं लेकिन वह भी 100 फीसदी सुरक्षा नहीं है। ध्यान रखें एकदम स्वस्थ दिख रहे लोग ‘सुपर स्प्रेडर’ या साइलेंट करियर हो सकते हैं। जो खुद ही नहीं जानते कि वह संक्रमित हैं।
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