×

उर्वरक माफिया की जाल में किसान को फंसता क्यों देखती रही सरकार

मानसून की अच्छी बारिश से खुश दिख रहे उत्तर प्रदेश के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें जुलाई महीने से ही दिखाई देने लगी थी।

Newstrack
Published on: 27 Aug 2020 4:58 AM GMT
उर्वरक माफिया की जाल में किसान को फंसता क्यों देखती रही सरकार
X
उर्वरक माफिया की जाल में किसान को फंसता क्यों देखती रही सरकार

लखनऊ: मानसून की अच्छी बारिश से खुश दिख रहे उत्तर प्रदेश के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें जुलाई महीने से ही दिखाई देने लगी थी। किसानों को बाजार में खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन अगस्त का पहला पखवारा बीतने से पहले ही संकट इतना गहरा गया कि किसानों को सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा।

ये भी पढ़ें: NEET-JEE परीक्षा: अब अकादमिक जगत ने PM मोदी को लिखा पत्र, की ये बड़ी मांग

हजारों बोरी खाद को कालाबाजारी

इसी दौरान सीतापुर जैसे अनेक इलाकों से खबर आई कि चंद किसानों के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर हजारों बोरी खाद को कालाबाजारी करने वालों के हवाले कर दिया गया। अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में भी किसानों का संकट बरकरार है। सरकार का दावा है कि उसने पिछले साल के मुकाबले ज्यादा खाद उपलब्ध कराई है।

खाद माफिया ने पूरे उत्तर प्रदेश को अपने पंजे में जकड़ लिया

ऐसे में बड़ा सवाल है कि किसानों की तादाद और रकबा से ज्यादा खाद का इस्तेमाल कहां हो रहा है? किसानों की मांग के अनुसार खाद आपूर्ति का इंतजाम करने में जुटे प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारियों के पास इस सवाल के जवाब में 12 दिन पहले 3 दिन तक लगातार हुई बारिश ही सबसे बड़ी वजह है लेकिन पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी खपत और अनियमित तरीके से खाद बिक्री करने वाले विक्रेताओं पर बड़े पैमाने पर की गई सरकारी कार्रवाई से साफ संकेत मिल रहा है कि खाद माफिया ने पूरे उत्तर प्रदेश को अपने पंजे में जकड़ लिया है।

किसानों ने जब सड़क पर उतरकर प्रदर्शन का रास्ता अपनाया

यूरिया खाद संकट का सामना कर रहे किसानों ने जब सड़क पर उतरकर प्रदर्शन का रास्ता अपनाया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लगभग 1 महीने से किसान यूरिया खाद की कालाबाजारी का सामना कर रहे थे। 266 रुपया में बिकने वाले खाद की बोरी का दाम जुलाई महीने में ही आसमान छूने लगा था। किसानों को खाद की बोरी के लिए 400 से लेकर 500 तक चुकाने पड़े लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी कुंभकरण की नींद में गाफिल रहे। खाद विक्रेताओं की मनमानी और लूट का शिकार हो रहे किसानों की परेशानी समझने और उनकी समस्या का समाधान कराने में कृषि विभाग के अधिकारियों ने बिल्कुल दिलचस्पी नहीं ली।

ये भी पढ़ें: GST काउंसिल की बैठक, इन मुद्दों पर हो सकती है तीखी बहस

ऐसे में हाल और बद से बदतर होता गया। कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आपसी बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से विभाग की सक्रियता कम हुई। उर्वरक विक्रेताओं की निगरानी में शिथिलता का दुरुपयोग कर खाद माफिया ने काला बाजारी का जाल पूरे उत्तर प्रदेश में मजबूती से फैला दिया।

कालाबाजारी का पानी अगस्त में सिर से ऊपर चला गया

खाद की कालाबाजारी का पानी जब अगस्त महीने में सिर से ऊपर चला गया तो किसानों ने विरोधी राजनीतिक दलों की मदद से सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। इसके बाद हरकत में आए कृषि विभाग के अधिकारियों ने उर्वरक विक्रेताओं के रजिस्टर पलटने शुरू किए। अनेक जिलों से चौंकाने वाली जानकारी मिली। मतलब सीतापुर में उर्वरक विक्रेताओं ने केवल 20 किसानों को ही 9737 बोरी यूरिया खाद बेच डाली जबकि सरकार का स्पष्ट आदेश है कि एक किसान को एक हेक्टेयर फसल के लिए एक बोरी खाद ही दी जाएगी। सीतापुर में ही पता चला कि 2 बीघा जोत वाले किसान के नाम पर एक हजार बोरी से ज्यादा खाद की बिक्री की गई है।

किसानों ने खाद की कालाबाजारी का खुलकर आरोप लगाया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर से भी इसी तरह की शिकायतें मिली। कई स्थानों पर छापेमारी के दौरान पाया गया कि उर्वरक विक्रेताओं का स्टॉक रजिस्टर बता रहा है कि उन्होंने सारी खाद बीज डाली है लेकिन उनके गोदाम यूरिया की बोरियों से भरे पाए गए। बुलंदशहर में भी खाद कालाबाजारी के ऐसे ही सुबूत मिले अधिकारियों ने पाया कि वहां उर्वरक विक्रेताओं ने चपरासी चौकीदार और पल्लेदारों को भी खाद बेची है। चित्रकूट, बहराइच, चंदौली, महाराजगंज ,श्रावस्ती, गोंडा, मेरठ ,आगरा, हापुड़ समेत उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में किसानों ने खाद की कालाबाजारी का खुलकर आरोप लगाया और सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया।

ये भी पढ़ें: पोल खुलने पर भड़की डॉन की महबूबा, भारत के खिलाफ उगला जहर

लखनऊ में भी एक दर्जन से ज्यादा खाद विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित

खाद कालाबाजारी के मजबूत जाल का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ में भी एक दर्जन से ज्यादा खाद विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित करने पड़े हैं। पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर उर्वरक विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबन और नोटिस की कार्रवाई करनी पड़ी है। आजमगढ़ में भी सहकारी समितियों के 3 सचिव और तीन दुकानदारों के साथ ही 16 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार 3000 से अधिक उर्वरक विक्रेताओं के स्टॉक जांचे गए हैं। 160 दुकानदारों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं और 1 दर्जन से अधिक का लाइसेंस रद्द किया गया है।

राजनीतिक दलों ने भी सरकार पर साधा निशाना

खाद की कालाबाजारी और किल्लत से जूझ रहे किसानों को लेकर जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक और अन्य पदाधिकारी उदासीन नजर आए वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से लेकर पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी किसानों की समस्या पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की।

प्रियंका के निर्देश पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में किसानों के साथ मिलकर प्रदर्शन भी किया। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार लोगों की परेशानी दूर करने के बजाय उन्हें धमका रही है प्रदेश में यूरिया का घोर संकट है कालाबाजारी चरम पर है ऐसा कई जिलों में हो रहा है किसान परेशान हैं लेकिन योगी सरकार कह रही है कि सब कुछ ठीक है ।

लाखों किसान कर रहे यूरिया संकट का सामना

बसपा सुप्रीमो मायावती ने खाद संकट को लेकर उत्तर प्रदेश और केंद्र के सरकार को आगाह किया। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश के लाखों के किसान यूरिया संकट का सामना कर रहे हैं सरकार को तत्काल संकट समाधान के लिए प्रयास करना चाहिए जो लोग कालाबाजारी कर रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए और पहले से ही विभिन्न संकटों का सामना कर रहे किसानों की परेशानी दूर की जाए। उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों की समस्या का समाधान तत्काल करने की अपील भी की।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी खाद कालाबाजारी को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की और कहा कि 800 बोरी तक यूरिया खाद की कालाबाजारी हो रही है खाद माफिया ने अपने नौकर और चपरासियों के नाम पर फर्जी खाद बिक्री कर डाली है साधन सहकारी समितियों पर किसान घंटों लाइन लगाकर निराश लौट रहे हैं सरकार को तत्काल किसानों की समस्या का समाधान करना चाहिए.

क्या है यूरिया की आपूर्ति और मांग का संतुलन?

उत्तर प्रदेश में खरीफ फसल के दौरान खाद की जरूरत रबी फसलों के मुकाबले कम रहती है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 खरीफ फसलों के लिए 22.89 लाख मैट्रिक टन यूरिया का कोटा आवंटित किया है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खाद की जरूरत जुलाई-अगस्त महीने में होती है लेकिन इस बार मानसून की बारिश अच्छी होने की वजह से जुलाई और अगस्त दोनों ही महीने में खाद की जरूरत बढ़ गई है अब तक उत्तर प्रदेश में 28 लाख 11,000 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई गई है। पिछले साल इसी अवधि में यूरिया खाद की मांग 16.63 लाख मैट्रिक टन रही है जबकि अब तक इस साल 23.45 लाख मैट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है जो पिछले साल के मुकाबले छह लाख मैट्रिक टन अधिक है।

ये भी पढ़ें: इंसानी कत्लखानेः निजी अस्पतालों पर दी जा रही मौत, स्वास्थ्य विभाग पर बड़ा आरोप

बारिश अधिक होने की वजह से खाद की खपत बढ़ी

खाद कालाबाजारी को नकारते हुए कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजधानी लखनऊ में पिछले साल अगस्त महीने में 13560 मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति हुई थी। इस बार 20800 मीट्रिक टन का लक्ष्य था लेकिन अब तक लगभग 30,000 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति हो चुकी है। राजधानी लखनऊ में 33624 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई गई है। ऐसे में समझा जा सकता है कि बारिश अधिक होने की वजह से खाद की खपत बढ़ी है। खाद कालाबाजारी की समस्या प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में ही होती है। राजधानी लखनऊ से किसी दूसरे राज्य में खाद लेकर जाना आसान नहीं है।

कृषि विभाग के अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे

खाद की किल्लत दूर करने के उपाय किए गए हैं। पूरे प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। पिछले साल के 22.89 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 28.11 लाख मीट्रिक टन यूरिया खाद उपलब्ध कराई गई है। अप्रैल मई और जून महीने में अच्छी वर्षा मौसम की अनुकूलता की वजह से कृषि जोत बड़ी है इस वजह से खपत भी बढ़ गई है । कृषि विभाग के अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं। धांधली करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। किसानों की समस्या को लेकर सरकार संवेदनशील है और सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार से अधिक उर्वरक भी मांगी गई है।

-सूर्य प्रताप शाही कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश

खाद आपूर्ति और मांग की समस्या सरकार की ओर से पैदा की गई है। सरकार का खराब प्रबंधन ही इसके लिए जिम्मेदार है। जब पिछले साल से ज्यादा खाद उपलब्ध कराई गई तो किसान को कई कई दिन तक लाइन क्यों लगानी पड़ रही है । लाठी-डंडे क्यों खाने पड़ रहे हैं। किसानों की समस्या पर सरकार ने समय रहते ध्यान भी नहीं दिया यही वजह है कि आज किसान की फसल बर्बाद हो रही है और वह कालाबाजारी के जबड़े में फंस कर कराह रहा है।

-प्रोफेसर सुधीर पवार, कृषि मामलों के विशेषज्ञ

ये भी पढ़ें: बॉलीवुड स्टार्स का रियल लुक: कोरोना का दिखा ऐसा असर, बिना मेकअप आये नजर

रिपोर्ट: अखिलेश तिवारी

Newstrack

Newstrack

Next Story