कोरोना वायरस की नई पहेली- मरीजों का हृदय भी हो रहा खराब

कोरोना वायरस महामारी में डाक्टरों का ध्यान मरीजों में सांस संबंधी समस्याओं पर है। यही वजह है कि मरीजों के लिए पर्याप्त वेंटिलेटर हासिल करने का संकट है। इन सबके बीच एक नया मेडिकल रहस्य सामने आया है।

Shivani Awasthi
Published on: 7 April 2020 5:04 AM GMT
कोरोना वायरस की नई पहेली-  मरीजों का हृदय भी हो रहा खराब
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''कोविड-19 या कोरोना वायरस से बीमार 20 फीसदी लोगों में हृदय के डैमेज होने के लक्षण मिल रहे हैं। ये वायरस हृदय पर भी सीधे अटैक कर रहा है।''

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी में डाक्टरों का ध्यान मरीजों में सांस संबंधी समस्याओं पर है। यही वजह है कि मरीजों के लिए पर्याप्त वेंटिलेटर हासिल करने का संकट है। इन सबके बीच एक नया मेडिकल रहस्य सामने आया है। पता चला है कि कोरोना वायरस से फेफड़ों को नुकसान के अलावा हृदय की समस्याएँ पैदा हो रही हैं और हार्ट फेल होने से मौतें हो रही हैं। ऐसे में डाक्टर ये मान रहे हैं कि कोरोना वायरस सीधे हृदय पर असर डालता है।

चीन, इटली, अमेरिका से जुटाई गई जानकारी के आधार पर हृदय विशेषज्ञ मान रहे हैं कि कोरोना वायरस हृदय की मांसपेशियों को संक्रमित कर सकता है। प्रारंभिक अध्ययन में 5 में से 1 रोगियों में हृदय की क्षति पाई गई । उन मरीजों की मौत हृदय गति रुकने से हो गई जिनमें सांस संबंधी समस्या के कोई लक्षण तक नहीं थे।

बदलना होगा इलाज का तरीका

नई जानकारी से डॉक्टरों और अस्पतालों को मरीजों में बीमारी के इलाज के प्रोटोकॉल के बारे में नए सिरे से सोचना पड़ सकता है। यह कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक दूसरा मोर्चा खोल सकता है, जिसमें उपकरणों की नई मांग और कोरोना को हराने वाले मरीजों के क्षतिग्रस्त हृदय के लिए ट्रीटमेंट की नई योजनाओं की जरूरत पड़ेगी।

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न्यूयॉर्क में मोंटेफोर हेल्थ सिस्टम के टॉप हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ उलरिच जॉर्डन का कहना है की इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है कि क्या कोरोना वायरस से बीमार लोगों का दिल वायरस से प्रभावित हो रहा है और क्या हम इसके बारे में कुछ कर सकते हैं?

वायरस या कुछ और वजह

अभी डाक्टर यह नहीं जान पाये हैं कि हृदय की समस्याएं कोरोना वायरस के कारण होती हैं या फिर ये वायरस से लड़ने में शरीर की प्रतिक्रिया का नतीजा है। यह निर्धारित करना भी कठिन काम है क्यों कि गंभीर बीमारियां वैसे भी हृदय को नुकसान पहुंचाती हैं।

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ रॉबर्ट बोनो का कहना है कि किसी व्यक्ति में गंभीर निमोनिया है तो अंततः हृदय की धड़कन रुकने से उसकी मौत हो जाएगी। क्योंकि अपने सिस्टम में पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त नहीं कर पाने से शरीर में सब उलट-पलट हो जाता है। लेकिन डॉ बोनो और कई अन्य हृदय विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण चार या पांच तरीकों से हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉ बोनो ने कहा है कि रोगियों में हृदय को हुआ डैमेज सीधे कोरोना वायरस से संभव है। प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि कोरोनोवायरस फेफड़ों में कुछ रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं और उन्हीं रिसेप्टर्स को हृदय की मांसपेशी में भी पाया जाता है।

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हृदय को गंभीर खतरा

डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी गंभीर बीमारी या आपरेशन में हृदय प्रभावित होता है। इसके अलावा, निमोनिया जैसी स्थिति शरीर में व्यापक सूजन पैदा होती है। जो धमनियों की अंदरूनी परत यानी ‘प्लाक’ को अस्थिर कर सकती है। ऐसा होने पर हृदय का दौरा पड़ सकता है। सूजन से भी मायोकार्डिटिस नामक एक स्थिति बनती है जो हृदय की मांसपेशियों के कमजोर होने और अंततः, हार्ट फेल विफलता का कारण बन सकती है।

चीन में हुआ खुलासा

मार्च में चीन के डॉक्टरों ने दो अध्ययनों को प्रकाशित किया, जिसमें पहली बार बताया गया था कि कोरोना वायरस बीमारी वाले रोगियों में हृदय संबंधी समस्याएं पायीं गईं। एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती 416 मरीजों में से 19 फीसदी में हृदय की क्षति के संकेत पाये। इनमें से 51 फीसदी ऐसे लोगों की मौत हो गई जिनके हृदय को क्षति पहुंची थी। इसकी तुलना में 4.5 फीसदी ऐसे मरीजों की मौत हुई जिनके हृदय दुरुस्त थे।

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जिन मरीजों को कोरोनोवायरस संक्रमण से पहले हृदय की बीमारी थी, उनमें बाद में हृदय को नुकसान होने की संभावना अधिक थी। लेकिन कुछ मरीज जिनमें हृदय की बीमारी की कोई हिस्ट्री नहीं थी उनमें भी हृदय की क्षति के लक्षण दिखाई दिए। और ऐसे मरीजों की मौत होने की संभावना ज्यादा रही है।

यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ रोगियों में दूसरों की तुलना में हृदय ज्यादा प्रभावित क्यों हुआ है। डाक्टरों का अनुमान है कि ऐसा जीनेटिक संरचना की वजह से या फिर कोरोना के भारी वायरस लोड के कारण हुआ है।

रिसर्च में दिक्कतें

महामारी के समय निश्चित रिसर्च में दिक्कतें भी हैं। सामान्य समय में डाक्टर किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए हृदय की बायोप्सी करते हैं जिससे पता चल सके कि हृदय की मांसपेशी वायरस से संक्रमित है या नहीं। लेकिन कोरोना वायरस के मरीज इतनी गंभीर स्थिति में पहुँच जाते हैं कि उनके लिए हृदय की बायोप्सी जैसी जटिल प्रक्रिया से गुजरना मुश्किल होता है। इस तरह की टेस्टिंग करने से स्वास्थ्य कर्मियों के समक्ष वायरस एक्स्पोजर का और भी बड़ा जोखिम खड़ा हो जाएगा।

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इसके अलावा अधिकांश अस्पतालों में आइसोलेशन में रखे गए मरीजों पर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम मशीनों का इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है। ताकि स्टाफ को संक्रमण के जोखिम से बचाया जाये।

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गुत्थी सुलझाने की कोशिशें

हृदय और कोरोना की कड़ी को समझने के लिए डाक्टर अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ साहिल पारिख और उनके सहयोगियों ने कोरोना के मरीजों सहयोगी में हृदय संबंधी समस्याओं का डेटा एकत्र करके उसे तत्काल ऑनलाइन प्रकाशित भी कर डाला है। न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और कनेक्टिकट में कार्डियोलॉजिस्ट व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये नवीनतम जानकारी साझा कर रहे हैं।

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दिल के दौरे जैसे लक्षण

डॉक्टरों ने पाया है कि कोरोना वायरस संक्रमण हृदय के दौरे की नकल कर सकता है। ऐसे कई मरीज पाये गए जिनमें हृदय के दौरे के लक्षण थे। जब धमनियों की संदिग्ध रुकावट को साफ करने के लिए मरीजों को कार्डिएक कैथीटेराइजेशन लैब में ले जाया गया तब जांच में पता चला कि मरीज को वास्तव में दिल का दौरा पड़ा ही नहीं है बल्कि वास कोरोना वायरस से संक्रमित है।

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दरअसल किसी संदिग्ध हार्ट अटैक के केस में अस्पतालों में रोगियों को सीधे कैथीटेराइजेशन लैब में भेज दिया जाता है। वहाँ धमनियों की रुकावट को बैलून प्रक्रिया से दूर किया जाता है। कोरोना वायरस के आने से अब इलाज के नए प्रोटोकॉल में कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा पूरी जांच और ब्लॉकेज की पुष्टि के लिए ईकेजी या अल्ट्रासाउंड करवाना शामिल करना जरूरी हो गया है।

डाक्टरों ने कहा है कि कोरोना वायरस रोगियों के ठीक होने के बाद भी दिल पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव डाल सकते हैं। लेकिन, अब हृदय के इलाज के लिए बेहतर विकल्प मौजूद हैं जो वायरल संक्रमण पूरी तरह समाप्त हो जाने पर किए जा सकते हैं। फिर भी ये तय है कि कोरोना वायरस महामारी के शांत होने के बाद एक अलग तरह की चिकित्सीय जरूरतों की आवश्यकता पड़ सकती है।

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