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मूंछे वाले भगवान राम: ऐसा होगा रामलला का अवतार, अब इस पर मचा बवाल
5 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अयोध्या रामजन्मभूमि में भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। ऐसे में कभी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के दिग्गज नेता रह चुके और अब अपना अलग हिंदुत्ववादी संगठन चलाने वाले महाराष्ट्र के संभाजी भिड़े ने मांग की है।
नई दिल्ली। 5 अगस्त को देश के लिए बेहद खास दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अयोध्या रामजन्मभूमि में भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। ऐसे में कभी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के दिग्गज नेता रह चुके और अब अपना अलग हिंदुत्ववादी संगठन चलाने वाले महाराष्ट्र के संभाजी भिड़े ने मांग की है। ये मांग है कि अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में भगवान राम की जो मूर्ति लगे, उसकी मूछें भी होनी चाहिए। आगे उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि असली भगवान राम की मूर्ति तो मूंछों के साथ ही होनी चाहिए।
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देवताओं की मूर्तियां मूछों के साथ
ऐसे में अब ये सवाल खड़ा हो गया कि क्या भगवान राम की मूछें थीं। इसे लेकर अलग अलग बातें कही जाती रही हैं। हमारे देश में कई जगह देवताओं की मूर्तियां मूछों के साथ हैं लेकिन अधिकतर में नहीं।
तो इस पर महाराष्ट्र के संभाजी ने जो पुरजोर तरीके से कहा है कि अगर भगवान राम की मूर्ति की मूछें नहीं होंगी तो सही तरीके से भगवान राम को जाहिर नहीं करेंगी।
लेकिन देश-विदेश में भगवान राम के जितने भी मंदिर और मूर्तियां हैं, वो सभी बगैर मूछों के ही हैं। उनकी मूर्ति को लेकर ये विवाद कभी खड़ा भी नहीं हुआ। अब ऐसा पहली बार हो रहा है।
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वेदों में भगवान मर्यादा श्रीराम के जिस अवतार का वर्णन हुआ है, उसमें कहीं ये उल्लेख नहीं मिलता कि उनकी मूछें थीं या नहीं थीं, लेकिन वो जिस युग में धरती पर आए, उसको त्रेता युग माना जाता है, तब आमतौर पर सनातन धर्म में मूछों और धनी दाढ़ी रखने का रिवाज था।
मूछों वाली मूर्ति
लेकिन देश में एकाध जगह भगवान राम के ऐसे मंदिर जरूर हैं, जहां उनके रूप में मूछों के साथ जोड़ा गया है। इनमें मध्य प्रदेश के इंदौर में श्रीराम का एक ऐसा मंदिर है, जहां उनकी मूंछे हैं। उनके अलावा लक्ष्मण की भी मूंछें हैं। कुमावतपुरा में स्थित इस मंदिर को 150 साल पुराना बताया जाता है।
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हनुमान की भी मूर्ति में मूछें
इस पर लोगों में ऐसी मान्यता है कि अगर दशरथ की दाढ़ी-मूंछें हो सकती हैं तो राम की भी मूंछें जरूर होंगीं। इसके अलावा राजस्थान के एक मंदिर में हनुमान की मूर्ति की भी मूंछें हैं। यह मंदिर हनुमानजी की इन मूंछों के कारण ही लोकप्रिय है।
ऐसा कहा जाता है कि पुराने या आदिम समाजों में देवता मूंछों वाले हो सकते थे, लेकिन सभ्यता शुरू होने के बाद और नगरों के उदय के बाद मूर्तियों और पूजा की जो परंपरा रही, उसमें भगवान के युवा रूप को ही साकार माना जाता है।
सिर्फ उत्तर ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी ऐसी ही मूर्तियों का रिवाज है। बस उत्तर भारत में देवताओं की सभी मूर्तियों में उन्हें गौरवर्ण दिखाया जाता है जबकि दक्षिण भारत की मूर्तियों की शैली भी अलग है और उसमें मूर्तियों में देवता ज्यादातक काले रंग में होते हैं।
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