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लखनऊ में शिक्षा ट्रिब्यूनल बनाने के खिलाफ हाईकोर्ट से आई ये बड़ी खबर

उत्तर प्रदेश के सभी ट्रिब्यूनल की स्थापना प्रयागराज में करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी अधिकरणों की पीठ हाईकोर्ट की प्रधानपीठ के स्थान पर प्रयागराज में स्थापित करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से 16 सितम्बर तक जवाब मांगा है।

Dharmendra kumar
Published on: 11 April 2023 5:21 PM IST
लखनऊ में शिक्षा ट्रिब्यूनल बनाने के खिलाफ हाईकोर्ट से आई ये बड़ी खबर
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प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के सभी ट्रिब्यूनल की स्थापना प्रयागराज में करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी अधिकरणों की पीठ हाईकोर्ट की प्रधानपीठ के स्थान पर प्रयागराज में स्थापित करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से 16 सितम्बर तक जवाब मांगा है।

कोर्ट ने सरकार के अपर महाधिवक्ता से कहा है कि वह 16 सितम्बर तक हर हाल में इस मामले मे हलफनामा तैयार कर याची अधिवक्ता को दे दे। कोर्ट ने याची से भी अपना प्रत्युत्तर हलफनामा 20 सितम्बर तक दाखिल करने को कहा है। और याचिका की फाइनल सुनवाई की तिथि 23 सितम्बर तय की है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है। सुबह 10 बजे कोर्ट ने बार से कहा कि न्यायिक कार्य पर वापस लौटे तभी बहस होगी। न्यायिक कार्य बहिष्कार व बहस दोनों साथ नहीं हो सकती। वादकारियों को भी अपने मुकदमे की सुनवाई का अधिकार है।

इसके बाद एक बजे दोपहर में बार की आम सभा बुलाई गई और न्यायिक कार्य बहिष्कार निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। कोर्ट को बार के प्रस्ताव की जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता वी सी मिश्र ने दी। कोर्ट ने महासचिव जे बी सिंह से बार के प्रस्ताव की जानकारी मिलने पर याचिका की सुनवाई की और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव, राजीव कुमार सिंह, स्थाई अधिवक्ता को याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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भारत सरकार की तरफ से सहायक सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश व भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी मौजूद थे। याचिका में अधिकरण गठित करने की राज्य सरकार की नीति बताने की भी मांग की गयी है और कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलो में साफ कहा गया है कि जहाँ हाईकोर्ट की पीठ हो न्यायिक अधीक्षण के लिए उसी स्थान पर अधिकरण होना चाहिए। कोर्ट के स्थापित विधि सिद्धांतो के विपरीत राज्य सरकार लखनऊ में अधिकरण स्थापित कर रही है।याचिका की सुनवाई 23 सितम्बर को होगी।

पूर्व कानून मंत्री के निधन पर श्रद्धांजलि

यागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के सहायक सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश की अध्यक्षता में हुई शोक सभा में पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी के आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी ।और दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।

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शोक सभा में प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार चटर्जी ने कहा कि स्व जेठमलानी उत्कृष्ट अधिवक्ता के साथ उच्च जीवट के राजनेता थे। शोक सभा में अशोक सिंह एस सी मिश्र कृष्ण जी शुक्ल, राजेश त्रिपाठी,सभाजीत सिंह ,आर सी शुक्ल,बी के रघुवंशी,ए एन राय, प्रशांत सिंह सोम,बी डी निषाद,जी पी सिंह मनोज श्रीवास्तव, वीसी श्रीवास्तव,हिमांशु सिंह,पवन श्रीवास्तव,रवि प्रकाश श्रीवास्तव,शेष मणि मिश्र आदि अधिवक्ता शामिल थे।

जब चीफ जस्टिस ने पीआईएल की सुनवाई टाल दी

प्रयागराज: प्रयागराज में ही प्रदेश सरकार शिक्षा सेवा ट्रिब्यूनल स्थापित करे इस बात को लेकर दाखिल याचिका पर चीफ जस्टिस की बेंच ने सुबह 10 बजे ही सुनवाई करने का निर्देश दिया था।

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कोर्ट के आदेश के क्रम में यह जनहित याचिका आज सोमवार को कम्प्यूटर लिस्ट में सुबह सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस की बेंच मे लगी थी। इस जनहित याचिका पर सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए सरकारी वकीलों की टीम चीफ जस्टिस की कोर्ट में सुबह 10 बजे ही पहुंच गई।

याची अधिवक्ता की तरफ से भी बार एसोसिएशन के बहुत सारे वकील कोर्ट में बहस के लिए हाजिर हुए सुबह चीफ जस्टिस की बेंच इस स्पेशल केस की सुनवाई के लिए जब बैठी तो बैठते ही चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने उपस्थित वकील से पूछा कि क्या उनकी हड़ताल खत्म हो गयी। इस पर बार एसोसिएशन के वकीलों ने बताया कि नहीं बार के वकील आज भी कार्य बहिष्कार पर हैं।

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चीफ जस्टिस ने कहा कि जब वकीलों का कार्य बहिष्कार है तो वह इस केस को फिलहाल नहीं सुनेंगे। कोर्ट ने सुनवाई के लिए लंच बाद 2 बजे का समय निर्धारित किया और कहा कि आप तय कर लीजिए कि क्या चाहते है। चीफ जस्टिस के इस इशारे के बाद दुबारा बार एसोसिएशन की आम सभा कार्य बहिष्कार जारी रखने पर निर्णय लेने के लिए बुलाई गयी। पूर्व अध्यक्ष वी सी मिश्र इस सभा में उपस्थित थे।

चीफ जस्टिस की कोर्ट में आए विचार व उनकी भावनाओं से बार एसोसिएशन के वकीलों को अवगत कराया गया और जब बार एसोसिएशन ने कार्य बहिष्कार का निर्णय स्थगित कर लंच बाद चीफ जस्टिस को बताया तब जाकर चीफ जस्टिस ने इस पीआईएल की सुनवाई की और आदेश पारित कर सरकार से जवाब तलब किया।

शिक्षा अधिकरण को लेकर हाईकोर्ट के वकीलों की हड़ताल स्थगित

प्रयागराज: राज्य शिक्षा सेवा अधिकरण को लखनऊ में स्थापित करने के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों की हड़ताल सोमवार को भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गयी। मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर के काम पर वापस आने के अनुरोध को बार एसोसिएशन की आमसभा में स्वीकार करते हुए यह निर्णय लिया गया है।

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13 दिन से लगातार जारी हड़ताल के बाद भोजनावकाश के बाद न्यायिक कार्य भी शुरू हो गया। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अध्यक्ष वी सी मिश्र ने न्यायिक कार्य बहिष्कार को जनहित में स्थगित रखने का प्रस्ताव रखा। जिसे ध्वनिमत से आम सभा में स्वीकार कर लिया गया। मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने प्रभाशंकर मिश्र की याचिका की सुबह 10 बजे सुनवाई करते हुए कहा कि काम पर वापस आने पर ही सभी अधिकरण प्रयागराज में स्थापित करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई होगी।

इस पर कोर्ट ने दो बजे तक का समय दिया। दोपहर एक बजे हुई बार एसोसिएशन की आमसभा में हड़ताल स्थगित करने का निर्णय लिया गया और दो बजे इसकी जानकारी न्यायालय को दी गयी। बार की आमसभा की अध्यक्षता अध्यक्ष राकेश पांडेय एवं संचालन महासचिव जे बी सिंह ने किया। सुबह नौ बजे हुई सभा में न्यायिक कार्य बहिष्कार जारी रखने एवं जनहित याचिका की सुनवाई किये जाने हेतु सम्बन्धित वकीलों को प्रवेश की अनुमति दी गयी। शेष वकीलों को परिसर में घुसने नहीं दिया गया।

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प्रभाशंकर मिश्र की जनहित याचिका पर बहस के लिए गये वरिष्ठ अधिवक्ताओं और बार के पदाधिकरियों से मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक कार्य पर वापस आने का अनुरोध किया। जिस पर बार ने कार्य पर वापस लौटने का प्रस्ताव पारित किया। बार की आमसभा में भारी भीड़ के चलते पुस्तकालय हाॅल खचाखच भरा हुआ था।

भारी शोर शराबे के बीच प्रस्ताव पारित हुआ। हालांकि कुछ लोगों ने बाद में अपने को ठगा महसूस करते हुए नारेबाजी भी की। उधर फोटो आईडी सेंटर भी सोमवार से खोल दिया गया। मंगलवार को सार्वजनिक अवकाश के बावजूद आईडी सेंटर खुला रहेगा। ऐसा आदेश महासचिव जे बी सिंह ने दिया है।

हाईकोर्ट ने LLM छात्रा से दुराचार मामले में SIT से विवेचना की प्रगति आख्या तलब की

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहजहांपुर में एलएलएम छात्रा से दुराचार मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी से विवेचना की प्रगति आख्या तलब की है। कोर्ट ने आदेश की प्रति सीजेएम के माध्यम से पीड़िता के परिवार को भेजने का निर्देश भी दिया है, ताकि वे अदालत में अपनी सुरक्षा व विवेचना की प्रगति के लिए प्रार्थना पत्र दे सकें।

यह आदेश मामले की मॉनीटरिंग के लिए गठित न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की खंडपीठ ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एलएलएम छात्रा के गायब होने पर सुओ मोटो मामले (इन रि मिसिंग ऑफ एलएलएम स्टूडेंट एट स्वामी सुखदेवानंद लॉ कॉलेज फ्रॉम शाहजहांपुर) की सुनवाई करते हुए मामले की जांच के लिए एसएईटी गठित करने का निर्देश दिया और हाईकोर्ट से इसकी मॉनीटरिंग के लिए कहा।

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सर्वोच्च अदालत ने पीड़िता व उसके परिजनों की इन कैमरा प्रोसीडिंग में बयान लिया। पीड़िता ने एसएस लॉ कॉलेज व उसके प्रबंधन के विरुद्ध शिकायत की। उसके माता पिता ने पीड़िता व परिवार की सुरक्षा पर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की।

उसके बाद कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता के पिता के 27 अगस्त 2019 के शिकायती पत्र के आधार पर एसएस लॉ कॉलेज के प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। कॉलेज में पीड़िता का भाई भी पढ़ रहा है। कोर्ट के आदेश पर पीड़िता को आल इंडिया वूमेन कॉन्फ्रेंस बापनूघर में रखे जाने निर्देश दिया है।

बुन्देलखण्ड डिफेन्स इंडस्ट्रियल कारीडोर परियोजना में भूमि अधिग्रहण को चुनौती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुंदेलखंड डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर परियोजना के लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति बीके नारायण एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने झांसी की गरौठा तहसील के निवासी आलोक कुमार व दो अन्य की याचिका पर दिया है।

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आरोप है कि किसानों को डरा-धमकाकर उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जा है। याचिका में कहा गया है कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून का पालन किए बगैर जमीन का अधिग्रहण कर रही है। याचिका के अनुसार 21-22 फरवरी 2019 को सरकार ने बुंदेलखंड डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर बनाने की घोषणा की। उसके बाद इसका शिलान्यास हुआ। यूपीडा ने परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण किया लेकिन इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है।



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