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एपीओ भर्ती पर बड़ी खबर, पढ़ें हाईकोर्ट की आज की खबरें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी गौरव वर्मा, उपायुक्त श्रम रोजगार मनरेगा भूपेंद्र कुमार सिंह, बीडीओ खुटहन गौरव इंद्र सिंह, बीडीओ स्वैथाकला राम दरस यादव, बीडीओ धरमपुर, सुरेंद्र बहादुर सिंह को अवमानना नोटिस जारी की है।

Dharmendra kumar
Published on: 19 Nov 2019 5:00 PM GMT
एपीओ भर्ती पर बड़ी खबर, पढ़ें हाईकोर्ट की आज की खबरें
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी गौरव वर्मा, उपायुक्त श्रम रोजगार मनरेगा भूपेंद्र कुमार सिंह, बीडीओ खुटहन गौरव इंद्र सिंह, बीडीओ स्वैथाकला राम दरस यादव, बीडीओ धरमपुर, सुरेंद्र बहादुर सिंह को अवमानना नोटिस जारी की है।

कोर्ट ने इन सभी अधिकारियों को 4 सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। इन पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने जौनपुर के दिनेश कुमार व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता रवीन्द्र नाथ यादव ने बहस की।

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इनका कहना है कि याचीगण मनरेगा स्कीम में कंप्यूटर आपरेटर के रूप में संविदा पर नियुक्त हुए। शुरू में मानदेय 3000 था। जिसे बाद में बढ़ाकर 8000 किया गया और पुनः 10000 कर दिया गया किन्तु उन्हें तीन हजार मानदेय ही दिया गया। याचिका में 8000 मानदेय देने की मांग की गई।

कोर्ट ने जिलाधिकारी को इस संबंध में निर्णय लेने का आदेश दिया तो जिलाधिकारी ने कहा कि याचीगण न्यूनतम अर्हता ओ लेवल डिग्री नहीं रखते हैं। इसलिए कंप्यूटर सहायक के रूप में 8000 प्रतिमाह मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने इस आदेश को रद्द करते हुए जिलाधिकारी को 26 मई 2009 एवं 29 मई 2009 के शासनादेश के तहत नए सिरे से मानदेय भुगतान के संबंध में 3 माह में निर्णय लेने का आदेश दिया। इस आदेश का पालन न करने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गई है।

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एपीओ भर्ती में 43 शेष पदों को भरने में आरक्षण की पूर्व संस्तुति के विपरीत कार्रवाई पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एपीओ ( सहायक अभियोजन अधिकारी) के रिक्त बचे 43 पदो पर नियुक्ति में पूर्व में तैयार की गयी आरक्षण की संस्तुति में किसी भी प्रकार के परिवर्तन पर रोक लगा दी है । कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की श्रेणी में फिलहाल कोई परिवर्तन नहीं किया जाय।

यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने जितेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका पर दिया है । मामले के अनुसार एपीओ के 372 पदों पर भर्ती का यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन ने 29 अप्रैल 15 को विज्ञापन निकला था । आयोग ने चयन की प्रक्रिया पूरी कर सरकार को सभी 372 पदों को भरने की अपनी संस्तुति भेज दिया । आयोग की संस्तुति के बाद 43 चयनित अभ्यर्थियों ने ज्वाइन नहीं किया।

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आयोग ने शेष रिक्त 43 पदों को भरने की कार्रवाई प्रारम्भ की। रिक्त पदों को भरने की इस कार्रवाई में आयोग ने आरक्षण को नये सिरे से लागू करना शुरू किया। आयोग के इस प्रक्रिया को याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है । याची का कहना है कि पूर्व में आरक्षण की संस्तुति से अलग इसी पदों को भरने में नये सिरे से आरक्षण की कार्रवाई प्रारम्भ करना गलत है।

कोर्ट ने इस मामले में आयोग व सरकार से जवाब तलब किया है तथा याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 दिसम्बर की तिथि नियत की है। इस बीच कोर्ट ने पूर्व मे आरक्षण को लेकर की गयी संस्तुति में किसी भी प्रकार के परिवर्तन पर रोक लगा दी है

न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल हुए रिटायर, फुलकोर्ट रेफरेन्स में दी गयी विदाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल को फुलकोर्ट फेयरवेल समारोह में भावभीनी विदाई दी गई। फुलकोर्ट फेयरवेल की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने की। मुख्य न्यायाधीश कक्ष में आयोजित समारोह में सभी न्यायमूर्ति गण, न्यायिक अधिकारी गण और भारी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति बघेल के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला।

न्यायमूर्ति बघेल ने उच्च न्यायालय में अधिवक्ता व न्यायमूर्ति के रूप में अपने 39 साल के योगदान की चर्चा की और लोगों द्वारा मिले सहयोग की सराहना की और कहा कि वह जीवन भर बार के ऋणी रहेंगे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी न्यायमूर्ति बघेल को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया और भावभीनी विदाई दी।

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बार एसोसिएशन के पुस्तकालय हाल में आयोजित समारोह में न्यायमूर्ति बघेल को भारी संख्या में मौजूद अधिवक्ताओं ने भावभीनी विदाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडे व संचालन महासचिव जे.बी. सिंह ने किया। बार के पदाधिकारियों में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार मिश्र गांधी, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र सहित अन्य पदाधिकारियों ने न्यायमूर्ति बघेल के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

न्यायमूर्ति बघेल ने भी बार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कृतज्ञता प्रकट की। अध्यक्ष का कहना था कि भारी संख्या में अधिवक्ताओं की मौजूदगी स्वयं में बता रही है कि न्यायमूर्ति बघेल कितने लोकप्रिय रहे हैं। प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार चटर्जी, आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र, अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बी.एन. सिंह, जूनियर लायर्स एसोसिएशन उ प्र के अध्यक्ष एमके तिवारी व सचिव गया प्रसाद सिंह, धनंजय कुमार ने भी न्यायमूर्ति बघेल को भावभीनी बधाई दी और उनके भविष्य की शुभकामनाएं दी। उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष हर्ष नारायण शर्मा एवं महासचिव डा.बालकृष्ण पांडेय ने न्यायमूर्ति बघेल के दीर्घायु होने की कामना की है।

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बिना लाइसेंस ईट-भट्ठा संचालन पर हाईकोर्ट नाराज, डीएम बदायूं को नोटिस जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण हेतु ईट भट्टों को बिना लाइसेंस के संचालन की अनुमति नहीं देने संबंधी आदेश का पालन नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने जिलाधिकारी बदायूं को अवमानना नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में स्पष्टीकरण तलब किया है।

बदायूं के निष्कर्ष पवार की अवमानना याचिका और यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी ने दिया। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अनुभव गौड़ ने पक्ष रखा। याची अधिवक्ताओं का कहना था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर 2014 और 1 मई 2014 को दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर आदेश पारित किया था कि प्रदेश में कोई भी ईट भट्ठा बिना पर्यावरण विभाग की अनुमति के संचालित न होने दिया जाए।

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इसके बाद पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने आदेश जारी कर सभी ईट भट्ठा के संचालन हेतु केंद्र और राज्य स्तरीय समितियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया था। याची अधिवक्ता का कहना है कि इसके बावजूद बदायूं में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के इन भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला मानते हुए जिला अधिकारी बदायूं से स्पष्टीकरण तलब किया है। याचिका पर तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

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