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हिल गया यूपी: छोटी लड़कियों ने किया बड़ा खुलासा, बेटियों से हुआ ऐसा सौदा
यूपी के चित्रकूट में वो होता था, जिसको सुनकर सभी हैरान रह गए। दरिदंगी और हैवानियत की सारी सीमाएं पार हो गई। चित्रकूट की खदानों में कम उम्र की नाबालिग लड़कियों के साथ शारिरिक शोषण हो रहा है।
लखनऊ : यूपी के चित्रकूट में वो होता था, जिसको सुनकर सभी हैरान रह गए। दरिदंगी और हैवानियत की सारी सीमाएं पार हो गई। चित्रकूट की खदानों में कम उम्र की नाबालिग लड़कियों के साथ शारिरिक शोषण हो रहा है। यहां के डफई गांव में रहने वाली सौम्या ( जिसका नाम बदला दिया गया) बताती है कि खदान पर जाकर काम मांगते हैं तो वहां लोग कहते हैं शरीर दो तभी काम मिलेगा। ये उनकी पहली मांग रहती है। ऐसे में हम लड़कियों की मजबूरी है उनकी बात मानकर काम पर लग जाते हैं। कई बार काम के पूरे पैसे भी नहीं मिलते। खदान के क्रशर पर काम करने वाले लोग कहते हैं तुमको काम पर नहीं रखेंगे। अब बताइए ऐसे में क्या खाएंगे। इसलिए हम जाते हैं और उनकी बात माननी पड़ती है। इस तरह की हैवानियत हो रही है यूपी में।
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मजबूरन शरीर भी बेचना पड़ता
ये घटना है चित्रकूट की खदानों की, जहां लड़कियों के साथ ये गंदा सौदा किया जाता है। जब कम उम्र की लड़कियों का ये हाल हैं इन हालातों में जो कहें वहीं कम है इन दरिंदों के लिए।
सूत्रों से मिली इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चित्रकूट की खदानों में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण किया जाता है। पाई-पाई रोटी का जुगाड़ करने के लिए हड्डियां कंपा देने क्या रूह तक कंपा देने वाला काम करना पड़ता है। दरिदों को मजबूरन शरीर भी बेचना पड़ता है।
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नरकी चित्रकूट की असल सच्चाई
ये है नरकी चित्रकूट की असल सच्चाई। जहां घरों की बेटियों को खदानों में जिस्म फरोशी का शिकार होना पड़ता है। काम के बदले शरीर को गर्वी रखवाते हैं ये नरकी के कीड़े। ठेकेदार और बिचौलिये उन लड़कियों काम करने के पैसे नहीं देते बल्कि जिस्म का सौदा करते हैं।
सौम्या जैसी ही सैकड़ों बच्चियां न जाने कितने दिनों से कितनी-कितनी बार इन दरिंदों का हाथों आई होंगी।.पढ़ाई-लिखाई की उम्र में इन नासमझ लड़कियों को समाज के गंदे लोगों का शिकार होना पड़ रहा है।
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पहाड़ से फेंक देने की धमकी
ये लड़कियां अपने परिवार को पालने के लिए पूरा बोझ अपने कंधों पर उठा रही हैं। मेहनत-मजदूरी के बदले शरीर का जबरन सौदा कर रही हैं। और तो और कोई लड़की अगर कुछ बोलती है तो फिर पहाड़ से फेंक देने की धमकी तक देते हैं। जो शारीरिक शोषण करता है वह कभी अपना नाम नहीं बताता। कहता है ऐसे शरीर दोगी तभी काम पर लगाएंगे।
गांव में मां-पिता भी अपनी बेटियों के इस दर्द का कड़वा जहरीला जहर पीकर चुपचाप जी रहें हैं। सौम्या की मां कहती हैं कि खदानों पर दरिंदे कहते हैं कि काम में लगाएंगे जब अपना शरीर दोगे तब। मजबूरी है पेट तो चलाना है। 300-400 दिहाड़ी है। कभी 200 कभी 150 देते हैं।
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परिवार भूखे ना सोए
बेटियां काम करके आने के बाद बताती हैं कि आज उनके साथ ऐसा हुआ लेकिन हम कुछ नहीं कर पाते। घर चलाना है, परिवार भूखे ना सोए। पापा का इलाज भी कराना है। लड़कियां मजबूर हैं करें तो क्या करें।
बिल्कुल ऐसी ही दास्तां 14 साल की बिंदिया की है। जो चित्रकूट के कर्वी में रहती है। उसके पिता नहीं हैं। घर का बोझ उसी पर है। स्कूल जाने की उम्र में ये बेटी पहाड़ों की खदानों में पत्थर ढोती है।
बिंदिया बताती है कि पहाड़ के पीछे बिस्तर लगा है नीचे की तरफ। सब हमें लेकर जाते हैं वहां। एक-एक करके सबकी बारी आती है। हमारे बाद कोई दूसरी लड़की। अगर मना करते हैं तो मारते हैं गाली देते हैं हम चिल्लाते हैं, रोते हैं, पर सब सहना पड़ता है। दुख तो बहुत होता है कि मर जाएं, गांव में ना रहें। लेकिन बिना रोटी के जिंदा कैसे रहें।
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जिस्म दरिंदों के आगे परोसना पड़ता
बिंदिया कहती है कि उनसे कहा जाता है कि जो पैसे तुमको दिए हैं उससे मेकअप करके आओ। 100 रुपए में क्या होता है। लॉकडाउन में हालत और खराब हो गई थी। आए दिन हवस का शिकार बनती थीं ये बेटियां। परिवार पालने के लिए रोजाना दो-तीन सौ रुपये कमाने पड़ते हैं, और इसके लिए इसे अपना जिस्म दरिंदों के आगे परोसना पड़ता है।
शिकार हुई बिंदिया कि मां बताती है कि जब से मजदूरी कर रहे हैं। अभी तक नहीं बताया। 3 महीने काम बंद था। 3 महीने से छटपटा रहे हैं। भाग रहे हैं। कैसे हमारा पेट पले, हमारी औलाद का पेट पले। मां को या घर के किसी बड़े को लड़कियों के साथ काम करने के लिए नहीं जाने देते।
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