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मनरेगा पर कांग्रेस नेता की बड़ी मांग, ...तो मजदूरों को भत्ता दे सरकार
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पंचायत चुनाव समिति के केन्द्रीय सदस्य डॉ. सुनील तिवारी ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि मनरेगा एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि अगर मनरेगा में 15 दिन लगातार जॉब कार्ड धारक को काम नहीं मिलता है, तो वह जॉब कार्ड धारक बेरोजगारी भत्ते को प्राप्त करने का अधिकारी होता है।
झांसी: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पंचायत चुनाव समिति के केन्द्रीय सदस्य डॉ. सुनील तिवारी ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि मनरेगा एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि अगर मनरेगा में 15 दिन लगातार जॉब कार्ड धारक को काम नहीं मिलता है, तो वह जॉब कार्ड धारक बेरोजगारी भत्ते को प्राप्त करने का अधिकारी होता है।
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लॉकडाउन 1.0 से लॉकडाउन 3.0 के बीच उत्तर प्रदेश में लाखों की तादाद में मनरेगा कार्ड धारक हैं, जिन्हें लगातार 15 दिन काम ना मिलने कारण, मनरेगा एक्ट के तहत बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए। डॉ. सुनील तिवारी ने कहा कि कुछ कार्डधारक तो ऐसे हैं, जिन्हें अपने ग्राम से 5 किलोमीटर की परिधि में कोई काम नहीं मिला और वह मनरेगा के तहत इकाई समूह में काम करने से स्वत वंचित हो गए। जबकि प्रशासन द्वारा मनरेगा कार्ड धारक को उसके निवास स्थान की 5 किलोमीटर की परिधि में, उसे काम उपलब्ध कराए जाना चाहिए था। मनरेगा का बजट इस साल के लिए 61 हजार करोड़ रूपये किया गया था। कांग्रेस की मांग के बाद में इसमें 40 हज़ार करोड़ अतिरिक्त दिया गया।
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वहीं, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी सहित उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार से मांग की है कि कोरोना के दुष्काल के कारण प्रवासी श्रमिकों और मनरेगा श्रमिकों को कम से कम 200 दिन का काम अवश्य मिलना चाहिए, क्योंकि ये अर्थ व्यवस्था की लिक्विटी और समाजिक ताने बाने के लिए अच्छा संकेत होगा।
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डॉ. सुनील तिवारी ने कहा कि जो मई माह में 40 हज़ार करोड़ रुपए की मनरेगा हेतु , कांग्रेस के दबाव के कारण अतिरिक्त व्यवस्था की है, उसमें सरकार की तरफ से कहीं भी नहीं कहा गया कि यह रुपया सामग्री के रूप में व्यय होगा या मनरेगा में श्रमिक की मजदूरी के लिए। वैसे ही विगत वर्षो में सामग्री के ऊपर बजट में आवंटित धनराशि का आधे से ज्यादा बजट खर्च होता रहा है। फलतः आधे से ज्यादा आवंटित बजट सामग्री में खर्च होने कारण, मनरेगा के मजदूरी के भुगतान हेतु कम धनराशि ही मिल पाती है।
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डॉ. तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी में 179 .77 लाख मनरेगा के जॉब कार्ड धारक है। इनमें से 81.17 सक्रिय जॉब कार्ड धारक हैं। जबकि श्रमिकों की संख्या 250.16 लाख है और सक्रिय श्रमिक 99 .85 हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि श्रमिकों के सापेक्ष रोज़गार के अवसर यूपी में कम थे और उन्हें विगत वर्षो में बढाया नहीं गया। अब स्थिति और ज्यादा गंभीर है। इसीलिये केन्द्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा बेरोजगारी के आंकड़े जारी नहीं किये गये।
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इससे इतर ठेकेदारी मजदूरों की स्थिति और भी भयावह है क्योंकि इन मजदूरों का पेमेंट, कार्य करने वाला संस्थान या संगठन ठेकेदारों को करता है, फिर ठेकेदार उक्त पेमेंट में अपना कमीशन काट कर, मजदूरों को करता है। कोरोना संकट के कारण बहुत से संस्थान कह रहे हैं कि जब हमारे यहां कोई काम हुआ ही नहीं, तो हमारा संस्थान ठेकेदारों को पेमेंट क्यों करें? और ठेकेदार, मजदूरों से कह रहे हैं, जब हमें संस्थान से पेमेंट नहीं मिला, तो हम आपको, कहं से पेमेंट करें?। डॉ. तिवारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सदैव, सभी श्रमिकों को, उनके कौशल के अनुसार काम की हामी रहा है।
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कांग्रेस के जुझारू और ऊर्जावान नेता राहुल गांधी सदैव श्रमिकों के हित में अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में नगर निगम में कांग्रेस सभासद दल के नेता सुलेमान मंसूरी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक तिवारी, पूर्व जिला महामंत्री अमीर चंद आर्य, पूर्व जिला सचिव सुरेश नगाइच आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
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छात्रों का भविष्य बर्बाद नहीं होने देंगे: अरविंद वशिष्ठ
शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें सर्व राजेंद्र रेजा, राजेंद्र शर्मा, अनु श्रीवास्तव, अनवर अली राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य से मिला। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने कहा की प्रथम वर्ष के छात्रों का सामूहिक फेल होना एम्पलाइबिलिटी विषय में जीरो अंक दिया जाना कहीं ना कहीं विभाग की लापरवाही का आधार प्रतीत होता है। ज्ञात हुआ है कि छात्र छात्राओं ने ओएमआर शीट पर गलत कोड अंकित कर दिया था। जिसकी वजह से सॉफ्टवेयर ने उनकी उत्तर पुस्तिका सीट को इनवेलिड कर दिया जिसमें छात्र-छात्राओं का कोई दोष नहीं है। उन्होंने पूर्ण लगन मेहनत के साथ प्रश्न पत्र हल भी किया था। इसमें प्रथम दृष्टया राजकीय औद्योगिक शिक्षण संस्थान की लापरवाही नजर आती है। इस अवसर पर राजेंद्र रेजा आदि उपस्थित रहे हैं।
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रिपोर्ट: बीके कुशवाहा