TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

खतरनाक ये बीमारी: ऐसे पहचाने इसके लक्षण, तुरंत ही अपनाएं ये उपाय

रोना महामारी के कई साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। लाखों की तादाद में लोग भले ही कोरोना को मात दे चुके हैं लेकिन इस बीमारी ने मानसिक महामारी को जन्म दे दिया है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश में अवसाद, तनाव व घबराहट जैसी मानसिक बीमार लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है।

Monika
Published on: 17 Oct 2020 7:48 PM IST
खतरनाक ये बीमारी: ऐसे पहचाने इसके लक्षण, तुरंत ही अपनाएं ये उपाय
X

लखनऊ। कोरोना महामारी के कई साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। लाखों की तादाद में लोग भले ही कोरोना को मात दे चुके हैं लेकिन इस बीमारी ने मानसिक महामारी को जन्म दे दिया है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश में अवसाद, तनाव व घबराहट जैसी मानसिक बीमार लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। पहले कोरोना का डर हावी रहा। इस वजह से शुरुआत में कोरोना से अधिक मौत होने का एक बड़ा कारण घबराहट को भी माना जा रहा है। अब एक बड़ी आबादी को रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। इस वजह से गंभीर मानसिक बीमारियां बढ़ने का भी खतरा है। एक अनुमान के अनुसार देश में डिप्रेशन यानी अवसाद के पीड़ित लोगों की संख्या कोरोना के कारण तेजी से बढ़ कर दस फीसदी हो गयी है। भले ही अब कोरोना का डर काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत खराब असर पड़ा है। लोगों में घबराहट, तनाव, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर की समस्या भी बढ़ी है। एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने दावा है किया है कि कोरोना वायरस जल्द ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की वैश्विक सुनामी ला सकता है।

corona virus

10 फीसदी लोगों में डिप्रेशन

दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश सागर के अनुसार देश में कोरोना से पहले 3.5 से 5 फीसदी लोग अवसाद से पीड़ित थे। अब यह संख्या करीब 10 फीसदी है। इसी तरह तनाव व घबराहट की बीमारी भी दो से तीन गुना बढ़ी है। इन हालातों में सुसाइड के मामले बढ़ने की आशंका है।

जोधपुर एम्स के मनोरोग विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नरेश नेभिनानी का कहना है कि अब हर सात में से एक व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रसित है। और इस संख्या में कोरोना महामारी ने बहुत बड़ा इजाफा कर दिया है। मानसिक चिकित्सा का आलम ये है कि 85% मानसिक रोगियों इलाज ही नहीं मिल रहा। ये आंकड़ा लांसेट पत्रिका और राष्ट्रीय मानसिक स्वस्थ्य सर्वे का है। देश में मानसिक रोग के डॉक्टर 5-7 हजार ही हैं, जो शहरी क्षेत्र में ही उपलब्ध हैं। 1990 की तुलना में वर्तमान में मानसिक रोगी दुगुने हो गए हैं। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ रेड क्रॉस ने एक स्टडी में पाया है कि अमेरिका में एंग्जायटी और डिप्रेशन के मामले पिछले साल की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हो गए हैं। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स के एक सर्वे के अनुसार एक तिहाई अमेरिकी लोगों में एंग्जायटी या डिप्रेशन के लक्षण देखे गए हैं. पिछले साल ये आंकड़ा मात्र 11 फीसदी का था।

ये भी देखें:नाबालिग से दरिंदगी: अब मीडिया की खबरों पर मुहर, पकड़ा गया दूसरा दरिंदा

corona virus

बड़े खतरे का संकेत

कोरोना महामारी के बाद अब तक अलग-अलग स्तर पर किए गए अध्ययनों में यह स्पष्ट हो रहा है कि मौजूदा हालात भविष्य के बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए भय ने लोगों के मन-मस्तिष्क को सीधे तौर पर प्रभावित किया। लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों में बंद होकर सबकुछ ठीक होने का इंतजार करते रहे। बाजार, रोजगार, समाज सब पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कंटेनमेंट जोन, आइसोलेशन सेंटर, कोविड वॉर्ड, होम आइसोलेशन जैसे शब्दों ने मानसिक चेतना को अस्थिर कर दिया। इन सबका प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा। लॉक डाउन के दौरान हमेशा घर के अंदर मौजूदगी ने रिश्तों में टकराव की स्थिति भी पैदा कर दी। इन दिनों घरेलू अपराध में दर्ज की गई वृद्धि इसका प्रमाण रही। इस महामारी के चलते कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। वर्षों से जिस परिवेश में रह रहे थे, उसे छोड़ना पड़ा। बीमारी में स्वजनों व प्रियजनों को भी खो दिया। इन परिस्थितियों ने लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला है। हार्वर्ड विवि में हुए एक अध्ययन में आशंका व्यक्त की गई है कि मानसिक स्वास्थ्य नए संकट का रूप ले सकता है। लॉकडाउन से अनलॉक के बीच शहर दर शहर बढ़ी आत्महत्या की घटनाओं ने भी हमें इसकी झलक दिखाई है। लोगों में डर, चिंता, अनिश्चितता, असुरक्षा की भावना, हताशा और अवसाद जैसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। दूसरी ओर ऐसे मरीज जो कोरोना संक्रमण को हराकर ठीक हो गए हैं, वे अब भी इस वायरस द्वारा दी गई दिक्कतों को झेलने पर मजबूर हैं और इन दिक्कतों में सबसे बड़ा है मानसिक रोग। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को यह संक्रमण होकर ठीक हो चुका है, उनमें आधे से अधिक मरीजों में मानसिक बीमारियां देखने को मिल रही हैं।

ये भी देखें: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावः आठ फीसदी का ये अंतर करेगा बड़ा फैसला

corona virus

हर पांचवां व्यक्ति प्रभावित

इंडियन सायकियाट्री सोसाइटी (आईपीएस) की ओर से किए गए एक हालिया सर्वे के अनुसार, लॉकडाउन लागू होने के बाद से मानसिक बीमारियों के मामले 20 फीसद बढ़े हैं। औसतन हर पांचवां भारतीय इनसे प्रभावित हुआ है। चेतावनी दी गई है कि देश में हाल के दिनों में अलग-अलग कारणों से मानसिक संकट का खतरा पैदा हो रहा है। इनमें नौकरियां खत्म होने, आर्थिक तंगी बढ़ने, सामाजिक व्यवहार में बदलाव तथा अनहोनी की आशंका के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है। एक अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि जिन लोगों की मानसिक स्थिति अगले 10 वर्ष बाद बिगड़ने वाली थी। वह इस अवधि में ही बिगड़ गई है। मानसिक अवसाद से बाहर आ चुके कई लोग एक बार फिर पुरानी स्थिति में लौट गए हैं।

ये भी देखें:नाबालिग से दरिंदगी: अब मीडिया की खबरों पर मुहर, पकड़ा गया दूसरा दरिंदा

हर वर्ग हुआ प्रभावित

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि हर आयुवर्ग और लिंग पर इसका असर हुआ है। बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन हुए हैं। वृद्धजन बीमारी को लेकर सबसे ज्यादा डरे हुए हैं। हल्की सर्दी-खांसी व बुखार में लोग खुद को कोविड-19 का मरीज मान रहे हैं। युवा वर्ग अपने कॅरियर को लेकर डरा हुआ है। वहीं नौकरीपेशा लोग अपने और परिवार के भविष्य को लेकर परेशान हैं। बच्चे घर में तनाव और हिंसा के गवाह बन रहे हैं। पहले मनोरंजन और अब ऑनलाइन पढ़ाई के चलते उनका अधिकांश वक्त मोबाइल पर गुजर रहा है। मनोरंजन के साधन के रूप में बस इंटरनेट व टीवी का विकल्प मौजूद है। यह सब बातें हमें इस ओर गंभीर होने की तरफ इशारा कर रही हैं।

ब्रिटेन में किये गए एक अध्ययन में निकल कर आया है कि कोरोना काल में 70 फीसदी किशोरों ने बताया कि उनको मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । 50 फीसदी से ज्यादा किशोरों ने बताया कि उन्हें घबराहट से जूझना पड़ा है, 43 फीसदी को डिप्रेशन और 43 फीसदी को अत्यधिक स्ट्रेस की शिकायत रही।

ये भी देखें: इलाज का नया तरीका: अब कोरोना का ऐसे होगा ट्रीटमेंट, लिया गया बड़ा फैसला

महामारी से पहले इतनी फीसदी समस्या

इजरायल की बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, कोरोना महामारी के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। माताओं में एंग्जाइटी और अनिद्रा के साथ ही बच्चों में भी नींद संबंधी समस्याएं पाई जा रही हैं। स्लीप जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, माताओं में महामारी के दौरान अनिद्रा की समस्या बढ़कर दोगुनी यानी 23 फीसदी हो गई है। महामारी से पहले यह समस्या महज 11 फीसदी थी। करीब 80 फीसदी माताओं ने मध्यम से लेकर उच्च स्तर के एंग्जाइटी की शिकायत भी की। यह निष्कर्ष माताओं से भरवाई गई एक प्रश्नावली के आधार पर निकाला गया है। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने बीते अगस्त महीने में अनुमान लगाया था कि इस महामारी की वजह से 10 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच सकते हैं। महामारी की वजह से सभी देशों में आर्थिक मंदी और मानसिक स्वास्थ्य सूनामी फैलने जा रही है। उन्होंने कहा कि महामारी से पूर्व ही मानसिक स्वास्थ्य संकट एक बड़ा सवाल था, जो अब और गहरा गया है।

मानसिक बीमारी के लक्षण

उदासी, निराशा और घबराहट।

तनाव और हर वक्त चिंता।

नींद न आना।

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर।

ये भी देखें: नेहा कक्कड़ के बाद अब आदित्य की शादी, डेट हुई फिक्स, यहां लेंगे 7 फेरे…

कुछ अंतराल पर हाथ धोने की आदत।

बार-बार हाथ सैनिटाइज करने की आदत।

लोगों से दूरी बनाने की आदत।

कम बातचीत करना।

भीड़ में जाने से डरना।

कानों में हर समय सीटी जैसी आवाज आना।

अमेरिका की प्रख्यात मनोचिकित्सक डॉ जेनिफर लव के अनुसार कोरोना काल में कुछ अजीब लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। स्वस्थ लोग तेज सिरदर्द, बाल झड़ने, कई कई हफ्ते तक पेट ख़राब रहने, और अचानक ऑटो इम्यून बीमारियों के प्रकोप की शिकायत कर रहे हैं।

अपनाएं ये उपाय

शरीर में सैरोटोनिन डोपामाइन जैसे रसायन की मात्रा को संतुलित रखना होगा। इन दोनों रसायनों की कमी या अधिकता की वजह से ही मानसिक बीमारी हो सकती है। धूप में रहने से, दूध पीने व कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करने से शरीर में सेरोटोनिन बनता है। जिससे मानसिक रोगों से बचाव होता है। वहीं डोपामाइन की अधिकता को बढऩे से रोकने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाना चाहिए।

ये भी देखें: मिथुन के बेटे पर FIR: पहले किया रेप, फिर कराया अबॉर्शन…

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story