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CM का शहर तालाब: हर जगह पानी ही पानी, लापता नगर निगम
अधिकारियों के दावे के इतर दुश्वारियों वाली हकीकत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में दिख रही है। सड़कें दरिया बन गई हैं।
गोरखपुर: बारिश होगी तो जलभराव भी होगा। इससे कहां किसी को इंकार है। लेकिन बारिश थमने के बाद मोहल्लों से पानी निकासी में कितना समय लगना चाहिए? नगर निगम के अधिकारी ही बताते हैं कि दो घंटे में पानी निकासी हो जाए तो इसे जलभराव नहीं कहेंगे। अधिकारियों के दावे के इतर दुश्वारियों वाली हकीकत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में दिख रही है। सड़कें दरिया बन गई हैं।
घरों और दुकानों में पानी घुस गया है। 50 से अधिक मोहल्लों की 5 लाख से अधिक आबादी जलभराव से घरों में कैद होने को विवश है। प्रशासनिक लॉकडाउन के चलते कई दुकानदार सामान को बर्बाद होने से भी नहीं बचा पा रहे हैं।
घरों के अंदर घुसा पानी
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गोरखपुर में कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच रिकार्ड बारिश हुई है। राप्ती, घाघरा, गोर्रा, कुआनो और आमी नदियां खतरे से काफी ऊपर बह रही हैं। ग्रामीण इलाकों की स्थिति बाढ़ से बिकराल है ही, शहरी इलाकों में भी घुटने तक पानी लगा हुआ है। शहर के बेतियाहाता में कमिश्नर से लेकर मुख्य विकास अधिकारी का आवास है। इनके आवास से चंद मीटर दूरी पर स्थिति मलिन बस्ती में घरों में पानी घुस गया है। यहां की रहने वाली प्रतिभा ने बताया कि सुबह नींद खुली तो चौकी के नीचे पानी भरा हुआ है।
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घर में रखा सामान खराब हो गया। कोरोना के संक्रमण के खतरों के बीच काम धंधा है नहीं, किसी तरह राशन जुटाया था, वह भी खराब हो गया। कांग्रेस नेता अनवर हुसैन कहते हैं कि कमिश्नर से लेकर नगर विधायक के आवास के पास तो नगर निगम ने पंपिंग सेट लगवा दिया है, लेकिन गरीबों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। वहीं शहर के जाफरा बाजार में भी मोहल्ले की सड़कों पर नाव चलाने के हालात बन गए हैं।
नगर निगम पर उठ रहे सवाल
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सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.सुधाकर पांडेय कहते हैं कि लॉकडाउन के चलते नगर निगम को नाला सफाई का बेहतर मौका मिला था, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। राप्ती नदी से सटे जफर कालोनी में वर्ष 2017 में बाढ़ का पानी घुसने से एनडीआरएफ बुलानी पड़ी थी। इस बार भी हालात वैसे ही बन गए हैं। नगर निगम ने यहां के नागरिकों को राहत देने के लिए महापंप लगवाने का दावा किया है, लेकिन यह डीजल चोरी का साधन बन कर रह गया है।
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स्थानीय भाजपा पार्षद अभिषेक निषाद कहते हैं कि पंपिंग सेट की स्थापना डीजल चोरी के लिए हुई है। जब नागरिकों का हंगामा होता है तो पंपिंग सेट चलाया जाता है, उसके बाद बंद कर दिया जाता है। खुद महापौर और नगर आयुक्त ने डीजल चोरी पकड़ी लेकिन जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि शहर में 30 से अधिक स्थानों पर पंपिंग सेट लगाकर पानी की निकासी की जा रही है। गुरुवार की रात से हुई भारी बारिश से स्थिति खराब हुई है। जल्द लोगों को राहत मिल जाएगी।
शाही घर भी पानी में डूबे
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गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष अनुज सिंह का आवास के सामने की सड़क पर घुटने तक पानी लगा हुआ है। आसपास के नागरिक घरों में कैद होकर रह गए हैं। बुद्ध विहार पार्ट सी में तो नाव चलाने की स्थिति बन गई है। स्थानीय निवासी अतुल वर्मा का कहना है कि पिछले दो वर्षों में जीडीए ने अपनी कालोनी की सड़क और नाली के निर्माण पर 30 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये हैं, लेकिन कोई जिम्मेदार इसकी उपयोगिता बताने को तैयार नहीं है। गोरखपुर जिले के कमोबेश सभी विधायक शहर में रहते हें।
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सभी विधायक पानी से घिरे हुए हैं। नगर विधायक डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल का रुस्तमपुर स्थित आवास हल्की बारिश में ही डूब जाता है। हालांकि उनके रसूख के चलते नगर निगम ने घर के पास पंपिंग सेट लगवा रखा है। ग्रामीण विधायक विपीन सिंह भी चंद किलोमीटर दूर बेतियाहाता वार्ड में रहते हैं। उनके आवास के पास भी पानी लगा हुआ है। सहजनवा से विधायक शीतल पांडेय के तारामंडल स्थित आवास के आसपास का इलाका ताल बन गया है। महापौर सीताराम जायसवाल का कैंप कार्यालय धर्मशाला बाजार में स्थित है, वहां भी नाव चलाने की स्थिति है।
लेडार सर्वे का पता नहीं, अधूरी नालियों ने बढ़ाई दिक्कत
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नगर निगम और जीडीए की संयुक्त टीम ने जलभराव से मुक्ति के लिए लेडार सर्वे कराया है। अधिकारियों का दावा था कि अब नालियां लेडार सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक ही बनेंगी लेकिन इसका कहीं भी अनुपालन नहीं हो रहा है।
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शहर में 50 करोड़ रुपये से खर्च कर बनीं ऐसी नालियों की लंबी फेहरिस्त है, जो आधी-अधूरी हैं। पूर्व पार्षद हीरालाल यादव कहते हैं कि सरकार और अधिकारियों की मंशा नागरिकों को राहत देना नहीं बल्कि भ्रष्टाचार कर करोड़ों रुपये हजम करना है।
रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव