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इलेक्ट्रो होम्योपैथी का विजय दिवस, कोरोना पर काबू पाने में ऐसे आ सकती है काम

इलेक्ट्रोहोम्योपैथी ने विजय दिवस के साथ योग दिवस मनाया। जिस कदर पल प्रतिपल तेजी से विकास हो रहा है। उसी तरह नित नए रोगों की उत्पत्ति भी हो रही है। इस पर एक हमीरपुर में एक विमर्श गोष्ठी आयोजित की गई।

Ashiki
Published on: 21 Jun 2020 3:25 PM GMT
इलेक्ट्रो होम्योपैथी का विजय दिवस, कोरोना पर काबू पाने में ऐसे आ सकती है काम
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हमीरपुर: इलेक्ट्रोहोम्योपैथी ने विजय दिवस के साथ योग दिवस मनाया। जिस कदर पल प्रतिपल तेजी से विकास हो रहा है। उसी तरह नित नए रोगों की उत्पत्ति भी हो रही है। कोरोना वायरस भी उसी का परिणाम है। यदि भारत सरकार द्वारा अवसर दिया जाए तो योग के साथ-साथ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी कोरोना वायरस को काबू करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

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आयोजित हुई विमर्श सभा

हमारे कई चिकित्सकों ने इस पर कई-एक फार्मूले ईजाद किए हैं। उन्हें इसका परिणाम देखने-दिखाने का अवसर मिलना चाहिए। अंततः परिणाम सार्थक ही सिद्ध होगा, हमें पूरा विश्वास है। उक्त विचार आज इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के बुंदेलखंड प्रभारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. नरेंद्र भूषण निगम शहर में बोर्ड द्वारा संचालित इलेक्ट्रो होम्योपैथिक स्टडी सेंटर, इलेक्ट्रो होम्योपैथिक धर्मार्थ अस्पताल में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विजय दिवस पर आयोजित विमर्श के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए व्यक्त कर रहे थे।

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डॉ. प्रशांत ने कहा कि पृथ्वी पर मानव जाति के विकास के साथ अनेक घातक एवं असाध्य रोगों ने जन्म लिया तो सृष्टि के आदिकाल से ही आयुर्विज्ञान की कई पद्धतियों का उपयोग मानव जाति करने लगी। विज्ञान की प्रगति के दौरान ही पारम्परिक चिकित्सा, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, एलोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी, सिद्धा, एक्यूप्रेसर जैसी तकरीबन 100 प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां आज दिखाई दे रही हैं।

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शमन सिद्धांत भी बहुत कारगर

यदि एक ही पद्धति पूर्ण होती तो आज अलग-अलग कई चिकित्सा पद्धतियों की आवश्यकता ही न पड़ती। पूर्णता की खोज में वैज्ञानिक लगे रहे। इसी क्रम में इटली के डॉ. काउंट सीजर मैटी ने इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान को जन्म दिया। संयुक्त का संयुक्त से शमन सिद्धांत पर आधारित यह चिकित्सा पद्धति बड़े से बड़े असाध्य रोगों को ठीक करने की शक्ति रखती है और ठीक भी करती है। यह चिकित्सा पद्धति कोरोना वायरस कोविड-19 को काबू में करने की शक्ति रखती है।

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भारत सरकार को चाहिए कि इस महामारी से निजात पाने में वह इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को आजमाने का अवसर प्रदान करे। इस पद्धति को सरकारी या गैरसरकारी कहीं से कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिलती। मानवता के कल्याण व एक राष्ट्र समृद्ध राष्ट्र स्वस्थ राष्ट्र की अवधारणा को पूरा करने के लिए हम इलेक्ट्रोहोम्योपैथी अपने स्तर पर हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। सरकार को इलेक्ट्रोहोम्योपैथी के विकास के लिए संसद में विधयेक पारित कर कानूनी रूप प्रदान करना चाहिए।

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जाहिर की खुशी

निगम ने इलेक्ट्रोहोम्योपैथी के विजय दिवस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में नियमन तो केंद्र सरकार करती है। लेकिन उनका संचालन राज्य स्तर पर होता है। हर राज्य केंद्र के निर्देशों का पालन तो करता है। लेकिन अपने प्रचलित कानूनों के ही तहत 21 जून 2011 को भारत सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आदेश पारित हो जाने के बाद देश में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी में व्याप्त अनिश्चितता का वातावरण तो समाप्त हो गया और यह निश्चित हो गया कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी का संचालन 25 नवम्बर 2003 के निर्गत आदेशों के अनुसार होता रहे। जब तक कि भारत सरकार इस चिकित्सा पद्धति को विनियमित नहीं कर देती है।

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इससे सरकारी विरोध तो खत्म हो गया। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा जारी किया गया 21 जून के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश शासन ने इलेक्ट्रोहोम्योपैथी की प्रैक्टिस, शिक्षा एवं अन्वेषण संबंधी शासनादेश बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन उप्र को जारी किया था। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सकों को चाहिए कि वे लोग विधि संगत तरीके से निडर होकर अपनी ही पैथी में प्रेक्टिस करें तो किसी प्रकार की कोई कानूनी अड़चन नहीं खड़ी होगी।

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हम सबकी विजय होगी

यदि कोई अधिकारी विधिसंगत प्रैक्टिस कर रहे इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सक पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करता है तो संगठन आपके साथ खड़ा मिलेगा। अंततः विजय हमारी-आपकी ही होगी। उन्होंने आमजन मानस को संदेश देते हुए कहा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी विषरहित, हानिरहित वनस्पति जगत पर आधारित सस्ती एवं साध्य-असाध्य सम्पूर्ण रोगों पर त्वरित कार्य करने वाली भरोसेमंद विधा है।

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यह बीमारियों को जड़ से समाप्त कर देती है। अतः इसे बेहिचक अपनाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें। उन्होंने समाज में फैले भ्रम का निवारण करते हुए कहा कि यह न तो करंट थेरेपी है और न ही यह होम्योपैथी की शाखा है। यह अपने आप में अलग और विश्वसनीय नवीन चिकित्सा पद्धति है। डॉ. श्रवण कुमार चक्रवर्ती ने अध्यक्षता की। संचालन डॉ. कीर्ति सिंह ने किया। इस अवसर पर इलेक्ट्रो होम्योपैथ डॉ. शिवनारायण, डॉ. सुनीता सागर, डॉ. मंदाकिनी, डॉ. मेहर मधुर निगम, इलेक्ट्रो होम्योपैथ चिकित्सक गणेश सिंह विद्यार्थी, प्रियंका, नम्रता, ऋचा ओमर रजनीश खरे आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट: रवींद्र सिंह

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