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GST, स्वामी चिन्मयानन्द समेत पढ़े हाईकोर्ट की दिनभर की खबरें

एलएलएम छात्रा से दुराचार के आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द की जमानत अर्जी की सुनवाई आज भी पूरी नहीं हो सकी। बहस कल शनिवार को भी जारी रहेगी। अर्जी की सुनवाई न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी कर रहे है। शनिवार को कोर्ट 11 बजे से सुनवाई करेगी।

Dharmendra kumar
Published on: 15 Nov 2019 11:11 PM IST
GST, स्वामी चिन्मयानन्द समेत पढ़े हाईकोर्ट की दिनभर की खबरें
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प्रयागराज: एलएलएम छात्रा से दुराचार के आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द की जमानत अर्जी की सुनवाई आज भी पूरी नहीं हो सकी। बहस कल शनिवार को भी जारी रहेगी। अर्जी की सुनवाई न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी कर रहे है। शनिवार को कोर्ट 11 बजे से सुनवाई करेगी।

याची अधिवक्ता का कहना है कि स्वामी को ब्लैकमेलिंग की गयी। मांग न मानने पर दुराचार के फर्जी केस में फंसाया गया है। पीड़िता के पिता ने लापता होने की प्राथमिकी दर्ज कराई है। जबकि वह अपने दोस्तों के साथ स्वयं रक्षा बंधन से पहले शाहजहापुर छोड़ चुकी थी और लगातार फोन पर परिवार के सम्पर्क में थी। ब्लैकमेलिंग कर 5 करोड़ की रंगदारी मांगी।

पीड़िता जब सुप्रीम कोर्ट में पेश हुई तो उप्र में न जाकर दिल्ली में रहने और पिता से मिलने का आगे की कार्यवाही की बात की। वकीलों की सलाह से दिल्ली में शिकायत की। अधिवक्ता का यह भी कहना है कि लुटियन गिरोह हिन्दू सन्तों को बदनाम करने के प्रयास में जुटा है।धर्म को बदनाम करने के लिए झूठा आरोप लगाया गया है।

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पीड़िता के अधिवक्ता का कहना था है कि स्वामी ने जघन्य अपराध किया है। वीडियो साक्ष्य है। एक साध्वी ने भी ऐसा आरोप लगाया था।आरोपी के प्रभाव के कारण उसे झूठे आरोप में फंसाया गया है।सुनवाई जारी है।

दहेज हत्या के आरोपी पति की जमानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपी पति गोरखपुर के आकाश श्रीवास्तव की जमानत मंजूर कर ली है तथा उनको शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। आकाश की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति ओमप्रकाश ने सुनवाई की। वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची के खिलाफ दहेज हत्या का कोई मामला बनता नहीं है। उस पर लगाए गए आरोप झूठे और बेबुनियाद है।

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वास्तविकता यह है कि याची ने प्रेम विवाह किया था। इसलिए दहेज मांगने का कोई प्रश्न ही नहीं होता है। दर्ज प्राथमिकी में याची का नाम नहीं है और ना ही दहेज में कार मांगे जाने का जिक्र है। याची का नाम पहली बार उसकी पत्नी द्वारा पुलिस के समक्ष दिए गए बयान में सामने आया।

अधिवक्ता का यह भी कहना था कि याची की पत्नी को नौकरी से निकाल दिया गया था। इसलिए वह परेशान थी और उसने खुदकुशी की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या किए जाने का कोई निशान नहीं पाया गया। कोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा है कि याची जांच में पुलिस को सहयोग देगा तथा साक्ष्यों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा। याची के खिलाफ गोरखपुर के गोरखधाम थाने में दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिसमें वह फरवरी 2019 से जेल में बंद है।

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टीचर की मौत पर पिता को ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवाकाल में सहायक अध्यापकों की मृत्यु के मामले में उसके पिता को उसकी ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश दिया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग की इस दलील को नामंजूर कर दिया कि मृतक कर्मचारी ने अपनी सेवा के दौरान 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं भरा था। कोर्ट ने कहा यह बिंदु हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में ही तय किया जा चुका है।

कर्मचारी को उसकी ग्रेच्युटी का भुगतान ब्याज सहित करने का निर्देश दिया है। उषा रानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दिया है। याची का कहना था कि उसकी पुत्री परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका थी तथा अविवाहित थी। बाद में उसकी प्रोन्नति उच्च प्राथमिक विद्यालय में हो गई। सेवाकाल के दौरान ही उसकी पुत्री की मृत्यु हो गई। उसके पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी किया था।

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मगर बेसिक शिक्षा विभाग में उसकी दिवंगत पुत्री की ग्रेच्युटी का भुगतान करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि कर्मचारी ने अपनी सेवा पंजिका में 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त का विकल्प नहीं भरा था। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। याची के अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी का कहना था कि सेवा पंजिका में सेवानिवृत्ति का विकल्प भरना अनिवार्य नहीं है। इस बिंदु पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रेनू व अन्य के मामले में निर्णय दे दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ता की दलील स्वीकार करते हुए याची को ब्याज सहित ग्रेच्युटी के भुगतान का निर्देश दिया।

जीएसटी अधिकरण गठन को लेकर कोर्ट सख्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व जीएसटी काउंसिल को उत्तर प्रदेश में जीएसटी अधिकरण एवं एरिया बेंचेज के गठन के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ 11 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले भी 18 सितंबर एवं 16 अक्टूबर 19 को केंद्र सरकार व जीएसटी काउंसिल को प्रदेश में अधिकरण के गठन के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। किन्तु इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जिसपर कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर की है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने मेसर्स जय बाबा अमरनाथ इंडस्ट्रीज सहित सैकड़ों याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि एक्साइज विभाग द्वारा माल वाहनों की जब्ती आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में भारी संख्या में याचिकाएं आ रही हैं जिन्हें न्यायाधिकरण के समक्ष जाना चाहिए था।प्रदेश में न्यायाधिकरण का गठन न होने के कारण हाई कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है जिसको देखते हुए न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सरकार व जी एस टी काउन्सिल को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि प्रदेश में अधिकरण का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है।

केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने कोर्ट को वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया कि केंद्र सरकार ने लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को पारित आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने इस आदेश से प्रयागराज में अधिकरण स्थापित करने के राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को रद्द कर दिया है और कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव के तहत लखनऊ में अधिकरण का स्थापित किया जाए।हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति भारती सप्रू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लखनऊ बेंच के फैसले को कानून के विपरीत मानते हुए अपठनीय करार दिया है और प्रयागराज में हाईकोर्ट की प्रधान पीठ होने के नाते अधिकरण की स्थापना प्रयागराज में किये जाने का आदेश दिया है।

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लखनऊ पीठ के आदेश के चलते जी एस टी काउन्सिल नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। और लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही।कोर्ट ने जानना चाहा है कि अधिकरण के गठन के संबंध में केंद्र सरकार ने अभी तक क्या कदम उठाए हैं और दो बार समय दिये जाने के बावजूद हलफ़नामा न दाखिल करने पर नाराजगी व्यक्ता की है।याचिका की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।

अतीक के गुर्गों की धमकी से पीड़ित को पिस्टल लाइसेंस पर निर्णय लेने का DM को आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेनीगंज निवासी कमलेश कुमार को पिस्टल लाइसेंस देने पर 4 महीने के अंदर जिलाधिकारी प्रयागराज को विचार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कमलेश कुमार पटेल की याचिका पर दियाहै।याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि पूर्व सांसद अतीक अहमद का गुर्गा तोता आगरा जेल में बन्द है।जेल से धमकी दी और पेशी पर आने पर बिकी हुई जमीन का पैसा देने के लिए कहा था।

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पैसा न देने पर परिवार समेत मार डालने की धमकी दी। इससे पहले याची की पत्नी रामसखी की याचिका पर न्यायालय के आदेश से शासकीय व्यय पर परिवार को सुरक्षा मिली हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चौधरी ने बताया कि याची को पूर्व सांसद अतीक अहमद व उसके गुर्गे तोता के खिलाफ दायर मुकदमों की पैरवी के लिए न्यायालय व जमीनों की देख रेख के लिए जाना पड़ता है। उसे अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल लाइसेंस की सख्त आवश्यकता है। कोर्ट ने नियमानुसार विचार कर डी एम प्रयागराज को निर्णय लेने का आदेश दिया है।

बसपा सांसद अतुल राय की जमानत खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घोसी से बसपा सांसद अतुल राय की बीएचयू छात्रा के यौन शोषण के मामले में जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने दिया अतुल राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और परिवादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सरन तथा सरकारी वकील को सुनकर दिया है।

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अतुल राय के खिलाफ बीते लोकसभा चुनाव के दौरान एक मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में आईपीसी की धारा 420, 376, 504, 506 के तहत यौन शोषण का मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि अतुल राय ने पत्नी से मिलाने के बहाने वाराणसी स्थित फ्लैट में बुलाया और वहां उसका यौन शोषण कर वीडियो बनाकर उसे वायरल करने की धमकी दी। जमानत के समर्थन में कहा गया कि एफआईआर घटना के सालभर बाद दर्ज कराई गई है। याची को राजनीतिक विद्वेष के कारण झूठा फंसाया गया है।

परिवादी की ओर से जमानत अर्जी का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सरन ने अपने तर्क में कहा कि आरोपी सांसद का लंबा आपराधिक इतिहास है। इस मुकदमे में उनपर रेप का गंभीर आरोप है। वह गवाहों पर दबाव बना रहे हैं और यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो साक्ष्य प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आरोप तय न होने के कारण पीड़िता का बयान नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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भूतपूर्व सैनिकों की वीडीओ पद पर नियुक्ति के निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 52 भूतपूर्व सैनिकों की ग्राम विकास अधिकारी के पद पर नियुक्ति का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने प्रमोद कुमार श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्राम विकास अधिकारी के 3133 पदों की भर्ती प्रक्रिया के तहत 18 जुलाई 2018 को परिणाम घोषित किया था।

आयोग ने कम्प्यूटर प्रमाण पत्र को लेकर 70 भूतपूर्व सैनिकों को विदहेल्ड श्रेणी में रखा। बाद में योजनाबद्ध तरीके से 15 भूतपूर्व सैनिकों को गलत शासनादेश एवं उच्च योग्यता के प्रमाण पत्र पर नियुक्ति दे दी गई। इसकी शिकायत शासन में की गई लेकिन विभाग ने कुछ नहीं किया। शेष 52 भूतपूर्व सैनिकों ने हाईकोर्ट में यह याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने गत 13 नवंबर को भूतपूर्व सैनिकों को नियुक्ति प्रदान करने का आदेश दिया।



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