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इस जिले में एक फीसदी परिवारों को भी मनरेगा के तहत नहीं मिला काम

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में मजदूरों को मनरेगा के तहत एक फीसदी परिवारों को भी 100 दिन का काम नहीं मिला है। दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन सब हवा-हवाई साबित होते हैं।

Shreya
Published on: 20 May 2020 12:17 PM GMT
इस जिले में एक फीसदी परिवारों को भी मनरेगा के तहत नहीं मिला काम
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कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में मजदूरों को मनरेगा के तहत एक फीसदी परिवारों को भी 100 दिन का काम नहीं मिला है। दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन सब हवा-हवाई साबित होते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में मनरेगा जॉबकार्डधारकों की संख्या का आंकड़ा डेढ लाख के करीब रहा था, लेकिन 100 दिन का रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या सिर्फ 371 ही है। काम देने के नाम पर विभाग सिर्फ ढोल पीटता रहा है। दावा यह रहता है कि मांगने पर काम जरूर दिया जाता है।

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एक परिवार को भी नहीं मिला 100 दिन का रोजगार

मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 के तहत कन्नौज जनपद में सक्रिय जॉब कार्डधारकों की संख्या करीब 84 हजार से अधिक रही है, ऐसा दावा विकास भवन स्थित सम्बंधित महकमा कर रहा है, लेकिन कुल जॉबकार्डधारक 147452 थे। खास बात यह है कि जिले में 504 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन 371 परिवारों को 100 दिन का रोजगार देने में सिर्फ 130 ग्राम पंचायतों के नाम आगे आए। औसत एक ग्राम पंचायत भी एक परिवार को 100 दिन का रोजगार नहीं दे सकी।

दूसरी ओर देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से हर रोज दूसरे प्रदेशों व जिलों से इत्रनगरी में प्रवासी मजदूरों की आहट बढ़ती ही जा रही है। सरकारी रिकार्ड में भले ही बाहर से आने वाले कामगारों की संख्या कम हो, लेकिन एक लाख के करीब लोग अब तक आ गए होंगे, ऐसा अनुमान है। ज्यादातर लोग चोरी-छिपे ही आए हैं। खुद स्वास्थ्य महकमे ने 50 हजार लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कर डाली है।

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इन दिनों हरियाणा, पंजाब, गुडगांव, राजस्थान, दिल्ली, आगरा, मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों से प्रवासी कामगार जिले में दस्तक दे रहे हैं। रोडवेज बसों, श्रमिक स्पेशल ट्रेन, बाइक, चौपहिया व तिपहिया वाहन, ट्रक, साइकिल, पैदल, रिक्शा आदि से हजारों की संख्या में मजदूर जीटी रोड, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, जिले की सीमाओं वाले मार्गों आदि से गुजरते रहे।

मजदूरों से काम कराने का है मनरेगा में नियम

मनरेगा के जितने भी काम होते हैं, ज्यादातर में श्रमिक लगते हैं, लेकिन पिछले साल नियम विरुद्ध मशीनों से भी काम कराया गया। ऐसी शिकायतें जिला प्रशासन के पास भी आईं थीं। इनकी जांच हुई तो मामले की पुष्टि भी हुई। मशीनों से काम करने में समय की बचत तो हो जाती है, लेकिन मजदूरों का हक मार लिया जाता है।

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किस ब्लॉक की कितनी ग्राम पंचायतों ने दिया 100 दिन का काम

जनपद में आठ ब्लॉक हैं। ग्राम पंचायतों के हिसाब से गुगरापुर और हसेरन ब्लॉक ऐसे हैं, जिन्होंने ज्यादा परिवारों को 100 दिन का काम दिया है। इन दोनों ब्लॉकों ने 50 फीसदी से अधिक पंचायतों में काम दिया है। ब्लॉक उमर्दा क्षेत्र की 41 ग्राम पंचायतों ने 100 दिन का काम दिया है, जबकि यहां 90 ग्राम पंचायतें हैं।

ब्लॉक छिबरामऊ क्षेत्र में 96 ग्राम पंचायतों में सिर्फ आठ , ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र की 35 ग्राम पंचायतों में पांच, ब्लॉक तालग्राम क्षेत्र की 67 ग्राम पंचायतों में 22, ब्लॉक सौरिख क्षेत्र के 68 ग्राम पंचायतों में नौ, सदर कन्नौज ब्लॉक क्षेत्र की 89 ग्राम पंचायतों में नौ, ब्लॉक गुगरापुर क्षेत्र की 23 ग्राम पंचायतों में 13 और ब्लॉक हसेरन क्षेत्र की 36 ग्राम पंचायतों में से 20 ग्राम पंचायतों ने कुछ न कुछ परिवारों को 100-100 दिन का लक्ष्य पूरा किया है।

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-वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल जॉबकार्ड 147452 थे।

-विभाग के मुताबिक एक्टिव जॉबकार्ड धारक 84 हजार के पार थे।

-वर्तमान में करीब 73 हजार जॉबकार्डधारक हैं।

-वेबसाइट से निष्क्रिय कार्डधारकों को हटा दिया गया है।

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किस ब्लाॉक ने कितने परिवारों को दिया 100 दिन का काम

जनपद कन्नौज के ब्लॉक उमर्दा में सबसे अधिक 120 परिवारों को 100 दिन का रोजगार मनरेगा के तहत दिया है। ब्लॉक छिबरामऊ क्षेत्र के 16, ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के छह, ब्लॉक तालग्राम क्षेत्र के 52, ब्लॉक सौरिख क्षेत्र के 32, ब्लॉक कन्नौज क्षेत्र के 24, ब्लॉक गुगरापुर क्षेत्र के 55 और ब्लॉक हसेरन क्षेत्र के 66 परिवारों को 100-100 दिन का रोजगार मुहैया कराया गया है।

क्या कहते हैं डीसी मनरेगा

कन्नौज के डीसी मनरेगा रामसमुझ ने बताया कि एक श्रमिक को साल में 100 दिन काम मिलता है। बहुत से मजदूर हैं जिनको इतना काम नहीं मिला है। यह लोग काम करना नहीं चाहते हैं, जो काम मांगता है, उसे दिया जरूर जाता है। कई परिवारों का राशनकार्ड भी बनवाया जाता है।

रिपोर्ट- अजय मिश्रा

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