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योगी सरकार की रोजगार अभियान में पूर्वांचल को मिली ज्यादा तवज्जो, जानें क्यों

‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ के तहत पूर्वांचल और अवध क्षेत्र के कुल 31 जिलों को शामिल किया गया है। इस लिस्ट में पूर्वांचल को ज्यादा तवज्जो दी गई है।

Shreya
Published on: 26 Jun 2020 12:46 PM GMT
योगी सरकार की रोजगार अभियान में पूर्वांचल को मिली ज्यादा तवज्जो, जानें क्यों
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लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यानी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ की शुरुआत की। इसके जरिए 1.25 करोड़ मजदूरों को रोजगार मिलेगा। पीएम मोदी ने रिमोट के जरिए आत्मनिर्भर यूपी का आगाज किया। इस अभियान के तहत पूर्वांचल और अवध क्षेत्र के कुल 31 जिलों को शामिल किया गया है। रोजगार लिस्ट में पूर्वांचल को तवज्जो दी गई है, तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस अभियान में पश्चिम यूपी के जिलों को जगह क्यों नहीं दी गई है?

31 जिलों को किया गया शामिल

इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के 31 जिलों की 32,300 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। इनमें केवल उन्हीं जिलों को जगह मिली है, जहां पर कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान 25 हजार से ज्यादा मजदूर लौटे हैं। इस अभियान के तहत पूर्वांचल और अवध क्षेत्र के तहत आने वाले जिले ही शामिल हो पाए हैं।

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इन जिलों को जोड़ा गया रोजगार अभियान से

रोजगार अभियान के तहत उन्नाव, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, बहराइच, प्रतापगढ़, अमेठी, आजमगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, हरदोई, जालौन, जौनपुर, बांदाफतेहपुर, गाजीपुर, कौशांबी, खीरी, कुशीनगर, महराजगंज, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, अंबेडकर नगर, फतेहपुर, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सुल्तानपुर, और वाराणसी जिलों को जोड़ा गया।

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25 तरह के कार्यों को अभियान के तहत किया गया चिह्नित

इस रोजगार अभियान के तहत 25 तरह के कार्यों को चिह्नित किया गया है, जिनमें प्रवासी मजदूरों को समायोजित किया जाएगा। इस बाबत एक दर्ज विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही आपस में समन्वय कर 31 जिलों में रोजगार अभियानों को गति देने का काम करेंगे।

मजदूरों के लौटने का सबसे अधिक दबाल पूर्वांचल और अवध में

बता दें कि कोरोना वायरस के चलते लाखों की संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते ठप पड़े कामों की वजह से लाखों मजदूरों में अपने गांव वापसी की है। इससे सबसे ज्यादा दबाव पूर्वांचल और अवध जिलों में पड़ा है। पूर्वांचल के जिले पहले से ही पिछड़ेपन और तंगहाली का सामना कर रहे हैं और ऐसे में लौटे मजदूरों के चलते सरकार की चुनौती बढ़ गई थी।

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मजदूरों की जिला स्तर पर स्किल कराई गई मैपिंग

इसके कारण यूपी की योगी सरकार ने प्रवासी मजदूरों की जिला स्तर पर स्किल मैपिंग कराई। मैपिंग के साथ पूरा डेटा तैयार किया गया कि मजदूर कहां से आय है? वहां वो क्या काम कर रहा था? वह किस काम में दक्ष है? मजदूर स्किल्ड है या फिर अनस्किल्ड? श्रमिक रोजगार के लिए इच्छुक है या फिर नहीं? इस तरह से योगी सरकार ने तकरीबन 35 लाख से ज्यादा श्रमिक की मैपिंग कराई है।

इस तरह 31 जिलों को अभियात के तहत किया गया शामिल

बता दें कि यूपी के गोंडा और बहराइच समेत ऐसे दस जिले हैं, जहां पर लॉकडाउन के दौरान एक लाख से भी अधिक लोग लौटे हैं। जबकि जौनपुर, सिद्धार्थनगर और आजमगढ़ में दो लाख से ज्यादा लोग आए। वहीं 15 जिले ऐसे हैं, जहां पर एक लाख से कम लोग लौटे हैं। छह जिले ऐसे हैं, जहां 25 हजार से कम मजदूरों ने वापसी की है। इस तरह से यूपी सरकार ने रोजगार अभियान के तहत इन 31 जिलों को शामिल किया है।

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पूर्वांचल में ना के बराबर हैं उद्योग- धंधे

बता दें कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद रोजगार का बड़ा केंद्र है। लेकिन पूर्वांचल में ऐसे रोजगार-धंधे ना के बराबर हैं। पूर्वांचल के कुछ जिलों में उद्योग के तौर पर चीनी मिले और कृषि से जुड़े रोजगार हैं। हालांकि इस दौरान ज्यादातर चीनी मिलें बंद हैं। जिस वजह से केंद्र और यूपी सरकार ने रोजगार योजना के तहत उन्हें जोड़कर स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को रोजगार दिलाने का बीढ़ा उठाया है। साथ ही मनरेगा भी रोजगार का एक बड़ा माध्यम बनेगा। वहीं लघु उद्योग और हस्तशिल्प भी स्थानीय रोजगार के अहम हो सकते हैं।

इसलिए दी गई पूर्वांचल और अवध को ज्यादा तवज्जो

पश्चिम उत्तर प्रदेश में रोजगार के अवसर अधिक तो हैं, लेकिन बाहर से वापस लौटने वाले मजदूरों की संख्या कम है। कारोबार के लिहाज से भी पश्चिम यूपी काफी संपन्न हैं। इसीलिए आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान के तहत पूर्वांचल और अवध के जिलों को ज्यादा तवज्जो दी गई है।

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